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गन्ने की नई प्रजातियां घोलेंगी मुनाफे की मिठास Gorakhpur News

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने को. लख. 1420 प्रजाति विकसित की है। यह शीघ्र तैयार होने वाली प्रजाति है। इसी तरह से गन्ना शोध संस्थान ने को. शा. 14233 नाम से गन्ने की प्रजाति विकसित की है। इसकी फसल मध्यम देरी से तैयार होगी।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 07:30 AM (IST)
गन्ने की नई प्रजातियां घोलेंगी मुनाफे की मिठास Gorakhpur News
खेत में गन्‍ने की फसल का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। भारतीय गन्ना अनुसंधान परिषद (आइआइएसआर), लखनऊ व गन्ना शोध संस्थान शाहजहांपुर के संयुक्त प्रयास से विकसित की गई गन्ने की तीन प्रजातियां न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी बल्कि गन्ने का कैंसर कहे जाने वाले रेड राट रोग से भी होने वाले नुकसान से भी बचाएगी। गन्ना आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने इन तीनों प्रजातियों की बुवाई करने की स्वीकृत दे दी है। गन्ना शोध संस्थान सेवरही में इस साल इसका बीज तैयार करने की तैयारी चल रही है। अगले साल से तीनों प्रजातियों के बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।

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तीनों प्रकार के बीज तैयार करने की तैयारी

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने को. लख. 1420 प्रजाति विकसित की है। यह शीघ्र तैयार होने वाली प्रजाति है। इसी तरह से गन्ना शोध संस्थान ने को. शा. 14233 नाम से गन्ने की प्रजाति विकसित की है। इसकी फसल मध्यम देरी से तैयार होगी। तीसरी प्रजाति सामान्य 10239 जल प्लावित और ऊसर क्षेत्र में बोआई के लिए तैयार की गई है। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ और गन्ना शोध संस्थान शाहजहांपुर ने छह साल में इन तीनों प्रजातियों को विकसित किया है। गन्ना आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी से स्वीकृत मिलने के बाद अलग-अलग शोध संस्थानों में तीनों प्रजातियों का बीज तैयार करने की तैयारी चल रही है। गोरखपुर मंडल में कुशीनगर जिले के गन्ना शोध संस्थान में इसका बीज तैयार किया जाएगा।

रेड राट रोग से मिलेगी निजात

प्रदेश के 44 जिलों में गन्ने की खेती प्रमुखता बोई जाती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुशीनगर जिले में गन्ने की सर्वाधिक बुवाई होती है। इन सभी जिलों में अधिकतर किसान को. 0238 प्रजाति के गन्ने की बुआई करते हैं। इस प्रजाति में रेड राट रोग लगने की आशंका बहुत अधिक होती है। इसके प्रकोप से गन्ने की फसल खेत में ही सूख जाती है। जिसकी वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। गन्ना अनुसंधान परिषद लखनऊ और गन्ना शोध संस्थान शाहजहांपुर में विकसित तीनों प्रजातियां रेड राट रोग से मुक्त रहेंगी। साथ ही इन प्रजातियों के गन्ने से चीनी का परता भी अपेक्षाकृत अधिक मिलेगा।

उपज में भी आगे हैं तीनों प्रजातियां

नई विकसित की गई गन्ने की तीनों प्रजातियों की उपज भी अन्य प्रजातियों की तुलना में अधिक है। को. लख. 1420 की औसत उपज प्रति एकड़ चार सौ क्विंटल आंकी गई है। इसका चीनी का परता भी 13 प्रतिशत है। को. शा. 14233 की प्रति एकड़ औसत उपज 350 क्विंटल से लेकर चार सौ क्विंटल होने का अनुमान है। इस प्रजाति के गन्ने से चीनी का परता 12 प्रतिशत से अधिक आएगा। गन्‍ना संस्‍थान प्रशिक्षण केंद्र पिपराइच के सहायक निदेशक ओम प्रकाश गुप्‍त का कहना है कि गन्ने की तीनों प्रजातियां किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होंगी। तीनों प्रजातियां कई तरह के रोगों से सुरक्षित होने की वजह से भी किसानों के लिए मुफीद हैं। 


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