जनता सब जानती है : बताओ, सोने की लंका में विभीषण कौन है Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से राजेश्वर शुक्ला का साप्ताहिक कालम-जनता सब जानती है...
राजेश्वर शुक्ला, गोरखपुर। गांवों में स्वच्छता का बंटाधार करने वाले एक जिला स्तरीय अफसर इन दिनों अपने कार्यालय के कर्मचारियों से खासे खफा चल रहे हैं। वजह, उनकी स'चाई का जनता के सामने आना है। कभी 'महिला प्रेम और कभी 'मोबाइल को स्पीकर मोड में डालकर अश्लील बातें करने वाले इन अफसर की गतिविधियां लीक होने के कारण कार्यालय के कर्मचारी उनके रडार पर आ गए हैं। बात पिछले हफ्ते की है, लगातार फजीहत से तमतमाए अफसर अपने कार्यालय पहुंचे। घंटी दबाकर कुछ कर्मचारियों को तलब किया और बोले, सच-सच बताओ इस सोने की लंका में विभीषण कौन है? अंदर की बातें बाहर कैसे जा रही हैं। मैं सभी लोगों को यहां से हटा दूंगा, बड़े बाबू आर्डर टाइप करिये। आदेश मिलते ही आर्डर टाइप हो गया, लेकिन अमल में नहीं आ पाया। 'अफसर के भौकाल की हवा निकलने की वजह भी विभीषण के ऊपर 'प्रभु का आशीर्वाद होना बताया जा रहा है।
कुछ तो काम सीखिए जनाब
एक विभाग में निचले स्तर पर कार्य करते हुए मध्यम स्तर तक पहुंचने में कामयाब एक जनाब को चरण वंदना का इनाम मिलता आया है। बिना काम नौकरी में बने रहने की कला कोई इनसे सीखे, लेकिन इन दिनों इनके चरण वंदना का फार्मूला कारगर साबित होता नजर नहीं आ रहा है, जिसके कारण अब इनकी पोल-पट्टी खुलने लगी है। हाल ही में इनके यहां एक 'बड़े अफसर का आना हुआ। अपनी आदत के मुताबिक महाशय जी-हुजूरी में जुट गए। यह देख विभाग के कुछ लोगों ने अफसर को इनकी खासियत से अवगत करा दिया। बैठक में सबके कार्यों की समीक्षा शुरू होते हुए महाशय पर पहुंची, तो उन्होंने मूल विषय से इतर प्रसंग छेड़ दिया। पहले से चौकन्ना अफसर ने इनसे काम के बारे में पूछा तो बगले झांकने लगे। फिर तो सबके सामने क्लास लग गई और अफसर ने दो टूक कहा, कुछ तो काम सीख लीजिए जनाब।
कुर्सी की लग रही बोली
शहर के उत्तरी इलाके से सटे एक विकास खंड क्षेत्र में तैनात विकास में सहायक अफसर जून में सेवानिवृत हो गए। सेवानिवृत्ति के एक सप्ताह बाद भी उनकी जगह किसी की तैनाती नहीं हो पाई है। वजह, यह क्षेत्र काफी मलाईदार माना जाता है और इस कुर्सी के लिए कई दावेदार मैदान में हैं, जो संबंधित विभाग के साहब की गणेश परिक्रमा कर रहे हैं। आलम यह है कि साहब की मौजूदगी में उनके कार्यालय में ही इस कुर्सी के लिए खुलेआम बोली लग रही है। कार्यालय में मोलभाव को लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है। इससे बेपरवाह साहब की निगाह कुर्सी के लिए लगने वाली सबसे बड़ी बोली पर है। 'साहबÓ के एक खास चेले ने बताया कि वह इस बार तगड़े शिकार के चक्कर में हैं, इसलिए कई दिन से मोलभाव चल रहा है। जो दावेदार सबसे ज्यादा बोली लगाएगा, 'कुर्सी उसी के हवाले कर दी जाएगी।
सारा आदर्श हमें ही सिखाओगे
गांवों का विकास करने वाले एक विभाग के जिला स्तरीय एक अफसर का हर क्रियाकलाप किन्हीं कारणों से चर्चा में आ ही जाता है। 'साहब का बीते माह विकास खंड भटहट क्षेत्र में फोटो सेशन कराने का मन हुआ। खास चेले को पुकार लगाई और बोले, गाड़ी निकालो आज कुछ अलग करते हैं। चेलों को गाड़ी में लाद 'साहब भटहट की ओर कूच कर गए। लघुशंका लगने पर चालक से बोले कि गाड़ी सूनसान जगह पर रोकना। चालक ने गाड़ी सुलभ शौचालय के सामने रोक दी। साहब का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। चालक को फटकार लगाते हुए बोले, सारा आदर्श हमें ही सिखाओगे। खैर, थोड़ी दूर आगे फोरलेन पर गाड़ी रुकी। साहब टीम के साथ सड़क पर 'लघुशंका का निवारण करने लगे। इतने में एक राहगीर ने टोका, बगल में शौचालय है वहां क्यों नहीं गए। तब साहब बोले, जल्दी बढ़ो, ये मुसीबत भी इसी वक्त आनी थी।