चौपाल : कोरोना कहां है, बाहर निकल Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से जितेन्द्र पांडेय का साप्ताहिक कालम-चौपाल...
जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपुर। रात के करीब नौ बजने वाले थे। बाइक से घर जा रहा था। गांव के चौराहे पर पहुंचा तो देखा कि कुछ लोग एक-दूसरे से थोड़ी दूरी पर खड़े हैं। एक चाचा जी गला फाड़े जा रहे हैं। कहां है। बाहर निकल। आज नहीं छोड़ूंगा तुझे। तबाह कर रखा है सभी को। तेरी सारी गुंडागर्दी आज खत्म कर दूंगा। उनका गुस्सा इतना कि चार लाठी बगल वाले पोल पर दे मारी। मुझे लगा कि यहां कुछ बड़ा बवाल होने वाला है। मैने बगल वाले से पूछा, क्या माजरा है। उसने कहा कि आपको नहीं पता। आज से शराब की दुकानें रात नौ बजे तक खुलने लगीं हैं। चाचा, चाची के डर से शराब नहीं पी पा रहे थे। आज रात के अंधेरे में उन्हें पहली बार मौका मिला है। दो पैग लेते ही चिल्ला रहे हैं। मैं आगे बढ़ा और पीछे से आवाज आती रही। कोरोना कहां है, बाहर निकल।
साहब के बाथरूम में टिड्डा
राजस्थान की तरफ से आने वाले टिड्डे अभी जिले से बहुत दूर हैं, लेकिन लोग स्थानीय टिड्डों को भी देखकर डर जा रहे हैं। इनमें वह भी शामिल हैं, जो बचाव राहत दल से जुड़े हैं। वह भी, जिन्होंने टिड्डे को अभी तक सिर्फ किताबों में अथवा चलचित्र में देखा है। एक दिन साहब के बाथरूम में टिड्डा घुस गया। उसे देखते ही मानो साहब के प्राण सूख गए। बेचारे चीखते-चिल्लाते बाहर निकले और एक अन्य अफसर को फोन लगाकर इसके बारे में पूछा। पड़ताल में पता चला कि यह हरा वाला टिड्डा पाकिस्तान का नहीं, यहीं का निवासी है। कृषि विभाग के भी तमाम कर्मचारी टिड्डों को लेकर सहमे हुए हैं। किसी ने उनके साहब को फोन किया कि कुछ टिड्डे देखे गए हैं। साहब तुरंत मौके पर पहुंचे, तो पता चला कि वहां तीन-चार टिड्डे दिखे थे। इनमें से एक का पैर बांध कर पप्पू खेल रहा था।
मास्क लगाइए, दूर रहिये
बुधवार को शहर से थोड़ी दूर एक गांव में जाना हुआ। गांव में प्रत्येक व्यक्ति को मास्क लगाए देख मैं दंग रह गया। थोड़ी देर के लिए वहां रुका। मुझे लगा कि इनसे सबक लेना चाहिए। एक ग्रामीण से पूछा, भाई साहब, यहां के लोग बहुत जागरूक हैं। वह पास आए और मास्क हटाकर बोले, हमें क्या देहाती समझते हैं। बहुत जागरूक हैं हम। यह सब देख बगल से गुजर रहे एक चाचा जी नाराज हो गए और पास आकर बोले, दूर हटिये। चाचा जी की नाराजगी देखकर गांव के कई और लोग मौके पर आ गए। सभी उनसे पूछने लगे कि आखिर हुआ क्या है। चाचा जी का गुस्सा सातवें आसमान पर था। बोले, बताइए इन्हें कोई तमीज ही नहीं है। चेहरे से मास्क हटाकर इतने करीब से आपस में बातें कर रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए इन दोनों पर ध्यान बहुत जरूरी है।
कार्ड से खेती करें या विवेक से
दो वर्ष पूर्व मिट्टी की रैंडमली जांच करके करीब चार लाख किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया गया। गांव में यदि किसी एक के खेत में नाइट्रोजन कम है, तो दूसरे छोर वाले को भी वही बताया गया। बेचारा किसान खेत में नाइट्रोजन झोंक कर थक गया, लेकिन फसल उत्पादन में कोई सुधार नहीं हुआ। ऐसा सिर्फ एक के साथ नहीं, बल्कि हर किसान की यही कहानी है। इनमें से कुछ का भला हो गया। वर्ष भर पहले प्रत्येक विकास खंड में एक-एक गांव माडल के रूप में चयनित किया गया, तो खेतों की फिर से जांच हुई। इस बार जांच अलग-अलग हुई, तो पता चला कि खेत में नाइट्रोजन पर्याप्त है। फास्फोरस कम है। कुछ किसानों ने नई जांच के आधार पर खेती की तो नतीजे भी अ'छे मिले। अब जिले के तमाम किसान चिंतित हैं। सोच रहे हैं, कार्ड के आधार पर खेती करें यह अपने विवेक से।