यहां ऐसे व्हाइट हो जाती है ब्लैकमनी, विदेश से खातों में आ जाती है रकम
काली कमाई करने वाले लोग हुंडी कारोबारियों के माध्यम से अपनी रकम आसानी से सफेद करा ले रहे हैं। हुंडी के धंधेबाजों ने इसके लिए गोरखपुर से लेकर नेपाल की राजधानी काठमांडू तक अपना तंत्र खड़ा कर लिया है।
गोरखपुर, नवनीत प्रकाश त्रिपाठी। गाढ़े वक्त में कारोबार के लिए पूंजी का इंतजाम करने का कभी माध्यम रहीं हुंडी अब काले धन को सफेद करने का जरिया बन गई है और नेपाल इसका हब। काली कमाई करने वाले लोग, हुंडी कारोबारियों के माध्यम से अपनी रकम आसानी से सफेद करा ले रहे हैं। हुंडी के धंधेबाजों ने इसके लिए गोरखपुर से लेकर नेपाल की राजधानी काठमांडू तक अपना तंत्र खड़ा कर लिया है। बीतेे सोमवार को काठमांडू 1.47 करोड़ से अधिक नेपाली मुद्रा के साथ गिरफ्तार किया गया गोरखपुर का अमित गुप्ता, हुंडी के इसी धंधे का नया लेकिन बड़ा खिलाड़ी बताया जा रहा है।
एक समय था जब पूंजी कम पडऩे कारोबारी, हुंडी चलाने वालों से रकम उधार लेकर कारोबार में लगाते थे। बाद में वे उधार ली गई रकम ब्याज के साथ हुंडी कारोबारियों को वापस कर देते थे। यह लेनदेन शुद्ध रूप से स्थानीय स्तर पर होता था, लेकिन हुंडी के कारोबार को काले धन को सफेद बनाने का धंधा बनाने वालों ने देश-विदेश में अपना संजाल खड़ा कर लिया है। तीन प्रतिशत कमीशन के बदले काली कमाई को सफेद कर देते हैं। बताते हैं कि काली कमाई का यह काला कारोबार हर महीने करोड़ों में पहुंच गया है।
इस तरह चलता है धंधा
काली कमाई को सफेद बनाने का हुंडी का धंधा पूरी तरह से विश्वास पर चलता है। लेनदेन की कहीं भी लिखा-पढ़ी नहीं होती है। हुंडी का धंधा करने वाले गोरखपुर में काला धन लेते हैं। इस रकम में से तीन प्रतिशत की कटौती कर वे विदेश में मौजूद अपने सहयोगियों की मदद से किसी अप्रवासी भारतीय के खाते से वह रकम उस व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर करा देते हैं, जिसने काला धन सफेद करने के लिए दिया होता है। अप्रवासी भारतीय (एनआरआइ) के खाते से आई रकम पर न तो किसी तरह का टैक्स लगता है और न ही पूछताछ होती है।
धंधे से जुड़े हैं नेपाल में रह रहे कई भारतीय
नेपाल की राजधानी काठमांडू में भारतीय मूल के कारोबारियों के बड़ी तादात है। इसमें से सर्वाधिक मध्यप्रदेश और राजस्थान के कारोबारी हैं। इनमें कई कारोबारी हुंडी के नेटवर्क से जुड़ गए हैं। भारत में रकम भेजने के लिए उनके खाते का प्रयोग किया जाता है। हुंडी के नेटवर्क से जुड़े भारतीय मूल के कारोबारी नोटबंदी से पहले भारतीय मुद्रा भी ले लेते थे लेकिन नोटबंदी के बाद उन्होंने भारतीय मुद्रा लेनी बंद कर दी। इसीलिए उनके खाते से रकम भेजने के लिए नेपाली मुद्रा में भुगतान करना पड़ रहा है। नेपाली पुलिस के हत्थे चढ़ा अमित गुप्त, कपिलवस्तु में भारतीय मुद्रा को नेपाली मुद्रा में बदलने के बाद काठमांडू ले जा रहा था। इस दौरान रास्ते में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। बताते हैं कि गोरखपुर के ही एक कारोबारी ने काली कमाई को सफेद करने के लिए उसे दिया था।
खाड़ी के कामगारों के खाते का भी होता है इस्तेमाल
खाड़ी देश में भारतीय कामगारों की खासी तादात है। हुंडी के धंधे से जुड़े लोग काले धन को सफेद बनाने के लिए इन कामगारों के खाते का भी प्रयोग होता है।
काठमांडू के पास से नेपाली मुद्रा के साथ गोरखपुर के अमित गुप्त की गिरफ्तारी का मामला संज्ञान में आया है। जांच-पड़ताल में नेपाल पुलिस यदि किसी तरह का सहयोग मांगती है तो स्थानीय स्तर पर मामले की छानबीन कराई जाएगी। - दावा शेरपा, एडीजी जोन