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चौपाल-मददगारों की भीड़ में स्वार्थी तत्व Gorakhpur News

पढ़ें गोरखपुर से जितेन्‍द्र पांडेय का साप्‍ताहिक कॉलम-चौपाल...

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 10:42 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 10:42 PM (IST)
चौपाल-मददगारों की भीड़ में स्वार्थी तत्व Gorakhpur News
चौपाल-मददगारों की भीड़ में स्वार्थी तत्व Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। आपदा के समय तमाम लोग मदद के लिए आगे आते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं, जो मददगारों की भीड़ में अपना स्वार्थ साधते हैं। कोरोना संकट के दौरान कुछ ऐसा ही हो रहा है। मदद के नाम पर ऐसे लोगों ने भी पास हासिल कर लिया है, जिनके लिए यह आपदा किसी त्योहार की तरह है। लोगों को जरूरत का सामान पहुंचाकर दो का पांच वसूल रहे हैं। एहसान जताते हैं सो अलग से। बीते रविवार की बात है, शहर के उत्तरी छोर के एक मोहल्ले में सब्जियां लेकर ठेला वाला पहुंचा। उसकी आवाज सुन लोग थैला लेकर बाहर निकले। फिजिकल डिस्टेंस का पालन करते हुए खड़े हो गए। सब्जियां मुरझाई थीं, लेकिन रेट तीन गुना अधिक। लोग कुछ बोलें, इससे पहले ठेले वाले ने ज्ञान बांटा, कहा कि रुपये की चिंता न करिए यह जीवन से ज्यादा जरूरी नही हैं। जो मिल रहा है, वही बहुत है।

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साहब, यह छूट किस काम की

लॉकडाउन का मतलब क्या होता है, नत्थू काका नहीं जानते, लेकिन कोरोना जैसी घातक बीमारी को रोकने के लिए सरकार के इस कदम की सराहना करते हैं। इसके साथ ही खेतों में पड़ी सब्जी की फसल को लेकर भी वह चिंतित हैं। गांव के बेचई, लल्लू-कल्लू से भी इस पर चर्चा कर चुके हैं। यह पीड़ा सिर्फ काका की नहीं, बल्कि गांव के तमाम किसानों की है। दो दिन पूर्व बेचई को पता चला कि बड़े साहब ने फरमान जारी किया है कि किसान अपनी उपज मंडी ले जा सकते हैं। अब उन्हें कोई रोकेगा, टोकेगा नहीं। बेचई ने यह बात काका को बताई। फिर भी काका परेशान दिख रहे हैं। वह कहते हैं, छूट तो ठीक है, पर किस मंडी में सब्जियां लेकर जाएं। पहले तो चौराहे पर बेच लेते थे। अभी न कोई स्थल चिह्नित हुआ और न ही वाहन व उसके पास की व्यवस्था हो सकी है।

सदमे से उबर रहे नेताजी

नेता जी का दर्द कोरोना के खौफ पर भी भारी है, लेकिन माहौल को देखते हुए वह लाचार हैं, लिहाजा धीरे-धीरे सदमे से उबर रहे हैं। मामला एक क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी में जिले के मुखिया की कुर्सी पर आसीन होने का है। पिछले दिनों यह कुर्सी खाली चल रही थी। कुर्सी हथियाने वालों की दौड़ में आधा दर्जन से अधिक लोग शामिल थे। इनमें कुछ ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने पूर्व में इस कुर्सी का आनंद लिया था। नेता जी को पूरी उम्मीद थी कि इस बार पार्टी उन्हें ही मौका देगी। पार्टी ने अपना फैसला सुनाया और दूसरे को मुखिया की कुर्सी सौंप दी। अब नेता जी सदमे में आ गए। शुभचिंतक उन्हें फोन करते तो वे पार्टी के लिए अपने त्याग और बलिदान की गाथा सुनाने लगते। एक शुभचिंतक ने उन्हें सलाह दी कि फिलहाल बैठक अथवा विरोध प्रदर्शन नहीं हो सकता, इसलिए उचित समय का इंतजार करिए।

कोरोना ने दिला दी छुट्टी

किसानों के सुख-दुख का खयाल रखने वाले एक विभाग के कर्मचारी इस समय थोड़ी राहत में दिख रहे हैं। पहले सुबह से शाम तक वह एक ही काम में उलझे थे कि किसी तरह से सम्मान निधि के लाभार्थियों का डाटा सुधर जाए। करीब सवा लाख लोगों का डाटा सुधारने के लिए सत्यापन उनके लिए आसान नहीं था। इस काम को मार्च में ही पूरा करना था। साथ ही चतुर्थ किस्त भी खाते में जानी थी। इसी बीच कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए जनता की ओर से जनता कफ्र्यू लगाया गया। कर्मचारियों को लगा कि उनकी मुसीबत और बढ़ गई, लेकिन प्रधानमंत्री की ओर से पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा के बाद उन्हें बड़ी राहत मिली है। कर्मचारी इस समय फोन पर सलाह दे रहे हैं, स्वच्छता अपनाएं। डेढ़ मीटर की दूरी पर रहें। दिन में कई बार साबुन से हाथ धुलें। घर से बाहर न निकलें।


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