UP Budget 2022: आयुष विश्वविद्यालय के संचालन की राह हुई आसान, वनटांगिया समुदाय को भी मिली सौगात
यूपी के पहले आयुष विश्वविद्यालय को प्रदेश सरकार की तरफ से बड़ी सौगात मिली है। ऐसे में इसके निर्माण में और तेजी आएगी। बजट में इसके लिए 113.52 करोड़ रुपये मिले हैं। वहीं बजट को लेकर वनटांगिया समुदाय के लोगों में भी खुशी की लहर है।
गोरखपुर, जागरण टीम। गोरखपुर जिले के भटहट के पास पिपरी में बन रहे प्रदेश के एकलौते महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के संचालन की राह आसान हो गई है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए बजट में 113.52 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है। इससे बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) संचालित करने, चिकित्सक-शिक्षकों की नियुक्ति व चिकित्सा उपकरणों की खरीद हो सकेगी। छह माह में ओपीडी संचालित करने की योजना है।
कुलपति प्रो. एके सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय का निर्माण चल रहा है। अब शासन ने बजट का प्रविधान करके इसके संचालन की राह आसान कर दी है। आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा के शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। इस मद से उनके वेतन का भुगतान भी हो सकेगा। आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा के उपकरणों के साथ ही अन्य संसाधनों की खरीद की जाएगी।
कार्यदायी संस्था ने छह माह में कुलपति आवास, अतिथि गृह, सुविधा केंद्र व कर्मचारियों के आवास बनाकर देने का आश्वासन दिया है। इसके बाद वहां से शैक्षणिक प्रक्रिया शुरू करने के साथ ही अतिथि गृह में ओपीडी का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। इसी के साथ प्रदेश के सभी आयुष महाविद्यालयों के छात्रों का पंजीकरण भी शुरू कर दिया जाएगा। साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।
वनटांगिया समुदाय के सभी लोगों को मिल जाएगा आवास: बजट को लेकर गोरखपुर के वनटांगिया समुदाय बेहद उत्साहित है। बजट में उनका विशेष ध्यान रखा गया है। वनटांगिया व मुसहर आवास के लिए 508 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है। वनटांगियों का मानना है कि अधिकांश वनटांगियों के आवास पहले से बने हुए हैं। इस बजट से शत प्रतिशत वनटांगियों के आवास बन जाएंगे।
वनटांगिया समुदाय के अगुआ रामगणेश का कहना है कि प्रदेश सरकार ने वनटांगियों के विकास के लिए पहले से तमाम काम किया है। इस बजट से तो हर वनटांगियों के पास अपना आवास हो जाएगा। आवास होने से वह अन्य कार्य आसानी से कर सकेंगे। रामगणेश ने कहा कि गोरखपुर में करीब 8 हजार व महराजगंज जिले में करीब 40 हजार वनटांगिया समुदाय के लोग रहते हैं। इसमें से तमाम वनटांगिया अभी वनाधिकार से वंचित हैं। इसके चलते पिछले वर्षों में उन्हें आवास नहीं मिल सका है। इस वर्ष पहली कोशिश होगी कि उनका वनाधिकार बनवाया जाए। ताकि सभी लोगों को आवास मिल सके।