राजस्व अभिलेखों से नदारद है पर्यटक नगरी कुशीनगर Gorakhpur News
भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक नगरी कुशीनगर विश्व का जाना-पहचाना नाम है । इसका नाम संपूर्ण विश्व के श्रद्धालु श्रद्धा व सम्मान के साथ लेते हैं लेकिन आज भी कुशीनगर का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं हो सका है।
गोरखपुर, जेएनएन : भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक नगरी कुशीनगर विश्व का जाना-पहचाना नाम है । इसका नाम संपूर्ण विश्व के श्रद्धालु श्रद्धा व सम्मान के साथ लेते हैं, लेकिन आज भी कुशीनगर का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं हो सका है। यह मामला एक बार फिर तूल पकड़ने लगा है। भगवान बुद्ध लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व अपने महापरिनिर्वाण के लिए कुशीनगर आए थे। यहां उनके प्रथम आसन स्थल पर 11 वीं सदी में निर्मित माथा कुंवर बुद्ध मंदिर और निर्वाण स्थल पर निर्मित महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर विशुनपुर बिंदवलिया ग्राम सभा में उनके दाह संस्कार स्थल पर निर्मित रामाभार स्तूप अनरुधवा ग्राम सभा में अंकित है। कहा तो यहां तक जाता है कि भगवान बुद्ध पूर्व जन्म में महासुदर्शन नामक चक्रवर्ती राजा हुए थे और कुशीनारा उनकी राजधानी थी। जातक कथाओं के अनुसार एक बार पूर्व जन्म में बुद्ध कुश नामक राजा हुए थे। उस समय भी कुशीनारा ही उनकी राजधानी थी। इतनी ऐतिहासिकता के बाद भी कुशीनगर का नाम राजस्व अभिलेखों न दर्ज होने आश्चर्य की बात है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र किया जा रहा प्रेषित
कुशीनगर के विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महत्व की पर्यटक स्थली कुशीनगर का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र प्रेषित किया जा रहा है। डीएम एस राजलिंगम ने बताया कि पर्यटक नगरी कुशीनगर का नाम राजस्व अभिलेखों में अंकित कराने के लिए नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
ऐतिहासिक बुद्ध गमन मार्ग का कार्य शुरू
जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक बुद्ध गमन मार्ग को विकसित करने का कार्य शुरू कर दिया है। 15 किमी लंबे इस मार्ग को पाथ-वे का रूप दिया जा रहा है। सोमवार को विधायक गंगा कुशवाहा व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पूर्ण बोरा ने संयुक्त रूप से योजना का शुभारंभ किया। डीएम एस राजलिंगम ने मार्ग को मिट्टी भराई कर फिलहाल कच्चा बनवाने का निर्देश दिया है। इसको लेकर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने मधुरिया कुकुत्था नदी किनारे शुक्रवार को बीडीओ एवं क्षेत्र के ग्राम प्रधानों संग बैठक की थी। बैठक में तय हुआ कि मधुरिया, दहारी पट्टी, सरैया महंथ पट्टी, कोटवा करजहीं व रहसू ग्राम पंचायतें अपने-अपने ग्राम सभा में मनरेगा एवं श्रमदान के जरिये तीन मीटर चौड़ा नदी की एक पटरी को मार्ग को पाथ-वे बनवाने का कार्य करेंगे।