चीन के निशाने पर हैं इस प्रजाति के कछुए, बुलेट प्रूफ जैकेट बनने में आते हैं काम Gorakhpur News
गोरखपुर के राप्ती व उसकी सहायक नदियों से इंडियन साफ्ट शेल्ड प्रजाति के कछुए की चीन के लिए तस्करी की जा रही है। जानें क्या है इस कछुए की खासियत।
गोरखपुर, जीतेन्द्र पाण्डेय। चीन में व्यापार व अन्य कार्यों के लिए कछुए को शुभ माना जाता है। दो दिन पहले उनवल के पास आमी नदी से तस्करों ने 21 कछुए फंसाए थे। इन्हें भी चीन भेजने की योजना थी, वन विभाग के कर्मचारियों के हाथ आने के बाद उनकी मंशा पर पानी फिर गया।
सर्वोत्तम प्रजाति के हैं ये कछुए
राप्ती व उसकी सहायक नदियों में बड़े पैमाने पर इंडियन साफ्ट शेल्ड (भारतीय मृदु शल्क अथवा शेड्यूल वन) के कछुए हैं। वन विभाग के जानकार बताते हैं कि देश में छह प्रजाति के कछुए हैं। उनमें इंडियन साफ्ट शेल्ड सर्वोत्तम माना जाता है। स्वच्छ जल में रहने वाले इस कछुए की मांग चीन में सर्वाधिक है। बीते दो दिसंबर की रात महराजगंज की दो महिलाओं ने उनवल के पास आमी नदी में जाल डाला। उसमें 21 इंडियन साफ्ट शेल्ड कछुए फंस गए। वन विभाग की निगरानी की भनक लगते ही महिलाओं ने 13 को तत्काल नदी में छोड़ दिया। बाद में आठ को वन विभाग ने बरामद कर लिया। पूछताछ में महिलाओं ने बताया कि वह इन्हें महराजगंज के ठूठीबारी व सोनौली के रास्ते नेपाल लेकर जाती हैं। वहां से इन्हें चीन ले जाया जाता है।
तस्करों पर थी डब्ल्यूसीसीबी की नजर
महराजगंज नगर पालिका के इंदिरानगर मुहल्ले में कंजड़ समुदाय के तमाम लोग कछुए की तस्करी में शामिल हैं। डब्ल्यूसीसीबी (वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो) महराजगंज से ही इन पर नजर रखे हुए था। महिलाओं के उनवल पहुंचने पर उसने वन विभाग को जानकारी दी थी।
कछुए का उपयोग
कछुए का धार्मिक उपयोग के अलावा सौंदर्य प्रसाधन, ताकत की दवाएं, बुलेट प्रूफ जैकेट के साथ ही सूप बनाने में भी प्रयोग किया जाता है।
जानकारी मिली थी कि कछुओं को तस्करी कर नेपाल ले जाया जा रहा है। वहां से चीन भेजा जाता है। सूचना पर टीम ने काम किया। तभी 21 कछुओं को बचाया जा सका। वन विभाग की टीम सक्रिय है। - अविनाश कुमार सिंह, डीएफओ