Coronavirus: ये हैं डा. अनीता, अपना सब कुछ त्यागकर दूसरों के घरों में बांट रही खुशियां Gorakhpur News
डा. अनीता शर्मा ने बताया कि एक बार ड्यूटी लग जाने पर 14 दिन होटल में ही रहना पड़ता है। मैं ही नहीं पूरा स्टाफ अपने घर नहीं जाता। सब अपनों से दूर रहते हैं। मरीजों की सेवा कर रहे हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। ललित नारायण मिश्र केंद्रीय रेलवे अस्पताल के कोविड- 19 लेवल-2 वार्ड में तैनात वरिष्ठ चिकित्सक डा. अनीता शर्मा अपना दिल पत्थर कर दूसरों के घरों में खुशियां बांट रही हैं। वार्ड से जब संक्रमित मरीज ठीक होकर निकलते हैं तो उनका हौसला और बढ़ जाता है। बातचीत में कहती हैं, सेवा ही धर्म है। शुरुआत में तो बहुत डर लगा था, अब तो मरीज ही अपने लगने लगे हैं। हां, बच्चियों की याद आती है तो दिल बैठ जाता है। यह कहते ही उनकी आंखें भर आईं।
स्टाफ का कोई सदस्य 14 दिन तक नहीं जाता है घर
खुद को संभालते हुए डा. अनीता ने फिर बातचीत शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि एक बार ड्यूटी लग जाने पर 14 दिन होटल में ही रहना पड़ता है। मैं ही नहीं पूरा स्टाफ अपने घर नहीं जाता। सब अपनों से दूर रहते हैं। मेरी पांच साल की दो जुड़वा बच्चियां हैं। किसी के घर पर बूढे मां-बाप हैं। तो किसी की पत्नी इंतजार करती रहती है। लेकिन कोई अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटता। यही वजह है कि आज रेलवे अस्पताल के कोरोना वार्ड की विश्वसनीयता बढ़ी है। मरीजों की देखभाल में किस तरह की दिक्कतें आती हैं। इस सवाल पर उन्होंने बताया कि मरीजों के हौसले को बनाए रखना बड़ी चुनौती है। मरीजों के अंदर के डर को दूर करने के लिए माहौल को खुशनुमा रखना पड़ता है।
सड़क पर भीड़ देख अच्छा नहीं लगता
उन्होंने कहा कि 14 दिन के बाद जब घर जाती हूं तो सड़क पर भीड़ देख अच्छा नहीं लगता। कुछ लोग ही नियमों का पालन करते हुए दिखते हैं। शारीरिक दूरी बनाकर ही हम कोविड-19 के चक्र को तोड़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि वार्ड में 24 घंटे चिकित्सक, स्टाफ नर्स और सफाईकर्मी की ड्यूटी रहती है। कुल 20 स्टाफ मिलकर इस वार्ड को संभाल रहे हैं।
हंसते हुए घर गई हैं 75 वर्ष की वैदेही और 90 की शांति देवी
कोविड वार्ड के चिकित्सकों, स्टाफ नर्स और सफाईकर्मियों की लगन और सेवा भाव का परिणाम है कि बुजुर्ग संक्रमित मरीज भी ठीक होकर हंसते हुए घर लौट रहे हैं। रेलवे अस्पताल के ओपीडी इंचार्ज डा. नंद किशोर बताते हैं कि वार्ड में भर्ती संक्रमित मरीज 90 वर्ष की शांति देवी और 75 वर्षीय वैदेही श्रीवास्तव एकदम फिट होकर अपने गई हैं। उनके परिजन बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि 87 मरीज ठीक होकर रेलवे अस्पताल से अपने घर जा चुके हैं। 32 को रेफर किया गया है। पांच मरीजों का अभी भी इलाज चल रहा है।
कभी कोरोना पॉजिटिव थे, अब कर रहे पॉजिटिव मरीजों की सेवा
दिल्ली और मुंबई से प्रवासियों को लेकर गोरखपुर पहुंचने वाली श्रमिक ट्रेनों से उतरने वाले यात्रियों की सेवा में लगे मंडल चिकित्साधिकारी डा. दुर्गेश चौधरी खुद कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 18 दिन आइसोलेशन में रहने के बाद कोरोना पर जीत हासिल की। आज वे कोरोना वार्ड में भर्ती मरीजों को लडऩा सिखा रहे हैं। कहते हैं, तनावपूर्ण माहौल में कार्य करना बेहद कठिन है। लेकिन अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को ठीक कर घर भेजना ही एकमात्र लक्ष्य है।