Move to Jagran APP

हाल-बेहाल : पैंट उठाकर पूरा इलाका घुमा दिया Gorakhpur News

पढ़ें गोरखपुर से दुर्गेश त्रिपाठी का साप्‍ताहिक कालम हाल-बेहाल---

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 04:41 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 04:41 PM (IST)
हाल-बेहाल : पैंट उठाकर पूरा इलाका घुमा दिया Gorakhpur News
हाल-बेहाल : पैंट उठाकर पूरा इलाका घुमा दिया Gorakhpur News

दुर्गेश त्रिपाठी, गोरखपुर। बारिश होने के कुछ घंटों बाद ही पानी निकल भी जाता रहा है, लेकिन इस बार मामला थोड़ा गड़बड़ हो गया है। पिछले दिनों जमकर बारिश हुई और शहर में भीषण जलभराव हो गया। जहां कभी पानी नहीं रुका था, वहां से भी दो-तीन दिन बाद निकला। मुसीबत शहर की बाहरी कालोनियों में है। यहां पानी तो भर गया, लेकिन निकलने का नाम नहीं ले रहा है। लोग शोर मचा रहे हैं, शहर वाले माननीय लगातार चक्कर लगाकर व्यवस्था पर निशाना साध रहे हैं। माननीय तो पहले से ही जनहित के मामलों में तेज रहते हैं। पानी में करंट उतरने से युवक की मौत हुई, तो पहुंच गए मोहल्ले में। अफसरों को बुलाया और पूरा इलाका देखने को कहा। अफसर बगले झांकने लगे, तो माननीय ने खुद अपना पैंट घुटने से ज्यादा ऊंचाई तक उठाकर पानी में पैर रख दिया। मजबूरी में ही सही अफसरों ने भी पूरा इलाका देखा।

loksabha election banner

डॉक्टर साहब की याद सताए रे

लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही सफाई महकमे के बड़े साहब के साथ जो सबसे ज्यादा मैदान में रहे, वह हैं डॉक्टर साहब। कोरोना से लड़ाई में डॉक्टर साहब ने दिन-रात मेहनत की। जहां कोई नहीं पहुंचा, वहां डॉक्टर साहब पहुंचे और कोरोना को भगाने वाले घोल का छिड़काव कराकर लोगों को राहत पहुंचायी। लगातार मैदान में डटे रहने वाले डॉक्टर साहब को बुखार हुआ, तो उन्होंने जांच करायी। रिपोर्ट पॉजिटिव आयी, तो डॉक्टर साहब घर आ गए। इसके बावजूद जज्बा कम नहीं हुआ और घर से ही मोबाइल फोन से निर्देश देते रहे, लेकिन महकमे का काम तो मैदान वाला है। अब समस्या यह है कि सामने कौन आए। जब तक डॉक्टर साहब थे, किसी को चिंता नहीं थी। कोरोना लगातार घेर रहा है, बचना सभी चाहते हैं। मैदान में जाने के नाम पर कई लोगों की सांस फूलने लगी है। सबको डॉक्टर साहब की याद आ रही है।

नाले का असली निरीक्षण यही है

शहर में कई नाले बन चुके हैं और बनते जा रहे हैं, लेकिन इतनी चर्चा में शायद ही कोई नाला रहा हो। न...न, ऐसा न समझिए कि हम पहले की तरह नालों में मानक का पालन न होने, भ्रष्टाचार आदि...इत्यादि की कहानी सुनाने जा रहे हैं। यह तो अब सबके सामने आ ही जाता है। हम बात कर रहे हैं नाले के निरीक्षण की। गंगा जी के नाम पर बनी कॉलोनी में निर्माणाधीन नाले का काम पूरा होने वाला है। बारिश न होती तो शायद काम पूरा भी हो गया होता। जितना काम हुआ, उतने की स्थिति देखने सफाई महकमे के छोटे वाले इंजीनियर साहब पहुंचे। नाले तक पहुंचने में शाम होने लगी। उन्होंने सोचा, जल्द निरीक्षण कर घर को निकल जाएं। इंजीनियर साहब ने नाले की गहराई देखनी शुरू कर दी। अचानक वह नाले में गिर गए। किसी तरह बाहर निकाले गए। एक कर्मचारी बोला, असली निरीक्षण यही है।

मलबा बढ़ा रहा दुश्मनों की संख्या

एक अनार सौ बीमार वाली कहावत तो सबने सुनी होगी, लेकिन इस कहानी में 80 बीमार हैं और अनार का पता ही नहीं है। 80 इसलिए कि लॉकडाउन शुरू होने से पहले 10 छोटे माननीय चुनकर जो आ गए थे। अब रोजाना 80 फोन आते हैं और एक ही डिमांड, मलबा गिरवा दो। किसी ने साढ़ू भाई से वायदा कर दिया है कि 10 गाड़ी मलबा गिरवा दूंगा, तो किसी ने वोटरों को खुश करने के लिए मलबा गिरवाने का आश्वासन दे रखा है। शहर की इंजीनियरिंग करने वाले साहब के पास फोन कर कभी संबंधों का हवाला देते तो कभी नाक कटने से बचाने के लिए मलबा गिरवाने को कहते हैं। मातहत मलबा नहीं तलाश पा रहे, तो साहब खुद ही कोलंबस बन गए हैं, लेकिन मलबा है कि कहीं दिख ही नहीं रहा है। साहब, मिल-जुलकर रहने वाले हैं, लेकिन मलबा दुश्मनों की संख्या बढ़ाता जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.