Coronavirus: शोध में कारगर नहीं मिला कोरोना का यह इंजेक्शन
आइसीएमआर के प्रवक्ता डा.रजनीकांत का कहना है कि रेमडेसिविर कारगर नहीं पाया गया है। विश्व के 30 अन्य देशों में भी इस इंजेक्शन पर हुए शोध के परिणाम एक जैसे ही रहे हैं। यहां हुए अध्ययन की रिपोर्ट कोर कमेटी को भेजी जा रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना के गंभीर मरीजों को लगाया जाने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के शोध में कारगर नहीं मिला है। डेढ माह में लगभग 930 मरीजों पर इस इंजेक्शन का प्रयोग किया गया, लेकिन संक्रमण कम करने में यह असरदार नहीं रहा।
कारगर नहीं पाए जाने पर उपयाेगिता पर उठे थे सवाल
करीब तीन माह पूर्व टासिलीजुमैब इंजेक्शन को भी आइसीएमआर ने कारगर नहीं पाया था। अब रेमडेसिविर की उपयोगिता पर भी सवाल खड़ा हो गया है। बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज में मरीजों को यह निश्शुल्क लगाया जाता है, लेकिन निजी अस्तपालों में मरीजों को खरीदना पड़ता है। टासिलीजुमैब की अपेक्षा काफी सस्ता होने से ज्यादातर अस्पताल इसी का प्रयोग कर रहे हैं। टासिलीजुमैब लगभग 40 हजार व रेमडेसिविर लगभग पांच हजार रुपये का है। कालेज प्रशासन के अनुसार केवल मेडिकल कालेज में चार से पांच हजार इंजेक्शन मरीजों को लगाए जा चुके हैं। एक हजार से अधिक मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। दवा विक्रेता समिति के अनुसार निजी अस्पतालों व आसपास के जिलों सहित बिहार तक लगभग पांच हजार इंजेक्शन की आपूर्ति हो चुकी है। बाजार में लगभग 300 वायल उपलब्ध हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
आइसीएमआर के प्रवक्ता डा.रजनीकांत का कहना है कि रेमडेसिविर कारगर नहीं पाया गया है। विश्व के 30 अन्य देशों में भी इस इंजेक्शन पर हुए शोध के परिणाम एक जैसे ही रहे हैं। यहां हुए अध्ययन की रिपोर्ट कोर कमेटी को भेजी जा रही है। इसके प्रयोग को लेकर गाइडलाइन वहीं से तैयार होगी। वहीं दवा विक्रेता समिति के महामंत्री आलोक चौरसिया का कहना है कि आइसीएमआर की रिपोर्ट के बारे में पता चला है। इसके बाद नए आर्डर नहीं भेज रहे हैं। जो इंजेक्शन उपलब्ध हैं, उनकी बिक्री को लेकर चिंता है। सरकार की नई गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है।