साप्ताहिक कालम तीसरी नजर : इनकी बेपरवाही पड़ रही भारी Gorakhpur News
लोग मास्क लगाएं इसके लिए पुलिस को सख्ती से पेश आना पड़ रहा है। पिछले साल से लेकर इस माह के पहले पखवारे तक मास्क न लगाने पर पुलिस ने 85783 लोगों का चालान किया है। साथ ही उनसे 8743250 रुपये जुर्माना भी वसूल किया।
गोरखपुर, नवनीत प्रकाश त्रिपाठी। कोरोना महामारी के प्रकोप से हर कोई परेशान है। संक्रमण की चपेट में आने से बचने के लिए लोगों से शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने और हमेशा मास्क लगाने की अपील की जा रही है। यह बात समझाने के लिए सरकार कई तरह के प्रचार माध्यमों का सहारा भी ले रही है, लेकिन तमाम ऐसे लोग हैं, जिन्हें इन नियमों की कोई परवाह ही नहीं है। इनकी लापरवाही हर किसी पर भारी पड़ रही है। लोग मास्क लगाएं, इसके लिए पुलिस को सख्ती से पेश आना पड़ रहा है। पिछले साल से लेकर इस माह के पहले पखवारे तक मास्क न लगाने पर पुलिस ने 85783 लोगों का चालान किया है। साथ ही उनसे 8743250 रुपये जुर्माना भी वसूल किया। यह आंकड़ा इस बात की गवाही देने के लिए काफी है कि महामारी झेलने के बाद भी संक्रमण के प्रभाव से बचाव को लेकर लोग कितने लापरवाह हैं।
माननीय बनने की खातिर कुछ भी करेंगे
पंचायत चुनाव खत्म होते ही अब ब्लाक प्रमुख चुनाव की सरगर्मी जोर पकडऩे लगी है। दौड़ में शामिल संभावित उम्मीदवार, माननीय बनने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई, लेकिन अभी से क्षेत्र पंचायत सदस्यों को शीशे में उतारने की कोशिशें की जा रही हैं। कुछ प्रभावशाली उम्मीदवार तो नव निर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्यों के प्रमाण पत्र हासिल कर अपने पास रखने के अभियान में जुटे हुए हैं। इसके लिए कहीं धनबल तो कहीं बाहुबल का भी प्रयोग किया जा रहा है। कई क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने प्रमाण पत्र छीन जाने की शिकायत भी की है, लेकिन प्रमाण पत्र छीनने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने की बजाय पुलिस समझा-बुझाकर मामला रफादफा कराने में अधिक रुचि दिखा रही है। इस तरह की खबरों पर एक बुजुर्ग नेता ने टिप्पणी की कि दौर ही ऐसा है, माननीय बनने के लिए वे कुछ भी कर गुजरेंगे।
वन्यजीवों का रास आ रहा सन्नाटा
वायरस के संक्रमण की चेन तोडऩे के लिए लगाए गए कोरोना कफ्र्यू से वैसे तो हर कोई परेशान है। दुकानें, स्कूल, कालेज बंद हैं। ब'चों की परीक्षाएं तक नहीं हो रही हैं, लेकिन लोग इसकी अनिवार्यता भी बखूबी समझ रहे हैं। बंदी की वजह से चिडिय़ाघर इन दिनों सन्नाटे में डूबा हुआ है। इसी साल मार्च में मुख्यमंत्री ने इसका लोकार्पण किया था। चिडिय़ाघर खुलने के बाद वन्यजीवों को देखने के लिए आने वालों की संख्या में रोज इजाफा हो रहा था। कोरोना कफ्र्यू से चिडिय़ाघर को भी बंद करना पड़ा। वन्यजीवों की देखभाल करने वाले जू कीपरों और सफाई कर्मचारियों की ही परिसर में आवाजाही हो रही है। परिसर में पसरे सन्नाटे के बीच वन्यजीव बाड़े में स्व'छंद घूम रहे हैं। चिडिय़ाघर के अधिकारी भी मान रहे हैं कि कुछ दिन पहले हुई बारिश से आई हरियाली और परिसर में पसरा सन्नाटा वन्यजीवों को खूब रास आ रहा है।
लंकेश की ललकार से सब परेशान
शहर से सटे ग्रामीण इलाके के थाने में करीब एक माह पहले तैनात थानेदार का लोगों ने नामकरण लंकेश कर दिया है। पुलिस वालों को भी यह नाम खूब भा रहा है। थानेदार की कार्यशैली भी ऐसी है कि लोगों की ओर से दिया गया नाम सटीक लग रहा है। कुछ दिन पहले वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। तदर्थ व्यवस्था में उनकी जगह दूसरे थानेदार की तैनाती कर दी गई है। लंकेश के मन में थानेदारी जाने का डर समा गया। निगेटिव रिपोर्ट आए बिना ही काम पर लौट आए। आते ही दाढ़ी बनाने से इन्कार करने पर थाने के होमगार्ड को पीट दिया। रौब जमाने के लिए सिपाहियों को भी उल्टे-सीधे आदेश देने लगे। आम लोगों के साथ भी हर समय खराब व्यवहार करने के लिए चर्चित हो गए। लंकेश की इस ललकार से परेशान कई सिपाही कहीं और तबादला कराने का जुगाड़ लगा रहे हैं।