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खरी-खरी : साहब को महंगा पड़ गया अनुशासन Gorakhpur News

पढ़ें गोरखपुर से गजाधर द्विवेदी का साप्‍ताहिक कॉलम-खरी-खरी---

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2020 11:00 PM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2020 11:00 PM (IST)
खरी-खरी : साहब को महंगा पड़ गया अनुशासन Gorakhpur News
खरी-खरी : साहब को महंगा पड़ गया अनुशासन Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। शहर के उत्कृष्ट चिकित्सा संस्थान के एक छोटे साहब का रुतबा बड़े साहब से कम नहीं है। कहते हैं इसके पहले वह देश की रक्षा करने वाले कुनबे में शामिल थे। उनका पूरा ध्यान अनुशासन पर लगा रहता है। पिछले दिनों किसी बात को लेकर एक कर्मचारी को अनुशासन सिखा रहे थे। वह सीखने की कोशिश भी कर रहा था लेकिन साहब जैसी उसकी कोई ट्रेनिंग तो हुई नहीं थी, इसलिए साहब की उम्मीदों पर वह खरा नहीं उतर पा रहा था। साहब को गुस्सा आया और उसे तमाचा जड़ दिए। इस बात को लेकर कर्मचारी लामबंद हो गए और साहब को घेर लिए और मारपीट पर आमादा हो गए। साहब को अनुशासन महंगा पड़ गया। इसी बीच उनसे बड़े साहब ने पहुंचकर स्थिति संभाल ली। कहते हैं साहब के कान पकडऩे पर कर्मचारी माने। तबसे साहब कर्मचारियों को अनुशासन सिखाने में सतर्कता बरतने लगे हैं।

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प्रार्थना पत्र में तो नहीं है कोरोना

आधी आबादी की स्वास्थ्य सुरक्षा का दावा करने वाले शहर के सबसे बड़े अस्पताल की एक डॉक्टर साहब लखनऊ घूमने गई थीं। उनका मन हुआ कि यहां के सबसे चर्चित होटल में खाना खाया जाए। वह खा-पीकर वहां से लौट आईं। उनके गोरखपुर आते ही यह सूचना आम हो गई कि जिस होटल में उन्होंने खाना खाया था, वहां कोरोना से संक्रमित एक बालीवुड सिंगर भी दो दिन पहले गई थीं। अब उनको काटो तो खून नहीं। आनन-फानन में उन्होंने 14 दिन होम क्वारंटाइन में जाने के लिए अवकाश का प्रार्थना पत्र दे दिया। बड़े साहब व कर्मचारियों को लगा कि प्रार्थना पत्र में भी कोरोना वायरस हो सकता है। उसे कोई लेने को राजी नहीं था। कहा कि वहीं रख दीजिए और आप छुट्टी पर चले जाइए। हालांकि कर्मचारी कहते हैं कि डॉक्टर साहब को छुट्टी का बहाना मिल गया। चार माह पहले एक साल की छुट्टी से लौटी थीं।

खजाना खोलकर बैठे हैं

पूरा शहर बंद है। हर जगह नाकेबंदी है। आम आदमी का निकलना मुकिश्ल है। जरूरत के काम से निकल भी गए तो जगह-जगह चौराहों पर सुरक्षाकर्मियों के 10 सवालों के जवाब देने पड़ते हैं। ऐसे में आम आदमी बहुत जरूरी न हो तो बाहर निकलने से परहेज कर रहा है। इस दौरान रुपये का लेन-देन करने वाले वित्तीय संस्थान खुले हैं। वे खजाना खोलकर बैठे हैं लेकिन लेने वाला कोई नहीं है। कर्मचारी चुपचाप अपने काउंटर पर बैठे ग्राहक का इंतजार कर रहे हैं। न जमा हो रहा है न निकासी। सोशल डिस्टेंसिंग भी मेंटेन करनी है, इसलिए आपस में बात भी नहीं कर पा रहे हैं। बैठे-बैठे मन जब थक जा रहा है तो थोड़ा सैनिटाइजर लेकर हाथ मल रहे हैं। कर्मचारी कहते हैं कि खामखाह हम लोगों को बुलाया जा रहा है। लेकिन बड़े साहब कुछ सुनने को राजी नहीं है। मजबूरी में कार्यालय आना पड़ रहा है।

कोरोना से घबराएं नहीं

कोरोना वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। यदि आप विदेश से नहीं आए हैं या विदेश से आए किसी व्यक्ति के संपर्क में नहीं रहे हैं तो सर्दी-जुकाम, खांसी होने पर भी न घबराएं। यह कोरोना नहीं हो सकता। वायरल फीवर का समय चल रहा है। इसलिए किसी को भी सर्दी-जुकाम, खांसी हो सकती है। लेकिन बचाव सभी को करना है। लोगों से डेढ़-दो मीटर की दूरी बनाए रखें। यदि आपके आसपास कोई विदेश से आया है और उसे सर्दी-जुकाम है तो उसे होम क्वारंटाइन की सलाह देते हुए इसकी सूचना तत्काल स्वास्थ्य विभाग को दें। होम क्वारंटाइन का मतलब है कि एक कमरे में खुद को अलग कर लेना। कमरा हवादार व शौचालय से युक्त होना चाहिए। यदि उस कमरे में घर के किसी सदस्य को रहना जरूरी हो तो डेढ़-दो मीटर की दूरी बनाए रखे। सरकार कोरोना से लड़ रही है, आपको केवल सहयोग करना है।


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