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गोरखपुर चिडिय़ाघर में ट्री ट्रांसप्लांटेशन तकनीक से लगाए जा रहे पेड़ Gorakhpur News

गोरखपुर में चिडिय़ाघर में 15-20 साल पुराने पेड़ों के रोपण का काम शुरू हो गया। फर्रूखाबाद की कायमगंज नर्सरी से 15 पेड़ों की पहली खेप यहां लाई गई है। इनको बाड़ों के अंदर तथा बाहर रोपित किया जाएगा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 11:33 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 11:33 AM (IST)
गोरखपुर चिडिय़ाघर में ट्री ट्रांसप्लांटेशन तकनीक से लगाए जा रहे पेड़ Gorakhpur News
गोरखपुर चिडिय़ाघर में ट्री ट्रांसप्लांटेशन तकनीक से पेड़ लगाए जा रहे हैं। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन। शहीद अशफाक उल्लाह खां प्राणी उद्यान (चिडिय़ाघर) में 15-20 साल पुराने पेड़ों के रोपण का काम शुरू हो गया। फर्रूखाबाद की कायमगंज नर्सरी से 15 पेड़ों की पहली खेप यहां लाई गई है। इनको बाड़ों के अंदर तथा बाहर रोपित किया जाएगा। शेर के बाड़े में घनी छाया के लिए पीपल का पेड़ लगाया गया है। इससे पहले तीन से पांच साल के पेड़ों के रोपण का काम पूरा किया जा चुका है।

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अंतिम चरण में चल रहे चिडिय़ाघर के निर्माण कार्य का निरीक्षण करने के लिए पिछले दिनों सेंट्रल जू अथारिटी (सीजेडए) की टीम गोरखपुर आई थी। निरीक्षण के दौरान टीम ने छोटी-मोटी कई कमियों के साथ ही कुछ बाड़ों के अंदर और बाहर हरियाली की कमी बताई थी। टीम की रिपोर्ट के आधार पर परिसर में ट्री ट्रांसप्लांटेशन तकनीक से विभिन्न प्रजातियों के 170 पेड़ तीन से पांच साल पुराने तथा 15 से 20 साल पुराने 30 पेड़ लगाए जाने का फैसला लिया गया है। जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई है। विभाग ने शहर की पारिजात नर्सरी के सहयोग से छोटे पेड़ दिल्ली तथा बड़े पेड़ फर्रुखाबाद से मंगाए हैं। 112 छोटे पेड़ रोपित हो चुके हैं।

इन पेड़ों का किया जा रहा है रोपड़

पीपल - 2, पाकड़ - 2, पाइकस - 5, जामुन - 2, कंजी - 2, नीम - 2

इनका हो चुका है रोपड़

कदम, फइकस बेंजमीना, कचनार, कनकचप्पा, गोल्ड मोहर, कंजी, चकरेसिया, पिलखन, फइकस, रेटसा, मौलश्री, पेल्टी मार्फा

प्राणी उद्यान में छोटे पेड़ों के रोपण का काम पूरा हो चुका है। बड़े पेड़ों के रोपण का काम चल रहा है। बहुत जल्दी यह काम भी पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद पशु-पक्षियों के लाने का काम शुरू होगा। - अविनाश कुमार, प्रभागीय वनाधिकारी।

गोरखपुर चिडिय़ाघर के पास बनेेगा म्यूजियम 

गोरखपुर के शहीद अशफाकउल्ला खां चिडिय़ाघर के पास विलुप्त जीव-जन्तुओं का 'संसार' बसाने की तैयारी है। यह प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय (नेचुरल साइंस म्यूजियम) के रूप में होगा। संस्कृति विभाग की इस परियोजना पर 25 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसके लिए जमीन गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की ओर से उपलब्ध करायी जाएगी। निर्माण भी जीडीए द्वारा ही कराया जाएगा। म्यूजियम में वर्षों पहले विलुप्त हो चुके जीव-जन्तुओं, पक्षियों के शरीर को रखा जाएगा। देश में विभिन्न स्थानों से उनका चयन कर यहां लाया जाएगा। संग्रहालय में उन्हें इस तरह से रखा जाएगा कि वे सजीव सा नजर आएंगे। इसके साथ ही पेड़-पौधों को भी यहां रखा जाएगा। कई पौधे ऐसे होंगे जो इस क्षेत्र में नहीं पाए जाते हैं। इन्हें भी अलग-अलग स्थानों से यहां लाया जाएगा।


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