Lockdown 3: सब्जी बाजार में संभल-संभल कर कदम उठा रहे सप्लायर, मिल रही मायूसी Gorakhpur News
गोरखपुर की सब्जी मंडी में थोक बिक्रेता काफी परेशान चल रहे हैं। एक कम मांग के चलते सब्जियां कम आ रही हैं और दूसरे कच्चा माल होने के चलते खराब होने का भय बना रह रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। थाली की जरूरतों को पूरा करने वाला सब्जी बाजार सदमे में है। लॉकडाउन-3 में मिली सशर्त छूट के बावजूद आवक और ब्रिकी गति नहीं पकड़ पा रही है। कच्चा माल होने से व्यापारी भी संभलकर माल मंगवा रहे हैं तो उपभोक्ताओं के सामने व्यवहारिक कठिनाइयां भी हैं। फलस्वरूप सब्जियों की थोक मंडी की न सिर्फ रौनक कम हुई है बल्कि सप्लाई चेन भी ब्रेक हो चुकी है। इससे व्यापारी काफी मायूस हैं।
पहले आती थीं 60 गाडि़यां, अब मुश्किल से आ रहीं 10 गाडि़यां
सब्जी मंडी के थोक व्यापारी प्रमोद गुप्ता के मुताबिक लॉकडाउन से पूर्व मंडी में नियमित रूप से 55 से 60 गाडिय़ां आती थीं। इनमें टमाटर की 20, गोभी की पांच, कटहल की पांच, परवल आठ, हरी मिर्च 10 तथा नेनुआ, भिंडी और करेला की करीब आठ से दस गाडिय़ां रोज आती थीं।
महेवा मंडी से होती है कटहल और टमाटर की आपूर्ति
गोरखपुर-बस्ती मंडल में कटहल और टमाटर की आपूर्ति भी महेवा मंडी से होती है। अब मंडी में सब्जी लेकर आने वाली गाडिय़ों की संख्या 20 से 25 के बीच रह गई है। जब लॉकडाउन लगा तथा उस समय 75 फीसद सब्जियों की आपूर्ति बंगाल से हो रही थी। स्थानीय स्तर पर नेनुआ, भिंडी, लौकी और बैगन की आवक बढऩे से बाहर से आने वाली सब्जियों की मांग पर असर पड़ा है। बंगाल से आने वाली सब्जियों पर प्रति किलो पांच-सात रुपये खर्च आता है, लेकिन मंडी में खरीदार न होने से व्यापारियों एवं किसानों की लागत नहीं निकल पा रही।
नौ रुपये में खरीदकर 10 रुपये किलो बेचा
हल्दीबाड़ी (पश्चिम बंगाल) के मिर्चा कारोबारी बिदुर सरकार के मुताबिक किसानों से नौ रुपये किलो मिर्चा खरीदकर मंडी में दस रुपये किलो बेचना पड़ा, जबकि प्रति किलो पांच रुपये भाड़ा और कमीशन में चला गया। बलिया के परवल कारोबारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि माल पहुंचने में देरी और ग्राहकों की कमी के कारण गाड़ी का भाड़ा निकालना भी मुश्किल हो जाता है। दूसरी तरफ माल की ब्रिकी घटने और सब्जियों के सडऩे से स्थानीय आढ़तियों को आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है।