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कालेज प्रबंध से शिक्षकों को जान का खतरा, कहा-हम नहीं करा सकते परीक्षाएं

पवित्रा डिग्री कालेज के प्रबंधक से प्रचार्य और शिक्षक डरे हुए हैं। उन्होंने जानमाल का खतरा बताते हुए परीक्षाएं करा पाने में असमर्थता व्यक्त की है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 10:02 AM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 10:02 AM (IST)
कालेज प्रबंध से शिक्षकों को जान का खतरा, कहा-हम नहीं करा सकते परीक्षाएं
कालेज प्रबंध से शिक्षकों को जान का खतरा, कहा-हम नहीं करा सकते परीक्षाएं

गोरखपुर, जेएनएन। जिले के प्रतिष्ठित कॉलेजों में शुमार पवित्रा डिग्री कॉलेज मानीराम की प्राचार्य डॉ. सुधा राजलक्ष्मी व कई शिक्षकों ने विश्वविद्यालय, पुलिस एवं जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। प्राचार्य ने खुद के जान-माल का डर व कॉलेज परिसर में अराजकता होने का हवाला देते हुए इस वर्ष विश्वविद्यालय की परीक्षा करा पाने में भी असमर्थता जताई है।

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आरोप कॉलेज के संस्थापक प्रबंधक पर है, जिनके खिलाफ विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी के अलावा जिलाधिकारी एवं एसएसपी को शिकायत की गई है।

पवित्रा डिग्री कॉलेज की प्राचार्य ने लिखित शिकायत कर बताया है कि कॉलेज के संस्थापक प्रबंधक राम मूरत सिंह व उनके सगे संबंधी परिसर में नियम विरुद्ध ढंग से कब्जा करने की कोशिश में हैं। प्राचार्य के सामान्य कामकाज में भी लगातार हस्तक्षेप करते हैं। इसका विरोध करने पर पिछले दिनों कुछ अराजक तत्वों ने प्राचार्य की गाड़ी का पीछा भी किया और अभद्रता भी की। ऐसे में यहां पठन-पाठन और परीक्षा कार्य सुचारू रूप से नहीं हो सकता।

उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से चयनित कई अन्य शिक्षकों ने भी संस्थापक प्रबंधक पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अपने जान पर खतरा बताया है। बताया जाता है कि कॉलेज में नियुक्त तमाम पदों पर संस्थापक प्रबंधक के नाते-रिश्तेदार ही सेवारत हैं। गोरखपुर विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाएं 21 फरवरी से शुरू हो रही हैं।

इस संबंध में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. अश्रि्वनी मिश्रा ने कहा कि प्रकरण संज्ञान में आया है। प्राचार्य के आरोपों की हम जांच कराएंगे। इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा। सोमवार को मैं स्वयं कॉलेज जाऊंगा।

प्रबंधक का यह है बयान

संस्थापक प्रबंधक राम मूरत सिंह का कहना है कि जो लोग शिकायतें कर रहे हैं, दरअसल वह परीक्षा कराना चाहते ही नहीं हैं। प्राचार्य अपनी ऊंची पहुंच की धौंस देती रहती हैं। वह दो-तीन घंटे के लिए कॉलेज आती हैं। बाकी कई शिक्षक भी बाहर के हैं और कॉलेज के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं।


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