UP Nikay Chunav 2023: गोरखपुर-बस्ती मंडल में नई सीटें निकायों में बनाएंगी नया समीकरण, 7 जिलों में होंगे चुनाव
गोरखपुर-बस्ती मंडल के सात जिलों में पिछले चुनाव में सर्वाधिक सीटें जीतने वाली भाजपा के सामने इस बार जीत का अंतर बढ़ाने की चुनौती होगी। वहीं सपा से भी ज्यादा सीटें जीतने वाले निर्दल बदले आरक्षण में कइयों के लिए मुश्किल खड़ी करेंगे।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। UP Nagar Nikay Chunav 2023: लंबे इंतजार के बाद चुनावी परिणाम की तरह जारी हुई निकायों की आरक्षण सूची ने माहौल बना दिया है। गोरखपुर बस्ती मंडल के सात जिलों में जिन 81 नगर निकायों में मतदान होंगे, उसमें 33 सीटें नई हैं। पिछली बार की 48 में सर्वाधिक 17 पर कब्जा जमाने वाली भाजपा जहां सीटों की संख्या बढ़ाने के गणित पर काम करेगी तो निर्दल से भी पीछे रह गई सपा के लिए चुनाव करो या मरो की तरह होगा।
लोकसभा चुनाव का सेमीफानल माना जा रहा निकाय चुनाव
लोकसभा का सेमीफाइनल माने जा रहे निकाय चुनाव के जरिये राजनीतिक दल न केवल अपनी तैयारी परखेंगे बल्कि संगठन को भी मजबूत करेंगे। ग्राम और क्षेत्र पंचायत के मुकाबले शहरी माने जाने वाले नगरीय निकायों के मतदाताओं को साध लेने वाली पार्टी के लिए आगामी लोकसभा चुनाव की राह कुछ जरूर आसान हो जाएगी।
जातिगत भागीदारी के आधार पर जारी आरक्षण सूची में बड़ा बदलाव कुशीनगर में नजर आया। पिछली बार जहां इस जनपद में एक भी सीट सामान्य श्रेणी की नहीं थी, वहीं इस बार नई छह में चार और दो पुरानी सीटें भी सामान्य के लिए आरक्षित कर दी गईं। यह सीटें वहां कइयों की गणित बना और बिगाड़ देंगी।
07 जिले हैं गोरखपुर बस्ती मंडल में
- 81 सीटों पर होंगे नगर निकाय के चुनाव
- 01 नगर निगम है गोरखपुर में
- 33 नगर पंचायतों में पहली बार होंगे चुनाव
- 11 नगर पालिकाएं हैं दोनों मंडलों में
- 69 नगर पंचायतों में चुने जाएंगे चेयरमैन
पहली बार अनारक्षित हुआ महापौर का पद
शासन की ओर से महापौर पद के लिए जारी आरक्षण के बाद स्थिति साफ हो गई है। पहली बार गोरखपुर नगर निगम के महापौर का पद अनारक्षित होने जा रहा है। इस सूची के साथ ही आरक्षण को लेकर लगाई जा रही तमाम अटकलों पर भी विराम लग गया है। इस सीट पर हमेशा आरक्षण रहा है।
दिसंबर महीने की पांच तारीख को नगर निगम के महापौर पद का आरक्षण सामने आते ही कई लोगों की वर्षों पुरानी मनोकामना पूरी हो गई थी। लेकिन जल्द ही चुनाव स्थगित हो जाने और नए सिरे से आरक्षण जारी करने की सूचना के बाद आरक्षण में बदलाव की अटकलें लगाई जा रही थीं। यह माना जा रहा था कि एक बार फिर यह सीट आरक्षित हो सकती है लेकिन गुरुवार को जारी अनंतिम सूची के बाद स्थिति लगभग साफ हो चुकी है। अनारक्षित सीट जारी होने के बाद पुराने दावेदार एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। जैसे-जैसे लोगों को आरक्षण की जानकारी हुई, सभी ने सक्रियता बढ़ा दी।
राजनीतिक दलों की ओर से भी सक्रियता बढ़ा दी गई है। टिकट को लेकर भाजपा में सबसे अधिक दावेदारी रहेगी। नए क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय शुक्रवार को गोरखपुर आएंगे। एक दिन पहले सूची आने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि उनके समक्ष शक्ति प्रदर्शन करने की होड़ मचेगी।
यह रही थी स्थिति
वर्ष 1994 में नगर निगम के गठन के बाद से महापौर का पद तीन बार अन्य पिछड़ा वर्ग, एक बार अन्य पिछड़ा वर्ग महिला और एक बार महिला के लिए आरक्षित रहा है। एक बार को छोड़कर हर बार इस पद पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा रहा है। एक बार ट्रांसजेंडर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी महापौर बनीं थीं। हालांकि, तब भी यह सीट आरक्षित थी। 12 फरवरी 1989 से 22 फरवरी 1994 तक पवन बथवाल नगर प्रमुख थे। उन्हीं के कार्यकाल में नगर महापालिका से नगर निगम वजूद में आया था। पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा के राजेंद्र शर्मा नगर निगम के पहले महापौर बने थे।
यह रही थी महापौर पद की स्थिति
महापौर-आरक्षण-साल
राजेंद्र शर्मा-अन्य पिछड़ा वर्ग- 1995
अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी-अन्य पिछड़ा वर्ग महिला-2000
अंजू चौधरी-अन्य पिछड़ा वर्ग-2006
डॉ. सत्या पांडेय- महिला-2012
सीताराम जायसवाल-अन्य पिछड़ा वर्ग-2017