चौपाल : संपर्क में नहीं आया, फिर भी कोरोना Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से जितेन्द्र पांडेय का साप्ताहिक कालम-चौपाल...
जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपुर। शनिवार को शहर के दर्जनों लोग कोरोना जांच के लिए गए थे। वहां हर किसी का एक सा जवाब था। किसी के संपर्क में आए हो-नहीं। सांस फूलती है-नहीं। खांसी आती है-नहीं। थकान महसूस होती है-नहीं। मेरी तो समझ में नहीं आ रहा था, क्या बोलूं। क्या यह कभी जाम में नहीं फंसते। दुकान पर यह अकेले खरीददारी कर लेते हैं। सब्जी वाला, दूधवाला क्या अकेले इन्हीं के घर पर सामान पहुंचाता है। यह सब सोच ही रहा था कि जांच के लिए मेरा भी नंबर आ गया। जांच के बाद नौ लोगों को किनारे बैठा दिया गया। रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही कई लोग खांसते नजर आए। कुछ लोग तो यह भी कह रहे थे कि बुखार से पूरा बदन तप रहा है। सिर में दर्द भी है। लगा कि यहां से कहीं अस्पताल जाना होगा। आधे घंटे बाद सूचना मिली। घर जाइए। दवा खाइए और किसी से न मिलिए।
यह कोविड हेल्प डेस्क है
इस समय सभी सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों के बाहर एक कर्मचारी बैठा मिलेगा। हाथ में सैनिटाइजर की बोतल, मेज पर थर्मल स्कैङ्क्षनग मशीन और पास में एक रजिस्टर भी दिखेगा। मैं एक गैर सरकारी कार्यालय से होकर निकला था। यहां भी कर्मचारी की स्थिति वही थी, जो आमतौर पर सरकारी विभागों की रहती है। फिलहाल, वहां से होकर विकास भवन स्थित एक सरकारी कार्यालय पहुंचा। कर्मचारी ने तापमान चेक किया। हाथ सैनिटाइज कराया। नाम-पता पूछने के बाद रजिस्टर पर दस्तखत को लेकर वह अड़ गया। मैंने कहा कि रजिस्टर छूने से संक्रमण का खतरा रहेगा। मुझसे पहले न जाने कितने लोगों ने रजिस्टर को छुआ होगा। कर्मचारी अपनी जिद पर अड़ा रहा। बात बढ़ी तो साहब भी बाहर आ गए। बोले भाईसाहब सभी लोग यहां दस्तखत करते हैं। इसमें दिक्कत क्या है। आपने बोर्ड नहीं पढ़ा। मैंने जवाब दिया, जी भाईसाहब पढ़ा। यह डेस्क कोविड की हेल्प के लिए है।
चलो इज्जत बची
खेती किसानी से जुड़ा विभाग पिछले दिनों गांव से लेकर शहर तक शोर मचाता दिखा- भाइयों फसल बीमा करा लो। अंतिम तिथि 31 जुलाई है। बाढ़ के चलते किसानों का बड़े पैमाने पर नुकसान भी हो गया है। ऐसे में तमाम किसानों ने बीमा कराने निर्णय लिया। वह विभाग पहुंचे, तो पता चला कि जिस कंपनी को बीमा करना था, वह तो भाग गई है। अब साहब को जवाब देते नहीं बन रहा था। फिलहाल, साहब ने मुख्यालय को पत्र लिखा। फिर उसी कंपनी से अनुबंध हुआ। साहब एक बार फिर से किसानों से निवेदन कर रहे हैं कि आइए बीमा कराइए। इससे फसलों के नुकसान की भरपाई होगी, लेकिन किसानों को अब आसानी से यकीन नहीं हो रहा है। रमई काका कहते हैं कि एक तो कुदरत ने उनके साथ मजाक किया है। पहले कोरोना संक्रमण, फिर बाढ़ और अब यह सरकारी विभाग वाले उनका मजाक बना रहे हैं।
मैं तो शराब लेने निकला हूं
शहर के दो थाना क्षेत्रों में बंदी की घोषणा कर दी गई। सबकुछ बंद कर दिया गया। इसी दौरान फैसला आया कि शराब की दुकानें शनिवार व रविवार को पाबंदी में भी खुलेंगी। इस सूचना ने अपने चंदू चाचा को तो जैसे नई जिंदगी दे दी। पिछले कई दिनों से तबीयत खराब होने की बात कहकर चारपाई पर लेटे हुए थे। शनिवार सुबह ही चमचमाता कुर्ता-पाजामा पहनकर वह घर से बाहर निकले ही थे कि चाची ने टोक दिया, कहां चल दिये। जानते नहीं बंदी है। बाहर निकलना मना है। पुलिस पकड़ लेगी तो पीटेगी भी। चाचा बोले अरी भाग्यवान मुझे कौन रोकेगा, मैं तो शराब लेने जा रहा हूं। यह देखो खबर। शनिवार व रविवार भी खुलेेंगी दुकानें। चाची ने समझाया कि यह आदेश शराब की दुकानें खोलने के लिए है। तुम्हें शराब खरीदने के लिए नहीं। अरी भाग्यवान थोड़ा चक्कर आ रहा है। सांस भी फूल रही है।