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Top Gorakhpur News Of The Day, 28 November 2020: गोरखपुर में विकास के 'आधार पर खड़ी होगी विदेशी निवेश की 'इमारत, राम मंदिर परिसर में होगा गीताप्रेस का शोरूम, भाई नहीं है तो क्‍या हुआ

Top Gorakhpur News Of The Day 28 November 2020 गोरखपुर-बस्‍ती मंडल में राजनीति अपराध कोरोनावायरस विशेष एवं अन्‍य खबरों की जानकारी के लिए पढ़ें जागरण डाट काम की खबरें। अपडेट जानकारी के लिए कृपया बने रहें हमारे साथ।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 07:30 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 07:30 PM (IST)
Top Gorakhpur News Of The Day,  28 November 2020: गोरखपुर में विकास के 'आधार पर खड़ी होगी विदेशी निवेश की 'इमारत, राम मंदिर परिसर में होगा गीताप्रेस का शोरूम, भाई नहीं है तो क्‍या हुआ
फ्रांसीसी राजदूत इमैनुअल लिनैन की फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। सड़क, बिजली जैसी आधारभूत संरचनाओं के विकास के मामले में फिसड्डी होने के कारण निवेशकों की प्राथमिकता सूची में अंतिम पायदान पर भी जगह न पाने वाला गोरखपुर अब बदल चुका है। आधारभूत संरचना के लगातार हो रहे विकास ने कंपनियों को यहां निवेश के लिए आकर्षित किया है। विदेशी कंपनियां भी यहां अपने प्लांट लगाने की योजना बनाने लगी हैं। अयोध्या के राम मंदिर परिसर में गीताप्रेस का शोरूम होगा, जिससे श्रद्धालु प्रेस से छपने वाली किताबें खरीद सकेंगे। इस आशय का आश्वासन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल और उत्पाद प्रबंधक लाल मणि तिवारी को दिया है। सर्दी के मौसम में सब्जियों की रानी यानी कि हरी मटर के कद्रदान ढूंढने नहीं पड़ेंगे। सीजन की पहली मटर खाने के शौकीन भी कम नहीं। बीत रहे नवंबर में इसके अलग-अलग दाम ने लोगों को बहुत छकाया। मगर, दो दिन बाद शुरू हो रहे दिसंबर में देसी मटर की धमकदार आवक रेट भिन्नता के इस खेल को खत्म कर देगी। नए आलू, हरी मटर को सर्दियों में रसोई की शान माना जाता है। बेटा नहीं तो क्या हुआ, बेटी तो है। जो काम बेटा कर सकता है, बेटी क्यों नहीं। बस  शुरूआत करने की जरूरत है। ऐसी ही शुरुआत की है, चौरीचौरा के रामूडीहा में एमएससी शिक्षा प्राप्त व निजी स्कूल की प्रधानाचार्य मधु सिंह ने। मधु ने गुरुवार की रात 'जागृति का तिलक चढ़ाकर समाज को संदेश दिया कि भाई नहीं है तो क्या हुआ, बहन भी तिलक चढ़ा सकती है। बीते वर्षों की तुलना में इस वर्ष गोरखपुर की हवा अधिक स्‍वच्‍छ रही है। पिछले तीन माह से एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स में थोड़ी सी वृद्धि अवश्‍य हुई है, लेकिन अभी स्थिति भयावह नहीं है। फिर भी बीते वर्षों में हुई लापरवाही के चलते केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) ने इसे नान अटेनमेंट सिटी में शामिल किया है। अब जिले के 14 विभाग गोरखपुर के वायु प्रदूषण सुधार के लिए सुझाव तैयार करके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गोरखपुर को भेजेंगे।

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गोरखपुर में विकास के 'आधार पर खड़ी होगी विदेशी निवेश की 'इमारत

सड़क, बिजली जैसी आधारभूत संरचनाओं के विकास के मामले में फिसड्डी होने के कारण निवेशकों की प्राथमिकता सूची में अंतिम पायदान पर भी जगह न पाने वाला गोरखपुर अब बदल चुका है। आधारभूत संरचना के लगातार हो रहे विकास ने कंपनियों को यहां निवेश के लिए आकर्षित किया है। विदेशी कंपनियां भी यहां अपने प्लांट लगाने की योजना बनाने लगी हैं। जिले के चारो ओर सड़कों का जाल सा बिछा है और विशेषज्ञों का मानना है कि विकास के इसी 'आधार पर निवेश की मजबूत 'इमारत खड़ी होगी।

गुरु गोरक्षनाथ का दर्शन करने गोरखपुर आए फ्रांसीसी राजदूत इमैनुअल लिनैन जब मंदिर के वातावरण से बाहर निकले तो उन्हें शहर में हो रहे विकास कार्यों ने प्रभावित किया था। लखनऊ से सड़क मार्ग से ही गोरखपुर पहुंचे फ्रांस के इस राजदूत ने बदले भारत की तस्वीर को बखूबी महसूस किया। शानदार सड़क पर फर्राटा भरती उनकी गाड़ी सड़कों के क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों की गुणवत्ता बयां कर दी थी। शहर के प्रवेश द्वार कालेसर में फोरलेन का जंक्शन देख अंदाजा लग गया था कि गोरखपुर में किसी भी निवेश के लिए अनुकूल माहौल है। रामगढ़ताल की मनमोहक छटा ने भी फ्रांसीसी राजदूत की नजर में गोरखपुर का नंबर बढ़ाया था। यही कारण रहा कि जब जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पाण्डियन ने उनसे निवेश के प्रस्ताव पर बात की तो इमैनुअल ने रुचि लेकर सारी जानकारी जुटायी। गोरखपुर से पड़ोसी देश नेपाल को जोडऩे के लिए बेहतर सड़कें हैं। यहां स्थापित होने वाली किसी भी इकाई के लिए उत्पाद निर्यात करने में आसानी होगी। नेपाल के अलावा बांग्लादेश व अफ्रीकी देशों को भी निर्यात किया जा सकेगा। कोरोना संक्रमण ने पूरे विश्व का चीन के प्रति नजरिया बदल दिया है। दूसरे देश अन्य देशों में निवेश का मौका देख रहे हैं और इसमें भारत सबकी पसंद बन रहा है। फ्रांसीसी राजदूत के अलग-अलग शहरों के भ्रमण को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। लखनऊ प्रवास के दौरान एक फ्रांसीसी कंपनी ने निवेश को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। दिल्ली की तरह फ्रांसीसी कंपनी गोरखपुर के प्राकृतिक झील  रामगढ़ताल को विकसित करना चाहती हैं और इसे लेकर जिलाधिकारी के सामने प्रस्ताव भी रखा है। कोकाकोला का बाटङ्क्षलग प्लांट गोरखपुर में लगने जा रहा है। उनके उत्पाद के लिए जरूरी पानी यहां पर्याप्त मिल सकता है। फ्रांसीसी आटोमोबाइल सेक्टर में मजबूत धमक रखने वाले फ्रांस के राजदूत ने गोरखपुर में भी इसकी संभावनाओं को लेकर बात की है। माना जा रहा है कि वहां की कंपनियां पूर्वांचल में निवेश को लेकर मन बना रही हैं। जिलाधिकारी ने बेहतर संभावनाओं का खाका उनके सामने रखा था। चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल बताते हैं कि निश्चित रूप से आमूलचूल बदलाव हुआ है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से गोरखपुर सड़क, रेल व हवाई यातायात से जुड़ चुका है। बिजली  का आपूर्ति भी सुधरी है।  अच्छे होटल की जरूरत होती है, वह भी यहां लाए जा रहे हैं। आने वाला समय निवेश के लिहाज से काफी बेहतर होगा। आटोमोबाइल सेक्टर भी काफी सफल रहेगा। गीडा के सीईओ संजीव रंजन का कहना है कि औद्योगिक इकाइयां लगाने के लिए बड़े निवेशक संपर्क कर रहे हैं। गोरखपुर को लेकर उनके मन में सकारात्मक धारणा है। कोकाकोला को जमीन देने पर बात हुई है। जो भी निवेशक आएंगे उन्हें सुविधाओं व जमीन की कमी नहीं होने दी जाएगी।

राम मंदिर परिसर में होगा गीताप्रेस का शोरूम, सीएम से मिला आश्‍वासन

अयोध्या के राम मंदिर परिसर में गीताप्रेस का शोरूम होगा, जिससे श्रद्धालु प्रेस से छपने वाली किताबें खरीद सकेंगे। इस आशय का आश्वासन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल और उत्पाद प्रबंधक लाल मणि तिवारी को दिया है।

ट्रस्टी और उत्पाद प्रबंधक ने गोरखनाथ मंदिर में मुख्यमंत्री से मिलकर राम मंदिर परिसर में गीता प्रेस का शोरूम स्थापित कराने के लिए अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने उनसे कहा कि अयोध्या प्रशासन को इस बाबत अनुरोध पत्र भेज दें जिससे अग्रेतर कार्यवाही की जा सके। वह गीताप्रेस की मदद करेंगे।

ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल और उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी ने कल्याण पत्रिका भेजने के लिए डाकघर द्वारा लिए जा रहे हैंडलिंग चार्ज को खत्म कराने की अपील की। बता दें कि लगभग आठ से 10 हजार प्रतियां एक दिन में रजिस्ट्री या बुकपोस्ट से भेजी जाती हैं। डाकघर भी गीता प्रेस के परिसर में ही है लेकिन उसके पास न तो इतना स्थान है और न कर्मचारी कि वह अपने पास पत्रिका को रख सके। गीता प्रेस ने डाक विभाग की मदद के लिए परिसर में अतिरिक्त स्थान और संसाधन उपलब्ध कराया  है। Óकल्याणÓ के प्रेषण का कार्य वहीं से होता है। डाक विभाग संस्था से हैंडलिंग चार्ज के रूप में दो साल से प्रति पत्रिका दो रुपये 70 पैसे लेता है।   संचार मंत्री को पत्र भी लिखा गया पर  सुनवाई नहीं हुई। 

घूमेंगे शहर की डगर तो सस्ती मिल जाएगी हरी मटर

सर्दी के मौसम में सब्जियों की रानी यानी कि हरी मटर के कद्रदान ढूंढने नहीं पड़ेंगे। सीजन की पहली मटर खाने के शौकीन भी कम नहीं। बीत रहे नवंबर में इसके अलग-अलग दाम ने लोगों को बहुत छकाया। मगर, दो दिन बाद शुरू हो रहे दिसंबर में देसी मटर की धमकदार आवक रेट भिन्नता के इस खेल को खत्म कर देगी। नए आलू, हरी मटर को सर्दियों में रसोई की शान माना जाता है।

शहर के सभी सब्जी बाजारों के अलावा गली-मोहल्लों में हरी मटर खूब बिक रही है, लेकिन अकसर इसकी कीमत को लेकर ग्राहक हैरान हो जाते हैं। इसकी वजह है मटर का कहीं 55 तो कहीं 80 रुपये किलो बिकना। बेनीगंज में मटर 60 तो बेतियाहाता में 90 रुपये मिल रहा था। दाम में इतना ज्यादा फर्क को लेकर सब्जी विक्रेताओं और ग्राहकों में नोकझोंक भी होती रहती हैै। कीमत में उतार चढ़ाव को लेकर दो बड़ी वजह है। पहली जिस दिन मंडी में मटर की आवक ज्यादा होती है उस दिन मटर सस्ता होता है और जिस दिन कम माल आता है उस दिन महंगा बिकता है। फिलहाल मटर की 70 फीसद आपूर्ति पंजाब के अमृतसर से हो रही है, जबकि शेष मटर मध्यप्रदेश के जबलपुर से आती है। अमृतसर के मटर का दाना बड़ा और स्वाद में भी मीठा होता है, जबिक जबलपुर के मटर के दाने छोटे होते हैं और उसमें छिलका ज्यादा निकलता है। इस कारण अमृतसर का मटर औसतन थोक मंडी में 50 से 60 तथा जबलपुर का 35 से 45 रुपये किलो बिकता है। सब्जी के थोक कारोबारी हाजी रमजान मेकरानी बताते हैं कि शहर के पाश इलाकों में सब्जी बेचने वाले अमृतसर वाली मटर ले जाते हैं, क्योंकि उनके ग्राहकों को सबसे अ'छा सामान चाहिए। जिसे सस्ता चाहिए उसके लिए दूसरा मटर मौजूद है। मंडी में प्रतिदिन मटर की चार से पांच गाडिय़ां आती हैं जो अगले माह बढ़कर 10 से 12 हो जाएंगी। सस्ते और स्वादिष्ट मटर के लिए कुछ और दिन इंतजार करना पड़ेगा। दिसंबर में जालौन का माल बाजार में आते ही मटर के भाव नीचे आ जाएंगे। जनवरी में गाजीपुर, वाराणसी के अलावा लोकल मटर के बाजार में आने से कीमत घटकर 20 रुपये किलो तक होने का अनुमान है। कुल मिलाकर दिसंबर और जनवरी में ही कम दाम में मिलेगा मटर। कई बार ऐसा भी देखने को मिला है कि मंडी के बाहर मटर खरीदने पर सस्ती पड़ रही है। मंडी के बाहर कारोबार करने में पूरी तरह छूट दिए जाने की वजह से कई लोग अमृतसर से माल मंगवाकर सड़क के किनारे बेच रहे हैं। बाहर से खरीदने वाले फुटकर विक्रेता कई तरह के कर देने से भी बच जाते हैं। बेनीगंज के सब्जी विक्रेता राजन ने बताया कि दो दिन पहले जो मटर मंडी में 250 रुपये पसेरी (पांच किलो) बिक रही थी वहीं मटर ट्रांसपोर्ट नगर में 225 रुपये पसेरी मिल गई। अगर अगर ऐसा ही रहा तो लोग मंडी जाना बंद कर देंगे।

भाई नहीं है तो क्‍या हुआ, मधु ने चढ़ाया 'जागृति का तिलक

बेटा नहीं तो क्या हुआ, बेटी तो है। जो काम बेटा कर सकता है, बेटी क्यों नहीं। बस  शुरूआत करने की जरूरत है। ऐसी ही शुरुआत की है, चौरीचौरा के रामूडीहा में एमएससी शिक्षा प्राप्त व निजी स्कूल की प्रधानाचार्य मधु सिंह ने। मधु ने गुरुवार की रात 'जागृति का तिलक चढ़ाकर समाज को संदेश दिया कि भाई नहीं है तो क्या हुआ, बहन भी तिलक चढ़ा सकती है।

रामूडीहा निवासी केशव सिंह दो निजी स्कूल चलाते हैं। उनकी पत्नी बिंद्रावती देवी सरदारनगर के प्राथमिक विद्यालय बैकुंठपुर में प्रधानाध्यापक हैं। उनकी चार बेटियां हैं। शिक्षक दंपती ने अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बड़ी बेटी रुचि सिंह ने बीटेक के बाद बीएड किया है तो दूसरी बेटी जागृति सिंह ने पालिटेक्निक और एमएड। तीसरी संतान मधु सिंह एमएससी पास हैं और पिता के स्कूल में प्रधानाचार्य हैं। चौथी पुत्री गगन सिंह एमएससी, बीएड करने के बाद न्यूट्रीशियन का कोर्स कर एक निजी अस्पताल में काम कर रही हैं।  बकौल केशव, जागृति की शादी तय होने के बाद मधु ने तिलक चढ़ाने की इच्छा जताई। पहले अजीब लगा। फिर सोचा कि जब बेटे-बेटी में कोई भेद नहीं तो बेटी से तिलक चढ़वाने में क्या दिक्कत। इससे तो समाज में बेटियों का सम्मान बढ़ेगा। लोग उन्हें प्रोत्साहित करेंगे। बशारतपुर के रामजानकी में रहने वाले वर पक्ष से बात की। उन्होंने भी सकारात्मक रुख दिखाया। वर सुधाकर सिंह आइआइटी कानपुर से एमटेक और सिंचाई विभाग में सहायक अभियंता हैं। वह और उनका परिवार बेहद खुश है कि वह इस पहल का हिस्सा बन रहे हैं। 

गोरखपुर के वायु प्रदूषण को चौदह विभाग मिलकर सुधारेंगे

बीते वर्षों की तुलना में इस वर्ष गोरखपुर की हवा अधिक स्‍वच्‍छ रही है। पिछले तीन माह से एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स में थोड़ी सी वृद्धि अवश्‍य हुई है, लेकिन अभी स्थिति भयावह नहीं है। फिर भी बीते वर्षों में हुई लापरवाही के चलते केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) ने इसे नान अटेनमेंट सिटी में शामिल किया है। अब जिले के 14 विभाग गोरखपुर के वायु प्रदूषण सुधार के लिए सुझाव तैयार करके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गोरखपुर को भेजेंगे। इस पर वायु प्रदूषण सुधार के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्‍लान तैयार किया जाएगा। इस प्‍लान के क्रियान्‍वयन पर जिले की हवा स्‍वच्‍छ व लोगों के लिए सेहतमंद होगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पिछले चार वर्षों से यहां वायु में पीएम 2.5(पैरामीटर डस्‍ट पार्टिकिल 2.5 माइक्रोन) की मात्रा देखी जाती है। यह डस्‍ट पार्टिकिल के अत्‍यंत छोटे कण होते हैं। यह सेहत के लिए अत्‍यंत खतरनाक होते हैं। यह हवा में अधिक देर तक रहते हैं। इन पर अध्‍ययन किया गया। इसके अलावा पीएम 10, यह थोड़ा कम खतरनाक होता है। लेकिन सेहत के लिए यह भी हानिकारक है। इसके साथ सल्‍पर डाई आक्‍साइड व नाइट्रोजन डाई आक्‍साइड की मात्रा हवा के देखी जाती रही है। पिछले चार वर्षों में इनकी मात्रा वर्ष के तीन चार माह छोड़ दी जाए तो बढ़ते हुए क्रम पाई गई है। इस लिए गोरखपुर को प्रदेश का 17 नान अटेनमेंट सिटी के रूप में चयनित किया गया है। नान अटेनमेंट सिटी का तात्‍पर्य उन शहरों से है, जहां वायु प्रदूषण को लेकर सुधार की आवश्‍यकता है।वायु प्रदूषण गुणवत्‍ता को लेकर दो दिन पूर्व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बैठक हो चुकी है। इसमें 14 विभागों को शामिल किया गया है। 14 विभाग अपने-अपने स्‍तर से सुझाव व जानकारी देंगे। उस आधार पर प्‍लान तैयार किया जाएगा कि कैसे यहां की वायु गुणवत्‍ता को और शुद्ध किया जाए। इसमें संभागीय परिवहन विभाग जानकारी देगा कि जिले में कितने वाहन मौजूद हैं। इसमें कितने वाहन डीजल से चलने वाले हैं और कितने पेट्रोल से है। इसके अलावा सीएनजी व बैट्री से चलने वाले कितने वाहन मौजूद हैं। वाहनों का माडेल कौन सा है। क्‍या तकनीक अपनाकर एयर क्‍वालिटी को और बेहतर किया जा सकता है। इसके अलावा जीडीए, नगर निगम, वन विभाग, पुलिस, उद्योग आदि विभाग मिल बताएंगे कि वायु प्रदूषण का स्रोत क्‍या है। इसमें शहरों में जाम की समस्‍या आदि को शामिल किया जाएगा। निर्माण कार्य को लेकर सुझाव शामिल किया जा सकता है कि पानी का छिड़काव करके डस्‍ट पार्टिकिल को रोका जा सकता है। ऐसे तमाम सुझाव शामिल हो सकते हैं। इसमें कृषि विभाग पराली जलाने की जानकारी देगा। वह बताएगा कि जिले कहां-कहां कितनी पराली जलाई गई है। इससे बचाव के लिए क्‍या कदम उठाए जाएंगे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी पंकज कुमार का कहना है कि प्रदेश में 16 नान अटेनमेंट सिटी पहले थे। कुछ दिन पूर्व गोरखपुर 17वें नान अटेनमेंट सिटी के रूप में शामिल हुआ है। विकास के साथ-साथ शहर में प्रदूषण की भी समस्‍या बढ़ी है। किसी भी स्थिति में विकास को रोका नहीं जा सकता है। ऐसे में यह देखा जाएगा कि क्‍या अपनाकर वायु प्रदूषण में सुधार किया जा सकता है। इसके लिए 14 विभागों से सप्‍ताह भर के भीतर सुझाव मांगा गया है। यह सुझाव केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भेजा जाएगा। फिर वहां से एक एक्‍शन प्‍लान तैयार होगा।


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