कसौटी : साहब को जिम्मेदारी, मातहत की छुट्टी गई मारी Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से उमेश पाठक का साप्ताहिक कॉलम कसौटी...
गोरखपुर, जेएनएन। इस समय जरूरी कार्यों से जुड़े विभागों को छोड़कर दूसरे सभी विभागों के कर्मचारियों की छुट्टी है। शहर में विकास की रूपरेखा तय करने वाले एक विभाग के कर्मचारी भी आजकल परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताने में लगे थे। इसी बीच विभाग के बड़े साहब को एक जिम्मेदारी मिल गई। साहब को जिम्मेदारी मिलते ही मातहतों की छुट्टी भी मारी गई है। अब सुबह से शाम तक मातहत उस जिम्मेदारी को सफल बनाने में जुटे हैं। वे कोरोना वायरस से पैदा हुए इस संकट में असहाय एवं गरीबों की सेवा के काम में लगे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि जनहित का काम करने में उन्हें कोई परेशानी नहीं है लेकिन उनकी व उनके परिवार की सुविधा का ख्याल भी रखा जाना चाहिए। वे कहते हैं कि कर्मचारी ड््यूटी पर आ ही रहे हैं तो विभाग खोलकर उनके वेतन की व्यवस्था भी समय से की जानी चाहिए।
कोरोना से मिल गई मोहलत
आसपास के जिलों में अपनी रमणीयता के लिए पहचाने जाने वाले शहर के एक ताल पर कई लोगों की रोजी-रोटी निर्भर है। यहां से मछलियों के आखेट से बीते वर्षों में खूब फायदा हुआ था। पर, इस बार चाल उल्टी पड़ गई। तमाम उपाय करके आखेट का अधिकार तो प्राप्त कर लिया गया, लेकिन उसे आगे बढ़ाने में फर्म सक्षम नहीं रही। उनकी प्रारंभिक रकम डूबने के कगार पर थी पर, इस बीच आए कोरोना के प्रकोप से इन आखेटकों को फिलहाल मोहलत मिल गई है। आखेट का अधिकार देने वाले विभाग ने कानूनी कार्यवाही पूरी ना करने के कारण उन्हें अंतिम नोटिस थमा दी थी। 15 दिनों के भीतर प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया गया था। शर्त न मानने पर अधिकार छीनने की चेतावनी भी मिली थी। लेकिन, कोरोना के चलते इस विषय पर फिलहाल चर्चा बंद हो जाने से आखेटकों ने राहत की सांस ली है।
'भौकाल बनाने के लाइसेंस के लिए लगा रहे जुगाड़
कोरोना वायरस के चलते सभी को 21 दिनों तक घर में रहने को कहा गया है। लेकिन आम दिनों में 'सोशल मीडियाÓ पर भौकाल दिखाने वाले लोगों के दिन घर में नहीं कट रहे हैं। किसी तरह बाहर निकल लोगों के बीच भौकाल बना सकें, इसके लिए तरह-तरह के जुगाड़ लगाए जा रहे हैं। जो साधन संपन्न हैं, उन्हें 'सेवाÓ की याद भी आ रही है। इसके लिए प्रशासनिक व्यवस्था में मौजूद परिचितों के पास उनकी सिफारिश पहुंच रही है। कोई गरीबों का पेट भरने का हवाला दे रहा है तो कोई जागरूकता फैलाने की बात कर रहा है। पर, प्रशासन ने भी इनकी वास्तविक इच्छा को भांप लिया और बाहर निकलने की जरूरत न बताते हुए घर से ही सहयोग करने को कहा। जैसे ही तय हुआ कि 'भौकालÓ बनाने का लाइसेंस नहीं मिलने वाला, ये तथाकथित समाजसेवी सेवा से दूर हटने में ही अपनी भलाई समझने लगे।
स्थितियां सामान्य नहीं हैं, आपका भी सहयोग जरूरी है
कोरोना वायरस की आपदा से निपटने के लिए लोगों से उनके घरों में रहने की अपील की गई है ताकि कोरोना की चेन को तोड़ा जा सके। प्रशासन लोगों की जरूरतों को समझ रहा है और डोर स्टेप डिलीवरी की व्यवस्था करा रहा है। हर शहरी के पास उनके इलाके के किराना स्टोर संचालक का नंबर जरूर होगा। आप फोन करते हैं, आर्डर नोट कराते हैं और किराना स्टोर संचालक आपके घर तक जरूरत के सामान पहुंचा रहे हैं। लेकिन, अब हमें खुद भी इस व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए सहयोग करना होगा। पिछले कुछ दिनों में यह देखने को मिला है कि लोग अपनी लिस्ट एक साथ नोट कराने की बजाय बार-बार छोटे-छोटे सामानों की फरमाइश करते रहते हैं। यदि कर्मचारी दूसरी, तीसरी बार आपके घर जाएगा तो आप जैसा कोई और जरूरतमंद प्रभावित होगा। इसलिए जरूरी है कि जो भी सामान मंगाइए, एक बार में मंगाइए।