Top Gorakhpur News Of The Day, 10 November 2020: देवरिया में भाजपा प्रत्याशी डॉ सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी चुनाव जीते, झूमे कार्यकर्ता
गोरखपुर और बस्ती मंडल की अपराध कोरोनावायरस राजनीति शिक्षा कार्यक्रम घटनात्मक एवं अन्य विशेष के बारे में जानकारी के लिए जागरण डाट काम की खबरें पढ़ें। खबरों से हमेशा अपडेट रहने के लिए कृपया बने रहें हमारे साथ---
गोरखपुर, जेएनएन। देवरिया सदर सीट पर हुए चुनाव की मतगणना पूरी हो गई है। भाजपा प्रत्याशी डॉ सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी 20089 वोट से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी को पराजित किया है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एनबी सिंह का नाम बतौर वैज्ञानिक विश्व फलक पर चमका है। बीते दिनों अमेरिका के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से जारी पदार्थ विज्ञान के दो फीसद वैज्ञानिकों में उनको भी शामिल किया गया है। वह इस समय ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय में एमिरेट प्रोफेसर हैं और अपने शोध कार्य को बढ़ा रहे हैं।
गोरखपुर में धनतेरस से पहले ही बर्तन बाजार गुलजार हो गया है। गोलघर, अलीनगर, मेडिकल कालेज रोड, मियां बाजार, गोरखनाथ और उर्दू बाजार में बर्तन की दुकानों पर खासी चहल-पहल रही। धनतेरस और दिवाली पर खरीदारी के लिए के शहर में आने वाले लोगों की सुरक्षा- व्यवस्था पुख्ता होगी। इसकी मुकम्मल तैयारी पुलिस ने की है। प्रमुख बाजार में आने- जाने वाले रास्तों पर पिकेट लगेगा। कर्मचारी संगठन की मान्यता के लिए होने वाले चुनाव (सीक्रेट बैलेट) में करीब 47 हजार मतदाता भाग लेंगे। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने सोमवार को ही मतदाताओं की सूची वेबसाइट पर आनलाइन जारी कर दी है। कोरोना संक्रमण काल में वोकल फार लोकल का नारा गूंजा तो आत्मनिर्भरता के प्रयास भी बढ़े। सभी का समन्वित प्रयास रहा और चीन के उत्पादों से पटे बाजार में स्वदेशी सामान की रंगत निखरने लगी। ऐसा ही प्रयास ब्रह्मपुर व खजनी की कुछ महिलाओं ने भी किया।
दुनिया के टाप वैज्ञानिकों में प्रो. एनबी सिंह शामिल
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एनबी सिंह का नाम बतौर वैज्ञानिक विश्व फलक पर चमका है। बीते दिनों अमेरिका के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से जारी पदार्थ विज्ञान के दो फीसद वैज्ञानिकों में उनको भी शामिल किया गया है। वह इस समय ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय में एमिरेट प्रोफेसर हैं और अपने शोध कार्य को बढ़ा रहे हैं।
प्रो. सिंह ने परास्नातक और शोध की उपाधि गोरखपुर विश्वविद्यालय से हासिल की है। उनका शोध कार्य मशहूर वैज्ञानिक प्रो. आरपी रस्तोगी के निर्देशन में संपन्न हुआ है। उन्होंने 1967 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षण कार्य शुरू किया। विभाग के अध्यक्ष की भूमिका भी निभाई। वह 2006 में विश्वविद्यालय से रिटायर हुए। प्रो. सिंह बतौर पोस्ट-डॉक्टरल फेलो दो वर्ष तक बेल्जियम के ब्रुसेल्स विश्वविद्यालय से जुड़े रहे। 1977 में उन्हेें जर्मनी के प्रतिष्ठित अलेक्जेंडर वान हम्बोल्ट फेलोशिप से नवाजा गया। उनके 290 से ज्यादा शोध पत्र राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने 10 पुस्तकों का लेखन और इतनी ही किताबों का प्रकाशन भी किया है। प्रो. सिंह के निर्देशन में 40 शोधार्थी अपना शोध कार्य पूरा कर चुके हैं।
प्रो. एनबी सिंह ने जागरण से बातचीत में बताया कि वह पिछले कुछ समय से सीमेंट की गुणवत्ता बढ़ाने पर शोध कर रहे हैं। वह जीओ पॉलिमर सीमेंट बना रहे हैं, जो मकान को और मजबूती देने में सहायक होगा। इसके लिए उन्होंने हरियाणा की एक सीमेंट कंपनी और जर्मनी के कैसल विश्वविद्यालय से करार कर रखा है। इसके अलावा वह कार्बन नैनो ट्यूब बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ चुके हैं। यह ट्यूब मकान की दीवारों में दरार पडऩे पर ब्रिज की तरह कार्य करेगा और मरम्मत करने का समय दे देगा। प्रो. सिंह ने बताया कि वह नैनो टाइटेनियम डाई आक्साइड बनाने की दिशा में भी अग्रसर है। पेंट में इसके इस्तेमाल से दीवारों पर गंदगी नहीं जमने पाएगी। उन्होंने एक अन्य मैटेरियल नैनो सिल्वर पर अपने द्वारा किए जा रहे शोध की जानकारी दी, जिसका इस्तेमाल वाटर प्यूरीफायर के तौर पर किया जा सकेगा। यह एक एंटी बैक्टीरियल तत्व होगा। उन्होंने बताया कि इन शोध कार्यों पर उनके 150 से ज्यादा शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
गोरखपुर में धनरतेरस के लिए बाजार सजकर तैयार
गोरखपुर में धनतेरस से पहले ही बर्तन बाजार गुलजार हो गया है। गोलघर, अलीनगर, मेडिकल कालेज रोड, मियां बाजार, गोरखनाथ और उर्दू बाजार में बर्तन की दुकानों पर खासी चहल-पहल रही। तमाम लोगों ने सामान पसंद कर दुकानदार को एडवांस दे दिया, डिलीवरी धनतेरस के दिन लेंगे। ग्राहकों की भीड़ देख दुकानदार भी उत्साहित हैं। उन्हें उम्मीद है कि त्योहार की रौनक कोरोना से हुए नुकसान की भरपाई कर देगी।
इलेक्ट्रानिक बाजार की तुलना में इस बार बर्तन बाजार में कुछ ज्यादा भीड़ नजर आ रही है। इसकी वजह स्टील के दाम थोड़े घटे हैं, वहीं सिंगल यूज प्लास्टिक कटलरी के इस्तेमाल पर रोक ने भी लोगों को स्टील की चीजें खरीदने के लिए प्रेरित किया है। दूसरी तरफ कारोबार को बढ़ावा देने के लिए बर्तन की दुकानों को सजाया गया है। इस बार धनतेरस पर स्टील की फैंसी थालियां, प्रेशर कुकर, नान स्टिक बर्तन, आकर्षक चूल्हे, लंच बाक्स आदि के मनमोहक डिजाइन उपलब्ध हैं।
कारोबारी मोहम्मद अरशद के मुताबिक स्टील बर्तन के मुकाबले नान स्टिक बर्तन अधिक पंसद किए जा रहे हैं। आटोमेटिक चिमनी, सेंसर चिमनी के अलावा पीतल की पूजा थाली, दीपक, अखंड दीप आदि की मांग ज्यादा है। ज्यादातर ग्राहक पहले से तय करके आते हैं कि उन्हें क्या लेना है। बहुत से ग्राहकों ने धनतरेस के दिन भीड़ से बचने के लिए सामान की बुङ्क्षकग करा ली है। गोरखनाथ के बर्तन विक्रेता संदीप कुमार का कहना है कि मार्केट के हालत की बात अपनी जगह है, लेकिन दीपावली जैसे त्योहार पर लोग कुछ न कुछ नया खरीदेंगे।
पिछले साल धनतेरस पर करीब 40 करोड़ रुपये के बर्तन बिके थे। कोरोना के कारण लोगों ने महीनों से कुछ नया नहीं खरीदा है। ऐसे में दुकानदारों को उम्मीद है कि बर्तनों की बिक्री पिछले वर्ष के मुकाबले 25 फीसद तक ज्यादा होगी। इसको ध्यान में रखकर कारोबारियों ने मुंबई, दिल्ली, मुरादाबाद, लखनऊ से भरपूर माल मंगवाया है।
धनतेरस व दिवाली पर पुख्ता होगी बाजार की सुरक्षा-व्यवस्था
धनतेरस और दिवाली पर खरीदारी के लिए के शहर में आने वाले लोगों की सुरक्षा- व्यवस्था पुख्ता होगी। इसकी मुकम्मल तैयारी पुलिस ने की है। प्रमुख बाजार में आने- जाने वाले रास्तों पर पिकेट लगेगा। अभी से चेकिंग भी शुरू कर दी गई है। धनतेरस से एक दिन पहले सराफा बाजार में सशस्त्र पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे। एसपी सिटी के साथ ही सीओ व थानेदार गश्त करेंगे।
13 नवंबर को धनतेरस के साथ ही दीपोत्सव की शुरुआत हो जाएगी। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में इसको लेकर तैयारी शुरू हो गई है। इसे देखते हुए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। एसएसपी जोगेंद्र कुमार ने बताया कि सराफा बाजार और बैंकों के आसपास भीड़ ज्यादा होने से वारदात की आशंका बनी रहती है। इस पर अंकुश लगाने के लिए इस बार सराफा दुकानों के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। जिस स्थान पर तीन से पांच दुकानें हैं वहां दो सिपाही, जिस बाजार में दस दुकान तक हैं वहां तीन से चार सिपाही हथियारों के साथ ड्यूटी करेंगे।
इसके अलावा जहां केवल एक दुकान होगी वहां भी एक सशस्त्र सिपाही तैनात किया गया है। जिले के सभी थाना प्रभारियों को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं। सबसे कहा गया है कि इस आदेश का अपने क्षेत्र बाजार में कड़ाई से पालन कराएं। सादे कपड़ों में भी सिपाहियों की ड्यूटी लगेगी, जो संदिग्ध लोगों पर नजर रखेंगे। एसएसपी ने कहा कि त्योहार पर यदि कोई व्यवस्था बिगाडऩे का प्रयास करेगा तो पुलिस उससे सख्ती से निपटेगी।
रेलवे-मतदान में भाग लेंगे 47 हजार रेलकर्मी
कर्मचारी संगठन की मान्यता के लिए होने वाले चुनाव (सीक्रेट बैलेट) में करीब 47 हजार मतदाता भाग लेंगे। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने सोमवार को ही मतदाताओं की सूची वेबसाइट पर आनलाइन जारी कर दी है। अब रेलवे प्रशासन बोर्ड के दिशा-निर्देश का इंतजार है। मतदाता सूची में 30 सितंबर 2020 तक वेतन पाने वाले कर्मचारियों का नाम शामिल किया गया है। रेलवे में तैनाती पाने के बाद प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे कर्मचारियों का नाम सूची में नहीं है। हालांकि, इसको लेकर कर्मचारी संगठनों ने आपत्ति जताई थी।
अंतिम सूची जारी होने के बाद कर्मचारी संगठनों का उत्साह बढ़ गया है। पदाधिकारी मतदाताओं को सहेजने में जुट गए हैं। संगठनों के पदाधिकारी मुख्यालय गोरखपुर के अलावा लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल में तैनात कर्मचारियों तक पहुंचने लगे हैं। हालांकि, चुनाव की अंतिम तिथि की घोषणा नहीं से संगठनों में आक्रोश है। 4 और 5 दिसंबर को चुनाव की संभावना जताई जा रही है। एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्त कहते हैं कि चुनाव की तिथि की घोषणा में विलंब नहीं होनी चाहिए। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के महामंत्री विनोद कुमार राय कहते हैं कि दीपावली तक घोषणा नहीं हुई तो संघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा। पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ के प्रवक्ता अजय कुमार यादव का कहना है कि चुनाव को लेकर माहौल बन रहा है। जब मतदाता सूची जारी हो गई तो चुनाव की तिथि भी घोषित हो जानी चाहिए।
आत्मनिर्भरता की रोशनी से छंट रहा बेरोजगारी का अंधेरा
कोरोना संक्रमण काल में वोकल फार लोकल का नारा गूंजा तो आत्मनिर्भरता के प्रयास भी बढ़े। सभी का समन्वित प्रयास रहा और चीन के उत्पादों से पटे बाजार में स्वदेशी सामान की रंगत निखरने लगी। ऐसा ही प्रयास ब्रह्मपुर व खजनी की कुछ महिलाओं ने भी किया। दीपावली को लक्ष्य बनाकर एलईडी झालर और मोमबत्ती बनानी शुरू की। आत्मनिर्भरता की यह रोशनी दीपावली को चमकाने के लिए तैयार है ही, कोरोना संक्रमण काल से उपजे बेरोजगारी के अंधेरे को भी दूर कर रही है।
खजनी विकास खंड क्षेत्र के खुटभार की संगीता देवी ने गांव की दस से अधिक महिलाओं का समूह बनाया। झालर बनाने का प्रशिक्षण दिया। ये महिलाएं अब दीपावली के लिए झालर तैयार कर रही हैैं। इनमें तमाम महिलाएं ऐसी हैैं, जिनके पति पेंट-पालिश कारीगर या कारपेंटर थे। संक्रमण काल में काम-धंधा बंद होने पर घर लौट आए। यहां काम नहीं मिला। बच्चों की स्कूल फीस तक जमा करने में मुश्किल थी। ऐेसे में महिलाओं ने संगीता से प्रशिक्षण लेकर झालर और बल्ब बनाना शुरू किया। हर महिला एक हजार से अधिक झालर बेच चुकी है। इससे हुई आय से बच्चों के स्कूल की फीस भरी है। संगीता बताती हैं, 75 रुपये की लागत वाली झालर 100 रुपये में बिक जाती है। इसकी मरम्मत भी आसानी से हो जाती है।
ब्रह्मपुर गांव की छह से अधिक महिलाएं समूह से जुड़ीं और गांव में मोमबत्ती बनाने का उद्योग लगा लिया। 29 वर्षीया रीना शर्मा, 21 वर्षीया रीना मद्धेशिया, 27 वर्षीया नजमा, 30 वर्षीया पूजा, 28 वर्षीया सुमन उपाध्याय और 23 वर्षीया गुडिय़ा बीस दिनों में मोमबत्ती के 25 हजार से अधिक पैकेट तैयार कर चुकी हैैं। इसमें परिवार के लोग भी सहयोग कर रहे हैैं। ये मोमबत्तियां जितना अधिक बिकेंगी, लोग चीनी उत्पाद का प्रयोग उतना ही कम करेंगे। समूह की सदस्य रीना शर्मा कहती है कि समूह से जुड़ी महिलाएं बहुत पढ़ी-लिखी नहीं हैं। कोई 10वीं पास है तो कोई आठवीं तक पढ़ा है। इन्होंने ऐसे वक्त में काम शुरू किया, जब घर में एक-एक रुपये महत्वपूर्ण थे। इनके स्वजन दिल्ली, मुंबई आदि जगहों पर काम करते थे, लेकिन लाकडाउन में घर लौट आए। सभी मान रहे थे कि जीवन में अंधेरा छा गया है, लेकिन समूह से जुड़कर मोमबत्ती तैयार करने वाली इन महिलाओं ने स्वावलंबन की रोशनी फैलानी शुरू कर दी है।