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Electricity corporation: लखनऊ से आ रही विजिलेंस, गड़बड़ी स्वीकारने का 20 फरवरी तक मौका

विजिलेंस की टीम जिले में एक हफ्ते से ज्यादा समय तक रहेगी। टीम खुद अपना रूट तय करेगी या मुख्य अभियंता की ओर से बताए गए इलाके में जाएगी। टीम के साथ परीक्षण खंड के भी अफसर रहेंगे।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 11:31 AM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 06:36 PM (IST)
Electricity corporation: लखनऊ से आ रही विजिलेंस, गड़बड़ी स्वीकारने का 20 फरवरी तक मौका
बिजली विभाग की विजिलेंस टीम की जांच के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। बिजली मीटर में शंट लगा हो या किसी अन्य विधि से छेड़छाड़ की गई हो तो 20 फरवरी के पहले स्वीकार कर लें। इसके बाद मीटर में किसी तरह की छेड़खानी पर बिजली निगम एफआइआर कराएगा और भारी-भरकम जुर्माना जमा करना पड़ेगा। 21 फरवरी से लखनऊ की बिजली निगम की विजिलेंस टीम जिले में छापेमारी करेगी। टीम ने अपने हिसाब से क्षेत्र का चयन करेगी और एक-एक घर की जांच कर गड़बड़ी मिलने पर तत्काल एफआइआर कराएगी।

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बिजली चोरी के मामले लगातार मिलने के बाद बिजली निगम ने लखनऊ से विजिलेंस टीम बनाकर जांच शुरू करा दी है। टीम देवरिया जिले में जांच कर रही है। यहां बड़े पैमाने पर चोरी मिलने की खबर है।

एक हफ्ते से ज्यादा समय रहेगी टीम

विजिलेंस की टीम जिले में एक हफ्ते से ज्यादा समय तक रहेगी। टीम खुद अपना रूट तय करेगी या मुख्य अभियंता की ओर से बताए गए इलाके में जाएगी। टीम के साथ परीक्षण खंड के भी अफसर रहेंगे ताकि मीटर में मिलने वाली गड़बड़ी की तत्काल जांच कराई जा सके। उपभोक्ता यदि कोई आपत्ति करता है तो इसका समाधान भी मौके पर कराने की योजना है।

घने इलाकों और गांवों में ज्यादा है लाइनलास

बिजली निगम का सबसे ज्यादा जोर घने इलाकों और ज्यादा लाइनलास वाले इलाकों की जांच पर है। घने इलाकों में कटिया डालकर बिजली जलाने के मामले अब भी मिल रहे हैं। यही हाल गांवों का भी है। कई जगहों पर तो बिजली निगम से जुड़े कुछ कर्मचारियों पर ही बिजली चोरी कराने के आरोप लगते रहते हैं।

21 फरवरी को आएगी टीम

मुख्‍य अभियंता देवेंद्र सिंह का कहना है कि विजिलेंस की टीम 21 फरवरी को जिले में आ जाएगी। स्थानीय टीम के साथ छापामार अभियान चलाया जाएगा। जिन उपभोक्ताओं के मीटर में शंट लगाने या किसी अन्य तरह की कोई गड़बड़ी हुई हो, वह इसकी जानकारी दे दें। ऐसे उपभोक्ताओं के खिलाफ एफआइआर नहीं दर्ज कराई जाएगी और नाममात्र का शमन व राजस्व निर्धारण शुल्क जमा कराया जाएगा।


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