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कालानमक चावल को ब्रांड बनाएगी यूपी सरकार, इसकी खुश्‍बू और स्‍वाद है बेमिसाल Gorakhpur News

यूपी की योगी सरकार कालानमक चावल को भी बासमती की तरह देश ही नहीं दुनिया में भी ब्रांड बनाने की तैयारी में है। कालानमक की खुश्‍बू और स्‍वाद बेमिसाल है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sat, 31 Aug 2019 03:51 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 01:28 PM (IST)
कालानमक चावल को ब्रांड बनाएगी यूपी सरकार, इसकी खुश्‍बू और स्‍वाद है बेमिसाल Gorakhpur News
कालानमक चावल को ब्रांड बनाएगी यूपी सरकार, इसकी खुश्‍बू और स्‍वाद है बेमिसाल Gorakhpur News

गोरखपुर, शैलेन्‍द्र श्रीवास्‍तव। पूर्वांचल का कालानमक। खुशबू और स्वाद में बेमिसाल होना, इसकी खूबी है। चावल की बाकी प्रजातियों की तुलना में आयरन और जिंक की अधिक मात्रा के नाते यह सेहत के लिए भी मुफीद है। इन खूबियों से भरपूर कालानमक को योगी सरकार बासमती की तरह देश ही नहीं दुनिया में भी ब्रांड बनाने की तैयारी में है। इसकी संभावनाओं पर मंथन के लिए अगले माह 11 सिंतबर को देश के बड़े चावल निर्यातक सिद्धार्थनगर में जुटेंगे।

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कालानमक के लिए सिद्धार्थनगर की मिट्टी है अनुकूल

तथागत गौतम बुद्ध की क्रीड़ास्थली सिद्धार्थनगर जनपद को कालानमक का मूल स्थान माना जाता है। पहले यहां के कालानमक को ही असली माना जाता था, पर वैज्ञानिकों की राय थी कि समान कृषि जलवायु क्षेत्र वाले जिलों में भी समान गुणवत्ता का कालानमक चावल पैदा हो सकता है। वर्ष 2012 में इसी आधार पर जिन 11 जिलों को कालानमक के लिए भौगोलिक (संकेतक जीआइ) सिद्धार्थनगर के अलावा बस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती और बहराइच भी शामिल हैं। इसके नाते कालानमक की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अगर सरकार के प्रयास रंग लाते हैं तो इन जिलों के करोड़ों किसानों की किस्मत बदल जाएगी।

पिछले साल 35 हजार हेक्टेयर में हुई थी इसकी खेती

पिछले साल पूर्वांचल में करीब 35 हजार हेक्टेयर में इसकी खेती हुई थी। अन्य जिलों में इसकी खेती का तेजी से विस्तार हो रहा है। प्रोत्साहन के लिए बाईबैक की गारंटी के साथ खेती को प्रोत्साहन देना होगा। गुणवत्ता के लिए सही बीज के चयन, समय से नर्सरी एवं रोपाई, भंडारण के लिए वेयर हाउस, प्रसंस्करण, ब्रांडनेम जरूरी होगा।

'एक जिला एक उत्पाद' में शामिल कालानमक

भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। अधिकांश निर्यात बासमती का होता है। ब्रांडिंग और गुणवत्ता नियंत्रण से इसका कुछ हिस्सा कालानमक को भी मिल सकता है। यूं भी पूर्वांचल के लोग देश-दुनिया में हर जगह हैं। इनमें से अधिकांश कालानमक के मुरीद है। ऐसे में इसकी संभावना बढ़ जाती है। कालानमक, सिद्धार्थनगर के 'एक जिला एक उत्पाद' में शामिल है। ओडीओपी को प्रमोट करने की जिम्मेदारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग की है। नवनीत सहगल इसके प्रमुख सचिव हैं।


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