विश्वविद्यालय में लगेगा बायोगैस प्लांट, जानें-कैसे मिलेगी घरेलू गैस Gorakhpur News
स्वयंसेवी संस्था काशी सेवा सदन समिति यह प्लांट निश्शुल्क लगाएगी। दो माह तक संस्था खुद इसकी देखभाल करेगी। इसके बाद विभागीय कर्मचारी इसका संचालन करेंगे।
गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में पांच मार्च तक बायोगैस प्लांट लग जाएगा। इससे गीले कचरे का तो निस्तारण होगा ही रोजाना 450 ग्राम गैस भी पैदा होगी।
स्वयंसेवी संस्था करेगी निश्शुल्क व्यवस्था
स्वयंसेवी संस्था काशी सेवा सदन समिति, यह प्लांट निश्शुल्क लगाएगी। दो माह तक संस्था खुद इसकी देखभाल करेगी। इसके बाद विभागीय कर्मचारी इसका संचालन करेंगे।
रोजना पांच किलो कचरे की जरूरत
इस प्लांट को चलाने के लिए रोजाना पांच किलो गीले कचरे की जरूरत होगी। यह कचरा बचे हुए चावल, दाल, सब्जी, छिलका, पत्ती और फूल के रूप में होगा। इसका इंतजाम हॉस्टल की मेस के अलावा शिक्षक, कर्मचारी खुद के प्रयासों से करेंगे। रसोई गैस का उपयोग विभाग की कैंटीन में होगा।
किचन तक बिछेगी गैस पाइप लाइन
इसके लिए प्लांट से किचन तक गैस पाइप लाइन बिछाई जाएगी। प्लांट से हर माह लिक्विड फॉर्म में 200 लीटर जैविक खाद निकलेगी। बागवानी में इस्तेमाल के बाद बची हुई खाद को कंपनी चार रुपये प्रति लीटर के हिसाब से जरूरतमंद किसानों में दे देगी।
नहीं होगा कोई खतरा
इस संबंध में सुरभि शक्ति बायोगैस के मैनेजर संजय कुमार का कहना है कि प्लांट में गैस रिसाव या आग लगने का कोई खतरा नहीं होता। इससे निकलने वाले मीथेन गैस से भोजन पकाने में सहूलियत होती है। प्लांट के 50 मीटर की परिधि में मच्छरों से भी निजात मिलती है।
इसलिए किया जा रहा स्थापित
इस संबंध में बायोटेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो. शरद मिश्र का कहना है कि प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन को ध्यान में रखकर प्लांट स्थापित कराया जा रहा है। इसका उद्देश्य विश्वविद्यालय के शिक्षकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका उपयोग करें।