बिंब-प्रतिबिंब : ऑनलाइन का फेर, छोटे हुए बड़े नेता Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से डा. राकेश राय का साप्ताहिक कॉलम-बिंब प्रतिबिंब...
डॉ. राकेश राय, गोरखपुर। कोरोना संक्रमण ने जब पूरी दुनिया की व्यवस्था को उलट-पुलट करके रख दिया है, तो हमारे नेता इससे कैसे अछूते रह सकते हैं। कार्यकर्ताओं से मेलजोल के नजरिये से देखा जाए, तो इन दिनों ऑनलाइन आयोजनों के चक्कर में बड़े-बड़े नेताओं का कद छोटा होता दिख रहा है। छोटे नेताओं की जिन तक पहुंच नामुमकिन होती थी, वह अब बेहद आसान हो गई है। फूल वाली पार्टी के वर्चुअल सम्मेलन में यह खूब देखने को मिला। विधानसभा क्षेत्रवार हुए हर सम्मेलन में केंद्रीय या प्रदेश स्तरीय मंत्रियों की मौजूदगी रहती थी। जिन नेताओं व मंत्रियों से छोटे कार्यकर्ताओं का मिलना भी मुश्किल होता था, वह वर्चुअल ही सही पर उनसे सीधे मुखातिब थे। बड़े नेताओं का कद छोटा होने का अहसास तब हुआ, जब एक स्थानीय छोटे नेता सार्वजनिक स्थल पर यह कहते नजर आए कि छोटे-बड़े का मतलब ही क्या, जब स्क्रीन पर सब बराबर नजर आ रहे हैं।
बच्चों के लिए बहने लगी उल्टी गंगा
कोरोना के चलते स्कूल बंद हैं, सो लगभग सभी स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई का रास्ता अख्तियार कर लिया है। पढ़ाई चाहे लाइव क्लास में चल रही हो या रिकार्डेड वीडियो लेक्चर के जरिये, सभी में बच्चों को घंटों मोबाइल या कंप्यूटर पर आंख गड़ाना पड़ रहा है। मजे की बात यह है कि कल तक जब यही बच्चे मोबाइल-कंप्यूटर पर वक्त देते थे, तो उन्हें अभिभावकों की उपदेशात्मक फटकार सुननी पड़ती थी, पर अब उन्हें ऐसा न करने पर फटकार और उपदेश सुनना पड़ रहा है। बदली परिस्थितियों में अभिभावकों के यू टर्न लेने को यदि यह कहा जाए कि अब उलटी गंगा बह चली है, तो गलत नहीं होगा। बीते दिनों ऑनलाइन पढ़ाई के लिए दबाव बनाने पर एक बच्चे का अपने पिता पर किया गया तंज बदलाव की तस्वीर दिखा गया। बच्चा बोला, कल तक जिस मोबाइल से आंखें फूटती थीं अब तो उससे रोशनी बढ़ रही है।
पड़ोसी ही काम आते हैं
सदी के महानायक कहे जाने वाले फिल्म अभिनेता बीते दिनों कोरोना पॉजिटिव हो गए। जानकारी मिलते ही देश भर के लोग उनके लिए गमजदा हो गए। सोशल मीडिया पर उनकी सलामती के लिए दुआ मांगने की होड़ सी लग गई। अभिनेता के लिए दुआ मांगने वालों में एक व्यक्ति ऐसे भी थे, जो पड़ोसी की सलामती की दुआ मांगना तो दूर, गलती से कभी उनका हालचाल लेना भी मुनासिब नहीं समझते। पड़ोसी की नजर जब उनके दुआ वाले पोस्ट पर पड़ी, तो उससे रहा नहीं गया। उसने भी बड़ी सफाई से फेसबुक पर तंज भरा पोस्ट लिख मारा- बुरे वक्त में पड़ोसी ही काम आते हैं। इस पर एक अन्य सज्जन ने अपनी प्रतिक्रिया दी। लिखा, कोरोना से पूरा देश लड़ रहा है। हमें कोरोना योद्धाओं का हौसला बढ़ाने के साथ ही हर उस व्यक्ति के लिए दुआ करने की जरूरत है, जो कोरोना के संक्रमण का शिकार हुए हैं।
कोरोना नहीं खुद से कर रहे धोखा
कोरोना वायरस ने बीते कुछ दिनों में शहर में तेजी से पांव पसारा है। शायद ही कोई मोहल्ला हो, जहां दो-चार संक्रमित न मिले हों। बारी-बारी से थानावार प्रतिबंध का सिलसिला भी शुरू हो गया है, लेकिन गौर करने की बात है कि उन्हीं व्यक्तियों में संक्रमण का पता चल पा रहा है, जिनकी या तो ट्रेवेल हिस्ट्री है या फिर स्वास्थ्य विभाग की नजर में वह किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हों। बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग हैं, जिनमें कोरोना के लक्षण तो हैं, लेकिन कोरोना रोगी कहलाने के डर से वह इसको या तो नजरअंदाज कर रहे या छिपा रहे हैं। बीते दिनों कई लोग यह कहते देखे गए कि खुद कौन पंगा लेगा, जब कुछ होगा तो देखा जाएगा। यह जानकारी जब एक वरिष्ठ चिकित्सक तक पहुंची, तो उन्होंने बेबाकी से कहा कि ऐसे लोग कोरोना को नहीं खुद को धोखा दे रहे हैं।