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ट्रेनों की बेलगाम रफ्तार पर लगेगी लगाम, इमरजेंसी ब्रेक पर काम शुरू Gorakhpur News

एक कोच के एक एक्सल (धुरा) में एक डब्लूएसपी लगाया जाएगा। इसमें सेंसर माइक्रो कंट्रोल प्रोसेसिंग यूनिट व प्रेशर स्विच होंगे जो सभी पहियों की रफ्तार को नियंत्रित कर एक समान रखेंगे।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 09:50 AM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 12:15 PM (IST)
ट्रेनों की बेलगाम रफ्तार पर लगेगी लगाम, इमरजेंसी ब्रेक पर काम शुरू Gorakhpur News
ट्रेनों की बेलगाम रफ्तार पर लगेगी लगाम, इमरजेंसी ब्रेक पर काम शुरू Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। ट्रेनों की रफ्तार बेलगाम होते ही उस पर लगाम लगेगी। इसके लिए रेलवे बोर्ड ने ह्वील स्लाइड प्रोटेक्शन (डब्लूएसपी) डिवाइस लगाने की योजना तैयार की है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत भारतीय रेलवे के 150 लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोचों में इसे लगाया जाना है। पूर्वोत्तर रेलवे के दस कोचों के लिए अनुमति भी मिल गई है। प्रयोग सफल रहा तो सभी ट्रेनों में इसको लगाया जाएगा।

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एक्‍सल में होगी यह व्‍यवस्‍था

एक कोच के एक एक्सल (धुरा) में  एक डब्लूएसपी लगाया जाएगा। इसमें सेंसर, माइक्रो कंट्रोल प्रोसेसिंग यूनिट व प्रेशर स्विच होंगे, जो सभी पहियों की रफ्तार को नियंत्रित कर एक समान रखेंगे। यानी, एक कोच के चार एक्सल में लगे आठों पहिए एक रफ्तार से चलेंगे। किसी एक या दो पहिये की रफ्तार अधिक या कम होने पर डिवाइस आठों में से किसी एक को मानक मानकर गति को एक समान कर देगा। इससे दुर्घटना की संभावनाएं तो कम होंगी ही यात्रियों को झटके भी नहीं लगेंगे। यही नहीं इमरजेंसी ब्रेक लगाने पर ट्रेन निर्धारित दूरी 1200 मीटर पर रुक जाएगी।

इमरजेंसी ब्रेक लगाने पर पटरी से उतर जाती हैं बोगियां

अक्सर रफ्तार अनियंत्रित होने से इमरजेंसी ब्रेक लगाने पर ट्रेन या तो निर्धारित दूरी पर नहीं रुकती या बोगियां पटरी से उतर जाती हैं। दरअसल, पटरियों, पहियों या एक्सल में खामी के चलते पहियों की गति असमान होती रहती है। ऐसे में एक्सल गर्म हो जाता है और उससे चिंगारी निकलने लगती है। पहिए भी घिसते रहते हैं। ब्रेक लगाने पर पहियों के पटरी से उतरने की आशंका बनी रहती है।

डब्लूएसपी डिवाइस लगाने की प्रक्रिया शुरू

इस संबंध में पूर्वोत्‍तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह का कहना है कि डब्लूएसपी डिवाइस लगाने की प्रक्रिया शुरू है। इससे पहियों का घिसाव कम होगा। एक्सल गर्म नहीं होगा। ट्रेन नियंत्रित होकर चलेगी। दुर्घटनाओं पर अंकुश लगेगा। 


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