परिसर से : नौकरी के लिए करा लेंगे लिंग परिर्वतन Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से प्रभात कुमार पाठक का साप्ताहिक कॉलम परिसर से...
प्रभात कुमार पाठक, गोरखपुर। जिले के कस्तूरबा विद्यालयों के 51 शिक्षकों को नौकरी से बाहर करने के मामले में महिला शिक्षकों के समायोजन के सरकारी फैसले से पुरुष शिक्षकों में निराशा है। नौकरी से बाहर होने का खतरा मंडराने पर यह शिक्षक लिंग परिवर्तन कराने तक को तैयार हैं। शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक पीड़ा साझा करते हुए गुहार लगाई है कि भले ही हमें 'श्री से 'श्रीमती बना दो, लेकिन नौकरी मत लो। शिक्षकों का कहना है कि यदि पुरुष होना ही नौकरी जाने की वजह है तो हम क्यों न लिंग परिवर्तन ही करा लें। नौकरी तो बची रहेगी। पहले पुरुष व महिला शिक्षक दोनों ही साथ मिलकर नौकरी बचाने की लड़ाई लड़ रहे थे। जैसे ही महिला शिक्षकों को राहत मिली तो उन्होंने किनारा कस लिया है। अब पुरुष शिक्षक परेशानहाल नौकरी बचाने की कवायद में जुटे हैं। नौकरी जाएगी या बचेगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
हमसे न टकराना, उखाड़ फेकेंगे
शिक्षा के बड़े मंदिर में भी अजब-गजब बातें निकल कर आती रहती हैं। यहां कोई ताला तोडऩे की धमकी देता है, कोई मनमाफिक कमरा कब्जाने, तो कोई समय आने पर देख लेने की। फिलहाल एक छोटे गुरुजी उनसे टकराने पर उखाड़ फेंकने के आह्वान भरे लेख को लेकर खासे चर्चा में हैं। दावा तो उनका ऐसे संगठन के पदाधिकारी होने का है जहां सामाजिक समरसता का सर्वाधिक महत्व होता है, लेकिन गुरुजी अपने लेख में दूसरे एजेंडे पर तीर चलाते नजर आ रहे हैं। संयोग से सोशल मीडिया पर उनके लेख को शुभङ्क्षचतकों ने वायरल कर दिया। फिर क्या? शुरू हो गया प्रतिक्रियाओं का दौर। एक ने कहा कि लेख भले ही छोटे गुरुजी का है, लेकिन इसमें कई बड़े गुरुजी की उस्तादी नजर आ रही है। एक गुरुजी तो बोल पड़े, यह आजकल परिसर में तो दिखते नहीं, खाली समय में घर बैठकर यही एजेंडा चला रहे हैं क्या?
बड़े साहब की दरियादिली
वैसे तो सबसे बड़े शैक्षिक परिसर के बड़े साहब अपनी दरियादिली के लिए हमेशा चर्चा में रहते हैं, लेकिन इन दिनों वह कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे शिक्षकों पर खास ही मेहरबान हैं। कभी किसी का नुकसान नहीं करने के कारण सभी उनका सम्मान करते हैं। हाल के दिनों में जब बड़े साहब ने पुस्तक, सुरक्षा और मूल्यांकन से जुड़े कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन शिक्षकों की जिम्मेदारियों को विस्तारित किया तो सभी उनके कायल हो गए। जो भी उनसे मिल रहा है, सबकी मांगें आसानी से पूरी हो जा रहीं हैं। इस समय जबकि परिसर में नए साहब को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है, वर्तमान साहब अपनी उदारता से सुर्खियां बटोर रहे हैं। परिसर के एक कोने में कुछ गुरुजी नए साहब को लेकर चर्चा में मशगूल थे। सबकी अपनी कयासबाजी थी, तभी एक गुरुजी बोल पड़े कोई और क्यों? भगवान करे यही साहब बने रहें।
बच्चे लापता, साहब बांट रहे ड्रेस
कोरोना संक्रमण के कारण इन दिनों स्कूल बंद चल रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए सारा जोर ऑनलाइन पढ़ाई पर है। निजी विद्यालय के बच्चे तो ऑनलाइन पढ़ाई कर अपना पाठ्यक्रम पूरा कर ले रहे हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों के बच्चे संसाधनों के अभाव में ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। पढ़ाई भले ही नहीं हो रही, लेकिन साहब करोड़ों के जारी बजट से ड्रेस बांटने में जुटे हैं। वैसे यह कार्य विभागीय लोगों की खासी दिलचस्पी का है। उधर वर्षभर गिद्ध की तरह टकटकी लगाए दलालों ने भी पैसा कमाने के लिए हाथ-पैर मारना शुरू कर दिया है। गांव-गांव जाकर विद्यालयों की गणेश परिक्रमा कर रहे हैं, ताकि 'जो ही हाथ-वही साथ की तर्ज पर कुछ कमाई कर सकें। फिलहाल महकमे में ड्रेस वितरण को लेकर हर जगह चर्चा हो रही है कि स्कूलों में बच्चे लापता हैं और साहब ड्रेस बांटने में जुटे हैं।