गोरखपुर में बड़े पर्दे पर आज पहली बार नाटक का मंचन, फ्री में देखें, जानें-किस सिनेमाहाल में है व्यवस्था Gorakhpur News
मशहूर रंगकर्मी मानवेंद्र त्रिपाठी द्वारा निर्देशित हास्य नाटक सैयां भए कोतवाल से इसकी शुरुआत होगी। इसका प्रदर्शन 15 दिसंबर को शहर के एडी सिनेमा में शाम पांच से सात बजे तक होगा। टीम का दावा है कि देश में पहली बार किसी नाटक का बड़े पर्दे पर प्रदर्शन होगा।।
गोरखपुर, जेएनएन। रंगकर्म से जुड़े गोरखपुर के युवाओं की एक टीम नाटकों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए एक अभिनव प्रयोग करने जा रही है। टीम ने सिल्वर स्क्रीन यानी बड़े पर्दे पर नाटकों की प्रस्तुति की योजना बनाई है। मशहूर रंगकर्मी मानवेंद्र त्रिपाठी द्वारा निर्देशित हास्य नाटक सैयां भए कोतवाल से इसकी शुरुआत होगी। इसका प्रदर्शन 15 दिसंबर को शहर के एडी सिनेमा में शाम पांच से सात बजे तक होगा। टीम का दावा है कि देश में पहली बार किसी नाटक का बड़े पर्दे पर प्रदर्शन होगा। यह निश्शुल्क दिखाया जाएगा।
जागरूक गोरखपुर (जागो) फाउंडेशन के बैनर तले किए जा रहे इस प्रयोग के बारे में टीम के नेतृत्वकर्ता अमित सिंह पटेल का कहना है कि उनकी मंशा रंगकर्म को फिल्मों सी लोकप्रियता दिलाने की है। नाटक सैयां भए कोतवाल की रिकार्डिंग छह मई 2018 को तब की गई थी, जब मुक्ताकाशी मंच पर दर्शकों के लिए उसका मंचन किया जा रहा था। बकौल अमित उस समय उनकी बड़े स्क्रीन पर प्रदर्शन की कोई योजना नहीं थी, इसलिए एक कैमरे से एक ही टेक में पूरी रिकार्डिंग कर ली गई थी। अपनी आगे की योजना को साझा करते हुए अमित बताते हैं कि यदि प्रयोग सफल रहा तो वह उन सभी मशहूर नाटकों का प्रदर्शन बड़े पर्दे पर करने की कोशिश करेंगे, जिनके लिए गोरखपुर राष्ट्रीय पटल पर जाना जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले समय में बड़े स्क्रीन पर प्रदर्शन के नजरिए से जब नाटक की रिकार्डिंग की जाएगी, तो उसमें मल्टी सेटअप कैमरे का इस्तेमाल किया जाएगा। रिकार्डिंग के दौरान पर्दे पर प्रदर्शन के दृष्टिकोण से वायस क्वालिटी पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। हां, इस दौरान इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि नाटक की मूल धारणा से किसी तरह की छेड़छाड़ न होने पाए।
रंगकर्मियों की आर्थिक समस्या दूर करने की है ख्वाहिश
अमित सिंह पटेल अपने इस प्रयास से रंगकर्मियों आर्थिक समस्या भी दूर करना चाहते हैं। उनका मानना है कि प्रयोग सफल रहा तो नाटकों का व्यवसायीकरण संभव हो सकेगा और नाटक रंगकर्मियों की आय का जरिया बनेंगे। शौक के साथ जब धन अर्जित करने का पक्ष नाटकों से जुड़ेगा तो इस विधा का और भी विकास होगा। भारतेंदु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष रविशंकर खरे का कहना है कि नाटक की सफलता दर्शकों की उपलब्धता पर निर्भर करती है। अमित और उनकी टीम यदि बड़े पर्दे पर नाटक के प्रदर्शन से दर्शकों की संख्या बढ़ा सके तो यह शानदार पहल मानी जाएगी। इसमें उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि नाटक, नाटक ही रहे फिल्म न होने पाए। वहीं वरिष्ठ रंगकर्मी मानवेंद्र त्रिपाठी का कहना है कि जागरूक गोरखपुर फाउंडेशन की इस पहल से किसी भी नाटक को दुनिया भर में पहुंचाना आसान हो जाएगा। लेकिन इसके लिए नाटकों का चयन भी सोच-समझ कर करना होगा। इस बात का ख्याल रखना होगा कि वह नाटक फिल्म की तरह दर्शकों को बांधने में सफल रहे। राष्ट्रीय नाट्य अकादमी के रंगकर्मी विजय सिंह का कहना है कि नाटक एक जीवंत और प्रदर्शनकारी कला है। जीवंतता ही उसका सौंदर्यशास्त्र है। ऐसे में फिल्मी पर्दे पर इसका प्रदर्शन एक प्रयोग जरूर हो सकता है लेकिन यह नाटक की प्रस्तुति का स्थायी विकल्प नहीं हो सकता। वहीं राष्ट्रीय नाट्य अकादमी के रंगकर्मी मोतीलाल खरे का कहना है कि नाटकों से नई पीढ़ी जुड़ी है तो ऐसे प्रयोग होना लाजिमी है। ऐसा होना भी चाहिए। डिजिटल इंडिया के दौर में रंगकर्म को भी समय के साथ चलना होगा। अमित सिंह पटेल को इस प्रयोग के लिए बधाई देता हूं। हो सकता है उनके इस प्रयास से रंगकर्म के क्षेत्र में नई क्रांति आए।
प्रयोगधर्मी युवाओं का उत्साह बढ़ा रहे हम : नीरज दास
एडी सिनेमा के प्रबंध निदेशक नीरज दास का कहना है कि वह प्रयोगधर्मिता को बढ़ावा देने में विश्वास रखते हैं। प्रयोग को लेकर युवाओं का उत्साह देखकर उन्होंने अपने सिनेमा हाल में नाटक के प्रदर्शन की अनुमति दी है। प्रयोग सफल हुआ और नाटक बड़े पर्दे पर देखने के लिए दर्शकों ने रुचि दिखाई तो रंगकर्मियों को इस बाबत अवसर देने का सिलसिला जारी रखेंगे।