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जनता सब जानती है : जल्दी गिनो, कोरोना की ऐसी-तैसी Gorakhpur News

पढ़ें गोरखपुर से राजेश्वर शुक्ला का साप्‍ताहिक कॉलम-जनता सब जानती है...

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 05:05 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 05:05 PM (IST)
जनता सब जानती है : जल्दी गिनो, कोरोना की ऐसी-तैसी Gorakhpur News
जनता सब जानती है : जल्दी गिनो, कोरोना की ऐसी-तैसी Gorakhpur News

राजेश्‍वर शुक्‍ला, गोरखपुर। एक विभाग के सर्किल अफसर हैं। वैसे तो उन्हें कोरोना से बड़ा डर लगता है। संक्रमण न फैले, इस कारण कार्यालय में नही बैठते। घर से ही कार्यालय चलाते हैं। कोई जरूरी कागज सुबह उनके पास पहुंचता है, तो बाहर ही रखवा देते हैं। फालोवर से कहते हैं, शाम को आना। इस बीच कागज और अपना हाथ कई बार सैनिटाइज करते हैं। दस्तखत के बाद फाइल बाहर ही रख देते हैं। तुरंत स्नान कर पूरी तरह आश्वस्त हो जाते हैं कि अब संक्रमण नहीं होगा। लेकिन बात जब अपने फायदे की हो, तो यह जनाब कोरोना से लडऩे को भी तैयार हो जाते हैं। एक बार किसी काम के एवज में उन्हें 'मोटी रकमÓ मिली तो बिना देरी के नोट गिनवाने लगे। नोट गिन रहे आदमी ने कहा कि 'साहब इससे भी कोरोना हो सकता है, तो 'साहब ने कहा कि जल्दी गिनो, हम कोरोना की ऐसी तैसी कर देंगे।

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तीन सौ के लिए भिड़े नेताजी

हाल ही में एक एजेंसी में अपनी गाड़ी की सर्विङ्क्षसग कराने दलबल के साथ पहुंचे नेताजी को सैनिटाइजेशन के नाम पर एजेंसी द्वारा तीन सौ रुपये लेना अखर गया। नेताजी एजेंसी के मैनेजर के पास पहुंचे और पूछा, किससे पूछकर आपने सैनिटाइजेशन कराया है। मैनेजर ने कहा, यह कंपनी का नियम है कि बाहर से आने वाली गाड़ी गेट पर सैनिटाइज होने के बाद ही अंदर आएगी। इस पर नेताजी तमतमा गए। उन्होंने कहा कि आपने इसकी जानकारी हमें क्यों नहीं दी? मुझे बिना बताए तीन सौ रुपये का चूना लगा दिया। एजेंसी मैनेजर ने कहा कि नेताजी इसमें चूना लगाने जैसी कोई बात नहीं, बताइए आप तीस लाख की गाड़ी से चलते हैं और तीन सौ रुपये के लिए इतनी बहस कर रहे हैं। इस पर अगल-बगल खड़े अन्य ग्राहक हंसने लगे। अपनी बेइज्जती से असहज नेताजी ने कहा, अभी हम चलते हैं, आपको तो बाद में देख लेंगे।

चलो सैनिटाइजेशन कर फोटो खिंचवाते हैं

गांवों का विकास करने वाले विभाग में जिला स्तरीय एक अफसर को फिल्मी दुनिया से बड़ा लगाव है। बेचारे अभिनेता तो बन नहीं पाए, इसलिए जब भी वह गांवों में जाते हैं, फोटो सेशन कराना नहीं भूलते। उनके साथ कैमरामैन समेत शूटिंग की पूरी टीम चलती है। सभी की अलग-अलग एंगिल से फोटो शूट करने की जिम्मेदारी तय होती है। गांवों को कोरोना संक्रमण से मुक्त रखने के लिए सैनिटाइजेशन का काम शुरू हुआ, तो 'साहब की बांछे खिल उठीं। सबसे पहले अपने दफ्तर में ही हाइपो क्लोराइट रखवाकर मीडिया में वाहवाही लूटी। इसके बाद पहुंच गए गांवों में फोटो सेशन कराने। 'साहब के आने से पहले फोटो सेेशन का पूर्वाभ्यास हुआ। पीपीई किट धारण किए सफाईकर्मी ने छिड़काव शुरू किया। 'साहब भी फोटोग्राफी टीम के बताए स्थान पर खड़े रहे, ताकि अ'छा फोटो आ सके और उसे मीडिया में शेयर कर सकें। फोटो छपा तो 'साहब बहुत खुश हुए।

पहले खुशामद करना तो सीखिए जनाब

कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जिन्हें पद योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि चापलूसी करने से ही मिल जाता है। अपने पद को बनाए रखने के लिए ऐसे लोग हर जतन करने को तत्पर रहते हैं। गांवों में साफ-सफाई का जिम्मा संभालने वाले विभाग में आउटसोर्सिंग से तैनात एक महानुभाव हर वक्त अपने उ'चाधिकारी का मुंह निहारते रहते हैं। उ'चाधिकारी के मुंह से निकली हर बात का वह अपने अधीनस्थों से पालन कराने की पूरी कोशिश करते हैं। चूंकि इन महाशय को खुद तो कुछ आता नहीं, इसलिए कहीं गलती न हो जाए, इसको लेकर हर वक्त डरे-सहमे रहते हैं। एक दिन इनके विभाग के एक कर्मचारी से न रहा गया और उसने इनकी सफलता का राज पूछा। पहली बार अपनी तारीफ सुन कुप्पा हुए इन महाशय ने झट से कह दिया कि उच्‍चाधिकारी को कैसे सेट करना है, यह हम जानते हैं। पहले खुशामद करना तो सीखिए जनाब। 


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