इस बार 15 घटे 29 मिनट का होगा सबसे लंबा रोजा, जानें क्या है विशेषता
इस बार रमजान में भीषण गर्मी रहेगी। रोजेदारों को सब्र का इम्तेहान कुछ ज्यादा ही देना पड़ेगा। सबसे लंबा रोजा 15 घंटे 29 मिनट का होगा।
By Edited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 10:30 AM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 03:07 PM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। इस बार रमजान में रोजेदारों को सब्र का इम्तेहान कुछ ज्यादा ही देना पड़ेगा। रोजे तकरीबन 15 घटे 29 मिनट के होंगे। साथ ही भीषण गर्मी भी परेशान करेगी। यदि चाद 29 का हुआ तो छह मई से अन्यथा सात मई से रोजे शुरू हो जाएंगे और छह जून को ईद का जश्न मनाया जाएगा। समय में हो सकता है बदलाव उलेमा के मुताबिक अलग-अलग जगहों के हिसाब से समय में कुछ बदलाव हो सकता है। पहले रोजे के सहरी का समय भोर में तीन बजकर 42 मिनट तथा इफ्तार शाम छह बजकर 39 मिनट पर खोला जाएगा।
इसी तरह आखिरी रोजे की सहरी का समय भोर में तीन बजकर 24 मिनट और इफ्तार शाम को छह बजकर 53 मिनट पर होगा। इस वर्ष रमजान में चार शुक्रवार पड़ेगा। साल में दस दिन हो जाता है कम मुफ्ती अजहर शम्सी ने बताया कि इस बार भी भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों के बीच रमजान की शुरुआत होगी। इस माह में खुदा बंदों का इम्तिहान लेता है, बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक रोजे रखते हैं।
उन्होंने कहा कि 36 साल बाद रमजान पुन: उसी मौसम में पहुंच जाता है। इस्लामी कैलेंडर और अंग्रेजी कैलेंडर में एक साल में 10 दिन का अंतर आता है। ये अंतर इसलिए आता है कि इस्लामी कैलेंडर में 29 या 30 दिन का महीना होता है, वहीं अंग्रेजी कैलेंडर में 30 या 31 दिन का महीना होता है। तरावीह व सामूहिक इफ्तार के होंगे इंतजाम रमजान माह शुरू होते ही शहर की फिजा भी बदल जाएगी। खासकर मुस्लिम बहुत इलाकों में अलग माहौल होगा। शिया जामा मस्जिद में पूरे माह सामूहिक इफ्तार का आयोजन होगा। यह महीना एकता की भी मिसाल पेश करता है। दूसरी तरफ मस्जिदों के अलावा मदरसों में भी तरावीह की नमाज अदा की जाएगी।
इसी तरह आखिरी रोजे की सहरी का समय भोर में तीन बजकर 24 मिनट और इफ्तार शाम को छह बजकर 53 मिनट पर होगा। इस वर्ष रमजान में चार शुक्रवार पड़ेगा। साल में दस दिन हो जाता है कम मुफ्ती अजहर शम्सी ने बताया कि इस बार भी भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों के बीच रमजान की शुरुआत होगी। इस माह में खुदा बंदों का इम्तिहान लेता है, बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक रोजे रखते हैं।
उन्होंने कहा कि 36 साल बाद रमजान पुन: उसी मौसम में पहुंच जाता है। इस्लामी कैलेंडर और अंग्रेजी कैलेंडर में एक साल में 10 दिन का अंतर आता है। ये अंतर इसलिए आता है कि इस्लामी कैलेंडर में 29 या 30 दिन का महीना होता है, वहीं अंग्रेजी कैलेंडर में 30 या 31 दिन का महीना होता है। तरावीह व सामूहिक इफ्तार के होंगे इंतजाम रमजान माह शुरू होते ही शहर की फिजा भी बदल जाएगी। खासकर मुस्लिम बहुत इलाकों में अलग माहौल होगा। शिया जामा मस्जिद में पूरे माह सामूहिक इफ्तार का आयोजन होगा। यह महीना एकता की भी मिसाल पेश करता है। दूसरी तरफ मस्जिदों के अलावा मदरसों में भी तरावीह की नमाज अदा की जाएगी।
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