पूर्वांचल में कांग्रेस के पास नहीं बचा कोई बड़ा चेहरा, आरपीएन के बाद नेतृत्व विहिन की स्थिति में पार्टी
UP Vidhan Sabha Chunav 2022 कांग्रेस के कद्दादाव नेता रहे आरपीएन सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं बचा हे। आरपीएन के पहले जगदंबिका पाल पूर्वांचल में कांग्रेस के बड़ा चेहरा हुआ करते थे।
गोरखपुर, जेएनएन। कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे आरपीएन सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद पूर्वांचल में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं बचा है। आरपीएन सिंह के पहले पूर्वांचल में कांग्रेस के सबसे बड़े नाम जगदंबिका पाल हुआ करते थे, जगदंबिका पाल ने 2014 के पहले पार्टी छोड़ दी। गोरखपुर के लिए बड़े नाम डॉ. संजयन त्रिपाठी व काजल निषाद पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं। अब आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ने के बाद पूर्वांचल में कांग्रेस नेतृत्व विहिन जैसी स्थिति में आ गई है, हलांकि आरपीएन सिंह के गृह जनपद कुशीनगर से ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू भी आते हैं। दो बार के विधायक अजय कुमार लल्लू कांग्रेस पार्टी के भीतर सांगठनिक रूप से मजबूत स्थिति में हैं लेकिन जगदंबिका पाल आरपीएन सिंह की तुलना में आम लोगों के बीच इनकी कम चर्चा होती है।
कुशीनगर की सात सीटों पर गड़बड़ाया सभी पार्टियों का गणित
कुशीनगर जिले में कुल सात सीट विधान सभा सीट है। जिले की खड्डा, पडरौना, तमकुही राज, फाजिलनगर, कुशीनगर, हाटा और रामकोला सीट पर आरपीएन सिंह का सीधा प्रभाव है। आरपीएन के कांग्रेस में जाने का असर केवल कांग्रेस ही नहीं सपा, बसपा और भाजपा पर भी पड़ेगा। अभी तक पडरौना विधान सभा सीट से विधायक रहे भाजपा छोड़कर सपा में गए स्वगी प्रसाद मौर्य भी अपनी सीट बदलकर फाजिलनगर से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि आरपीएन सिंह बैकवर्ड मतदाताओं पर खासा असर पड़ेगा। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा।
आरपीएन के जाने के बाद कांग्रेस में भगदड़
आरपीएन सिंह के कांग्रेस में जाने के बाद कुशीनगर में कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति है। आरपीएन के साथ ही कुशीनगर के जिलाध्यक्ष राजकुमार सिंह जिल मीडिया प्रभारी रहे शमशेर मल्ल ने भी पार्टी छोड़ दी। आरपीएन सिंह के पार्टी छोड़ने के पहले 2017 में कांग्रेस की बड़ी नेता शशि शर्मा ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। शशि शर्मा 1985 में फाजिलनगर विधानसभा से विधायक बनी थीं। शशि शर्मा के पिता रामयण राय फाजिलनगर से दो बार विधायक रह चुके हैं।
फाजिलनगर विधानसभा से ताल ठोंक सकते हैं स्वामी प्रसाद
आरपीएन सिंह के भाजपा ज्वाइन करने के बाद बदले चुनावी समीकरण में भाजपा छोड़कर सपा में गए स्वामी प्रसाद मौर्य भी अब अपनी रणनीति बदल रहे हैं। चर्चा है कि मौर्य अब पडरौना की जगह फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। चनऊ और कुशवाहा बहुल यह सीट जातिगत समीकरण के हिसाब से स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए अनुकूल मानी जा रही है। हालांकि, सपा के पदाधिकारी अभी इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
गोरखपुर में भी हो चुकी है बड़ी टूट
वर्ष 2012 के बाद गोरखपुर में कई कांग्रेसियों ने पार्टी छोड़ी। किसी ने सपा ज्वाइन किया तो किसी ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली। कभी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे संजीव सिंह रुद्रपुर देवरिया से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। वह अब भाजपा में हैं। वर्ष 2012 में कांग्रेस के टिकट पर ग्रामीण विधानसभा से प्रत्याशी रहीं काजल निषाद ने सपा का दामन थाम लिया है। कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 2007 में कौड़ीराम विधानसभा से चुनाव लड़ने वाले डॉ. संजयन त्रिपाठी ने बाद में अपना समय समाज पार्टी बना ली थी।
वर्ष 2007 में कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर विधायक बने और वर्ष 2012 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले माधो पासवान इस समय समाजवादी पार्टी में हैं। माधो पासवान वर्ष 2012 में चुनाव हार गए थे। वर्ष 2014 में कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर बांसगांव लोकसभा सीट से भाग्य आजमाने वाले डॉक्टर संजय प्रसाद इस समय समाजवादी पार्टी में हैं। वर्ष 2017 में पंजा चुनाव चिन्ह पर कैंपियरगंज से विधानसभा चुनाव लड़ने वाली चिंता यादव इस समय समाजवादी पार्टी में हैं। चिंता यादव समाजवादी पार्टी से जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।