Move to Jagran APP

साप्‍ताहिक कालम परिसर से: अरे कुछ तो रहम कीजिए Gorakhpur News

पौधारोपण के लिए वहां पहले से गड्ढा खोदकर तैयार किया गया था। पौधा भी रखा हुआ था। जैसे ही मुख्य अतिथि पौधा लेकर लगाना शुरू किए। वहां खड़े दस भारी-भरकम लोग उस छोटे से पौधे को पकड़कर फोटो ¨खचवाने में जुट गए।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 05:11 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 05:11 PM (IST)
साप्‍ताहिक कालम परिसर से: अरे कुछ तो रहम कीजिए Gorakhpur News
गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के मुख्‍य द्वार का फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, प्रभात पाठक। एक खास मौके पर एक संस्था में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम स्थल पर सभी लोग निर्धारित समय पर एकत्र हो चुके थे। इंतजार था तो मुख्य अतिथि का। कुछ देरबाद मुख्य अतिथि जैसे ही परिसर में पहुंचे संचालक ने कार्यक्रम के शुभारंभ की घोषणा करते हुए सबसे पहले सभी आगंतुकों का स्वागत किया। इसके बाद मुख्य अतिथि से पौधारोपण करने के लिए निर्धारित स्थल पर चलने का अनुरोध किया गया। पौधारोपण के लिए वहां पहले से गड्ढा खोदकर तैयार किया गया था। पौधा भी रखा हुआ था। जैसे ही मुख्य अतिथि पौधा लेकर लगाना शुरू किए। वहां खड़े दस भारी-भरकम लोग उस छोटे से पौधे को पकड़कर फोटो ¨खचवाने में जुट गए। कोई टहनी पकड़ रहा, कोई पत्ता तो कोई मिट्टी व जड़ को स्पर्श कर रहा है। तभी वहीं पास खड़े एक संभ्रांत व्यक्ति तपाक से बोल पड़े अरे पौधे पर कुछ तो रहम कीजिए।

loksabha election banner

..मोबाइल भी कर रही ड्यूटी

शिक्षा के छोटे मंदिर के गुरुजी इन दिनों कोरोना मरीजों से उनके सेहत की जानकारी ले रहे हैं। स्कूल बंद है, इसलिए कोविड कंट्रोल रूप में ड्यूटी लगी है। नौकरी करनी है तो चाहे स्कूल में बच्चों को पढ़ाएं या फिर सरकारी कार्यों में सहयोग करें। इसलिए आठ घंटे तक नियमित ड्यूटी पर मुस्तैद रह रहे हैं। ड्यूटी ईमानदारी से करने के बाद भी गुरुजी की पीड़ा यह है कि मरीजों से बातचीत करने के लिए उन्हें मोबाइल का उपयोग करना पड़ रहा है। एक अतिरिक्त फोन तक उन्हें उपलब्ध नहीं कराया गया है। हालांकि अपने मोबाइल से बात करने में उन्हें कोई असुविधा नहीं हो रही है। परेशानी तो तब हो रही है, जब ड्यूटी से घर आने के बाद भी उनके फोन पर मरीजों के फोन आ रहे हैं। अब परेशान गुरुजी यही कहते फिर रहे हैं कि मेरे साथ मोबाइल की भी ड्यूटी लगा दी गई है।

फार्म भरा होता तो पप्‍पू भी पास हो जाता

एक कहावत है कि सब धान बाइस पसेरी, यानी सबको एक समान समझकर व्यवहार करना। इन दिनों बोर्ड परीक्षा रद होने के बाद यह कहावत परीक्षा नहीं देने वाले छात्रों पर एकदम सटीक बैठ रही है। इस साल जो पढ़ा है, वह भी पास हो जाएगा। जिसने कम पढ़ाई की होगी या जिसकी तैयारी अधूरी होगी, वह भी पास होगा। बिना परीक्षा दिए पास होकर अगली कक्षा के लिए प्रमोट करने की बोर्ड ने जैसे ही घोषणा की, कई छात्र जो इस बार बोर्ड परीक्षा न देकर अगली बार देने वाले हैं वह हाथ मलते दिखे। यह सोचकर कि काश! हम भी इस साल परीक्षा दे रहे होते। कम से कम बिना पढ़े तो पास हो गए होते। दो अभिभावक आपस में बात कर रहे थे। एक ने दूसरे से कहा कि यदि इस साल मेरा पप्पू भी बोर्ड परीक्षा का फार्म भरा होता तो वह भी पास हो जाता।

इससे अच्‍छा तो परीक्षा ही हो जाती

कोरोना के कारण इन दिनों हाईस्कूल व इंटर की बोर्ड परीक्षाएं निरस्त हो चुकी हैं। परीक्षा रद होने के साथ-साथ बोडरें ने प्रमोट करने के तरह-तरह के नियम भी बना डाले हैं। प्रमोट करने के नियमों में इतने पेंच हैं कि उसे निर्धारित समय के अंदर पूरा करने के लिए एक साथ कई शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है। काम का बोझ अचानक बढ़ जाने से शिक्षकों की परेशानी भी काफी बढ़ गई है। रिजल्ट समय पर घोषित हो, इसके लिए कोई वेबसाइट पर नंबर अपलोड कर रहा है तो कोई अन्य कागजात दुरुस्त करने में जुट गया है। बीच-बीच में बोर्ड भी नए-नए फरमान जारी कर ही दे रहा है। इसके लिए बकायदा बोर्ड ने तिथि भी निर्धारित कर दी है। बोर्ड के निर्देशों का पालन करने के दौरान एक गुरुजी की पीड़ा अचानक छलक पड़ी और वह बोल पड़े, इससे अच्छा होता कि परीक्षा ही हो जाती।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.