नव प्रवर्तन प्रदर्शनीः यह सिर्फ नाम की साइकिल चलती है मोटरबाइक की तरह
महराजगंज के एक युवक ने एक ऐसी साइकिल का आविष्कार किया है जो मोटरसाइकिल की तरह चलती है। अजय को अपने आविष्कार के साथ मंडल स्तरीय नव प्रवर्तन प्रदर्शनी में बुलाया गया है।
By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 04:15 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 02:10 PM (IST)
महराजगंज, (सच्चिदानंद मिश्र)। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा क्षेत्रीय परिषद कार्यालय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला (तारामंडल) में 24 अक्टूबर को आयोजित एक दिवसीय मंडल स्तरीय नव प्रवर्तन प्रदर्शनी एवं प्रवर्तन हेतु प्रशिक्षण कार्यशाला में जनपद के मिठौरा के उद्यमी व तकनीक के आधार पर इलेक्ट्रिक साइकिल बनाने वाले अजय की इलेक्ट्रिक साइकिल को प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने जिलाधिकारी के माध्यम से आमंत्रण पत्र भेजा है। एक दिवसीय कार्यशाला में 18 जनपदों के उद्यमियों के नव आविष्कार व तकनीकियों से निर्मित नव कलाकृतियां सहित नए आविष्कार देखने को मिलेंगे । जिसमें मिठौरा के अजय की इलेक्ट्रिक साइकिल; जनपद की प्रतिनिधित्व करती हुई नजर आएगी। आयोजित कार्यशाला में नव प्रवर्तन हेतु उपस्थित उद्यमियों का नव विचारों व नई तकनीकियों से संबंधित प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
क्या है अजय की इलेक्ट्रिक साइकिल का राज
अजय की साइकिल यू तो साइकिल ही है किंतु चलती स्कूटर की तरह है। इसे चलाने के लिए पैडल नहीं मारना पड़ता। स्कूटर की तरह एक्सीलेटर घुमाना पड़ता है। हालांकि पैडल का विकल्प भी साइकिल में खुला हुआ है। चित्रकला से तकनीक की राह पर आगे बढ़े अजय ने लोगों के पास बाइक व स्कूटर देख इस साइकिल का आविष्कार किया था। बच्चों के खिलौनों की तकनीकी पर गंभीरता से अध्ययन किया व डीसी मोटर के सहयोग से बैटरी वाली साइकिल बनाकर नाम हासिल किया। फिलहाल अजय ने इस साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल नाम दिया है। बैट्री से चलने वाली यह साइकिल अबतक सिर्फ क्षेत्रीय लोगों के लिए आकर्षण की केंद्र थी, किंतु अब नव प्रवर्तन प्रदर्शनी में लगने पर अजय को चहुओर बधाई मिल रही है।
क्या है अजय की इलेक्ट्रिक साइकिल का राज
अजय की साइकिल यू तो साइकिल ही है किंतु चलती स्कूटर की तरह है। इसे चलाने के लिए पैडल नहीं मारना पड़ता। स्कूटर की तरह एक्सीलेटर घुमाना पड़ता है। हालांकि पैडल का विकल्प भी साइकिल में खुला हुआ है। चित्रकला से तकनीक की राह पर आगे बढ़े अजय ने लोगों के पास बाइक व स्कूटर देख इस साइकिल का आविष्कार किया था। बच्चों के खिलौनों की तकनीकी पर गंभीरता से अध्ययन किया व डीसी मोटर के सहयोग से बैटरी वाली साइकिल बनाकर नाम हासिल किया। फिलहाल अजय ने इस साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल नाम दिया है। बैट्री से चलने वाली यह साइकिल अबतक सिर्फ क्षेत्रीय लोगों के लिए आकर्षण की केंद्र थी, किंतु अब नव प्रवर्तन प्रदर्शनी में लगने पर अजय को चहुओर बधाई मिल रही है।
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