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एक्स-रे मशीन नहीं पर तैनात हैं दो कर्मचारी

कुशीनगर के मथौली सीएचसी में दु‌र्व्यवस्था से मरीज परेशान छह साल से कार्यरत हैं एक्स-रे तकनीशियन व डार्करूम सहायक अस्पताल में फैली दु‌र्व्यवस्था से परेशान हैं मरीज यहां की हालत यह है कि बाहरी व्यक्ति संभाल रहा पर्ची काउंटर की जिम्मेदारी यहां आने वाले मरीज भी परेशान हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 04:00 AM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 04:00 AM (IST)
एक्स-रे मशीन नहीं पर तैनात हैं दो कर्मचारी
एक्स-रे मशीन नहीं पर तैनात हैं दो कर्मचारी

कुशीनगर : मथौली बाजार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) दु‌र्व्यवस्था का शिकार है। यहां एक्स-रे मशीन आज तक स्थापित नहीं हुई लेकिन छह साल से एक्स-रे तकनीशियन प्रमोद कुमार सिंह व डार्क रूम सहायक मनोज तैनात हैं। इनको बिना काम के विभाग वेतन दे रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता कि स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जिम्मेदार कितने सजग हैं।

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शनिवार को दोपहर 12 बजे जागरण टीम जब अस्पताल पहुंची तो पर्ची काउंटर की जिम्मेदारी प्राइवेट व्यक्ति संभाल रहा था। पूछने पर वह कुछ बता नहीं पाया। जबकि अस्पताल में एक दर्जन से अधिक स्वास्थ्यकर्मी तैनात हैं। सतभरिया निवासी बुखार पीड़ित तीन वर्षीय अंजली को स्वजन अस्पताल लाए थे। पिता शंकर ने बताया कि बाहर से पैथालोजी जांच कराने व दवा लेने के लिए लिखा गया है। बगल में खड़ी 22 वर्षीय नीलम निवासी मुसहरी, 20 वर्षीय गुड़िया निवासी सोनबरसा व सुभावती देवी निवासी गड़ेरी पट्टी ने भी बाहर की दवा व जांच लिखने की शिकायत की। ओपीडी में बेड अस्त-व्यस्त दिखे। डा. सुधीर तिवारी, डा. विनोद गुप्ता, डा. एके चौधरी, डा. सूर्यभान कुशवाहा ओपीडी में मरीजों का परीक्षण कर रहे थे। प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. एलएस सिंह अस्पताल नहीं पहुंचे थे। मरीजों ने बताया कि वह नियमित अस्पताल नहीं आते हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. सुरेश पटारिया ने कहा कि मामला गंभीर है, जांच करा सख्त कार्रवाई होगी।

नहीं हैं आंख, दांत, व हड्डी के डाक्टर

मथौली सीएचसी पर 50 से अधिक गांवों के लोगों के स्वास्थ्य के उचित देखभाल की जिम्मेदारी है। हर रोज लगभग डेढ़ से ढाई सौ मरीज इलाज कराने अस्पताल पहुंचते हैं। मगर आंख, दांत व हड्डी के डाक्टर न होने से पीड़ित मरीजों को निराश लौटना पड़ता है। आयुष की महिला चिकित्सक डा. मधु सिंह तैनात हैं। वह ओपीडी के बाद दो बजे चलीं जाती हैं। इसके बाद प्रसव की जिम्मेदारी स्टाफ नर्स व एएनएम की होती है। जबकि यहां के आंकड़ों में हर माह 60-70 प्रसव होना दर्ज है। विशेषज्ञ महिला चिकित्सक के न होने से गर्भवती महिलाओं के साथ अनहोनी की आशंका बनी रहती है। मुख्य चिकित्साधिकारी कुशीनगर डा. सुरेश पटारिया ने कहा कि मामला गंभीर है, जांच कर कार्रवाई होगी।


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