गोरखपुर, जागरण संवाददाता। ठंड कम होने से लोगों ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी है। इस वजह से हृदय, न्यूरो व निमोनिया की दिक्कतें बढ़ गई हैं। जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इन बीमारियों के रोगियों की संख्या बढ़ी है। विशेषज्ञों ने धूप के धोखे में न आने और ठंड से बचने की सलाह दी है।

कम हो रही ठंड में इन बीमारियों का दबदबा

कम होती ठंड में हृदय, चेस्ट व ब्रेन स्ट्रोक की दिक्कतें बढ़ी हैं। चेस्ट, बाल रोग व हृदय रोग विभाग में गंभीर रोगी आ रहे हैं। इनमें 10 प्रतिशत रोगियों को भर्ती करना पड़ रहा है। अनेक में रक्तचाप व मधुमेह का स्तर बढ़ा हुआ मिल रहा है। ब्रेन स्ट्रोक का यही मूल कारण सामने आया है।

हर दिन आ रहे दो हजार मरीज

15 दिन पहले जब ठंड ज्यादा थी तो जिला अस्पताल के ओपीडी में आने वाले रोगियों की संख्या 1200 के आसपास थी, अब प्रतिदिन इनकी संख्या दो हजार के करीब पहुंच गई है। हार्ट फेल्योर, हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक के मामले काफी बढ़ गए हैं। सरकारी व निजी अस्पतालों में सीने में दर्द, सांस फूलने, नाक से खून बहने व लकवा के रोगी पहुंच रहे हैं।

दवाएं नियमित लेते रहें

जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि ठंड में रक्त गाढ़ा हो जाता है। इसलिए रक्तचाप के रोगियों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। अभी तक हार्ट फेल्योर या हार्ट अटैक के जितने भी रोगी आए, सभी का रक्तचाप बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ था। ऐसे मौसम में रोगी घर के अंदर रहें। गरम कपड़े पहनें। ठंड से बचकर ही व्यायाम करें। दवाएं नियमित लेते रहें।

ठंड से बचकर रहें

फिजिशियन डॉ बीके सुमन ने बताया कि रक्तचाप व मधुमेह के रोगी ठंड से बचकर रहें। रक्तचाप के साथ यदि मधुमेह हो तो ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ब्रेन स्ट्रोक होने पर प्रथम चार घंटे गोल्डन आवर होते हैं। यदि इस बीच रोगी चिकित्सक के पास पहुंच जाएं तो पूरी तरह से ठीक हो सकता है और स्ट्रोक का प्रभाव भी कम हो जाता है।

Edited By: Pragati Chand