बैगन की खेती से तरक्की की राह पर ग्रामीण, उपज को मिल रही अच्छी कीमत Gorakhpur News
बैगन की खेती से ग्रामीणों की सुधर रही आर्थिक स्थिति रोजगार के अवसर भी
गोरखुपर, जेएनएन :सिद्धार्थनगर के खेसरहा विकास खंड के ग्राम डड़ीया ताल के आधे से अधिक ग्रामीणों के लिए बैगन की खेती ने समृद्धि का द्वार खोल दिया है। एक दशक पूर्व तक सिर्फ झुग्गी झोपड़ी के आशियाने में हो रहे परिवार का गुजर बसर अब जमाने जी बात हो गई। सभी के पास पक्के मकानों से उसमें हर आधुनिक सुविधाएं भी हैं। अब तो इन्हें अपनी उपज को बाजार भी नहीं ले जाना पड़ता । जनपद सहित पड़ोसी जनपद महराजगंज व संतकबीरनगर तक के व्यापारी इनके खेतों में पहुंच उनकी उपज को अच्छी कीमत पर खरीद ले रहे हैं।
एक दशक पूर्व इन्होंने की थी शुरुआत
बैगन की खेती का शुभारंभ मन्ने गौढ़ व अमिका सहानी ने एक दशक पूर्व किया। गांव के जग्गू, हीरा, पुजारी, भग्गू, कोईल, चंद्रभूषण, केशव, श्रीपत, हरिराम, अर्जुन, मन्शू गौड़, दूधनाथख् बनारसी शर्मा व पांचू आदि आधे गांव के लोग इससे समृद्धिशाली हो गए हैं। गांव में हर किसी के घर पक्के हैं। सभी के घरों पर मोटर साइकिल सहित आधुनिक घरेलू उपकरण भी मौजूद है।
बोले किसान
गांव के जगन साहनी का कहना है बैगन की खेती में लाभ तो बहुत है। बैगन में इतने कीड़े लगते हैं हर दूसरे दिन पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है। इस खेती में मेहनत बहुत अधिक है। गंगाराम यादव का कहना है इसका बीज बहुत ही महंगा मिलता है। प्रति किलोग्राम 20000 से 25000 तक मिलता है। इसका बीज मई महीने में डाला जाता है । पौधे अंकुरित होने के बाद खेत तैयार करके उसमें रोपा जाता है । कई बार निराई करनी पड़ती है। प्रत्येक पेड़ों में खाद डालनी पड़ती है, अगर फसल सही लग जाए तो प्रति बीघा 80000 से 100000 तक की आमदनी होती है। सोनमती का कहना है बाबू हम अपने बच्चों को लेकर इसी बैगन की खेती में लगे रहते हैं । इस खेती से पूरे परिवार का खर्च चलता है। और मेरी गरीबी दूर होती दिखाई दे रही।
इन गांवों में भी शुरू हुई खेती
अब डड़िया ताल ही नहीं बल्कि अगल- बगल के गांवों ने यहां के किसानों से प्रेरणा ले अपने को इस खेती से समृद्धि बनाने की ओर अग्रसर हैं । जो इस खेती में अग्रसर हुए उनमें से कुडजा, गेगटा, चोर ईताल, बंजरहा आदि गांव प्रमुख हैं ।