खाते का संचालन न होने से 75 ग्राम पंचायतों में विकास कार्य ठप
निलंबित चल रहे हैं ग्राम पंचायतों के प्रशासक बने एडीओ पंचायत कराए गए कार्य का भी नहीं हो पाया भुगतान
जागरण संवाददाता, बस्ती: 25 दिसंबर 2020 को प्रधानी खत्म होने के बाद कुदरहा विकास क्षेत्र की सभी 75 ग्राम पंचायतों के ग्राम निधि खाते का संचालन नहीं हो पाया है। साढे़ तीन माह से धन का भुगतान न होने से ग्राम पंचायतों में विकास कार्य अवरुद्ध पड़े हैं। निवर्तमान प्रधानों ने जो कार्य कराया है, उसका भी भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है।
प्रधानों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद शासन की ओर से ग्राम पंचायतों में एडीओ को प्रशासक बनाने का निर्देश दिया गया था। इसी क्रम में जिले की सभी 1185 ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त कर ग्राम पंचायत सचिवों के सहयोग से ग्राम निधि के खातों का संचालन किया जाना था। कुदरहा ब्लाक में मौजूदा समय कुल 75 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें 50 ग्राम पंचायतों के प्रशासक ब्लाक के एडीओ पंचायत धनश्याम मिश्र को बनाया गया था। कुछ दिन पहले उनका निलंबन होने के कारण 50 ग्राम पंचायतों के ग्राम निधि खाते का संचालन अधर में है। अभी तक कोई नया प्रशासक नहीं बनाया गया है। 25 ग्राम पंचायतों के प्रशासक एडीओ कोआपरेटिव मनोज चौबे हैं। उनका कहना है कि पहले साप्टवेयर की समस्या थी। उसका सुधार हुआ तो बैंक मर्ज होने के कारण भुगतान नहीं हो सका। अब डोंगल काम करने लगा है। गोनार के निर्वतमान प्रधान हरिशचंद्र पाल, मेहनौना के निर्भय पाल, मसुरिहा के विभूती सिंह ने बताया कि सामुदायिक शौचालय का करीब तीन लाख रुपये बकाया है, लेकिन प्रशासक न होने के कारण भुगतान नहीं हो पा रहा है। जगरनाथपुर के निवर्तमान प्रधान संजय ने बताया कि अंत्येष्टि स्थल व सामुदायिक शौचालय का करीब छह लाख रुपये का भुगतान अधर में पड़ा है। भुगतान कराने के लिए तीन माह से ब्लाक का चक्कर काट रहे हैं।
ग्राम पंचायत रघऊपुर में पंचायत भवन व सामुदायिक शौचालय का निर्माण कार्य खाता संचालन न होने से तीन माह से रुका हुआ है। निवर्तमान प्रधान रामशंकर ने बताया कि बगैर भुगतान के पंचायत भवन की नींव तैयार कर एक तरफ तीन फीट की दीवार बनवा दी है। धन न मिलने के कारण कार्य ठप है।
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कुछ बैंकों का एक दूसरे में विलय होने के कारण शुरू में दिक्कत आई। यह समस्या समाप्त हुई तो एडीओ पंचायत का निलंबन हो गया। अब उनकी जगह दूसरे को प्रशासक नियुक्त किया जा रहा है।
विनय कुमार सिंह, डीपीआरओ