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ऐसे तो खत्म हो जाएंगे साखू के जंगल Gorakhpur News

साखू के कटान पर अंकुश न लगा तो भविष्य में वह अतीत का वृक्ष बनकर रह जाएगा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 01:08 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 01:08 PM (IST)
ऐसे तो खत्म हो जाएंगे साखू के जंगल Gorakhpur News
ऐसे तो खत्म हो जाएंगे साखू के जंगल Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। साखू तराई के जंगलों का राजा कहा जाता है। यदि उसके कटान पर अंकुश न लगा तो भविष्य में वह अतीत का वृक्ष बनकर रह जाएगा। गत एक वर्ष में वन प्रभाग गोरखपुर क्षेत्र में 237 बोटा साखू की लकड़ी बरामद हुई है। वन विभाग इसे अपनी उपलब्धि समझता है पर बरामद लकडिय़ों से यह भी पूरी तरह स्पष्ट है कि साखू की कटान यहां निर्बाध जारी है।

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इमारती लकडिय़ों में साखू के मजबूती की मिसाल

इमारती लकडिय़ों में साखू के मजबूती की मिसाल दी जाती है। कहा जाता है कि सौ साल खड़ा, सौ साल पड़ा फिर भी न सड़ा। आने वाले समय में इस महत्वपूर्ण वृक्ष का जंगल खत्म हो सकता है। कारण साखू का पौधा न ही वन विभाग की नर्सरी में तैयार होता है और न ही निजी नर्सरियों में। इसका पौधा जब किसी नर्सरी में तैयार ही नहीं होगा तो इसका दायरा बढ़ेगा नहीं और जो है उसका तेजी से कटान हो रहा है।

हाल में बरामद साखू के बोटे

23 जनवरी को फरेंदा रेंज में वन विभाग की टीम ने 15 बोटा साखू बरामद  किया।

6 जनवरी सूबा बाजार में 22 बोटा साखू बरामद किया।

13 जनवरी को बांकी रेंज में नौ बोटा साखू की लकड़ी बरामद की।

गत 23 दिसंबर को फरेंदा रेंज में 11 बोटा साखू बरामद हुआ।

दस माह में की गई कार्रवाई

बरामद वाहन-158

बरामद लकड़ी-275.45 घन मीटर

बरामद लकड़ी की कीमत-42 लाख 30 हजार रुपये

इन्हें भेजा गया जेल-41

चिह्नित वन माफिया -16

आरामशीनों पर की गई कार्रवाई-16

आरामशीनों से वसूला जुर्माना- 6 लाख रुपये

बरामद साखू के बोटे-237

गोरखपुर वन प्रभाग का क्षेत्रफल-15276.60 हेक्टेयर

जानिए क्यों नहीं तैयार हो रहा साखू का पौधा

साखू की लकड़ी जितनी सख्त होती है, उसका बीज उतना ही नाजुक माना जाता है। वृक्ष से गिरते ही यह टूट जाता है। इसमें अंकुरण भी 24 घंटे के भीतर होता है। ऐसे में बाहर इसका पौधा तैयार करना कठिन है।

कटान रोके जाने के लिए लगातार अभियान चलाया जाता है। साखू अपने पेड़ के नीचे ही बढ़ता है। उसका जंगल समाप्त नहीं हो सकता है। वह जंगली क्षेत्र में स्वत: तैयार होता है। - बीसी ब्रह्मा, डीएफओ


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