जानें, Coronavirus के इलाज में कौन सी दवाओं का हो रहा इस्तेमाल Gorakhpur News
डॉ.गणेश कुमार का कहना है कि एक मरीज के एक खुराक पर महज 25-30 रुपये का खर्च आया है। जिनमें संक्रमण ज्यादा था केवल उन्हें ही एंटीबायोटिक दी गई।
गोरखपुर, जेएनएन। बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोरोना संक्रमितों को ठीक करने में सस्ता इलाज कारगर साबित हुआ है। जिले में अब तक 11 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। इनमें ज्यादातर मरीज केवल पैरासिटामाल के इस्तेमाल से ठीक हो गए। मरीजों को ठीक करने में गर्म पानी, डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टॉफ की सतर्कता की भी बड़ी भूमिका रही।
गोरखपुर का पहला मरीज इसी से हुआ स्वास्थ्य
हाटा बुजुर्ग के पहले कोरोना संक्रमित को हार्ट व सुगर की समस्या थी, इसलिए उन्हें ठीक होने में एक माह लगा। ऐसे मरीज, जिन्हें हार्ट या किडनी की दिक्कत है, उन्हें छोड़ शेष मरीज सस्ती दवाइयों से ठीक होकर मात्र 14 दिन में घर जा चुके हैं। कुछ मरीजों को हाईड्राक्सीक्लोरोक्वीन व एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन दवाएं भी दी गईं। जिनकी कीमत क्रमश: छह रुपये व 25 रुपये हैं। फिलहाल जिले में 46 संक्रमित मरीजों का मेडिकल कॉलेज और रेलवे अस्पताल में इलाज चल रहा है।
एक माह के खुराक पर मात्र तीस रुपये का खर्च
बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.गणेश कुमार का कहना है कि एक मरीज के एक खुराक पर महज 25-30 रुपये का खर्च आया है। जिनमें संक्रमण ज्यादा था, केवल उन्हें ही एंटीबायोटिक दी गई। जिन मरीजों में लक्षण नहीं थे, वे गर्म पानी व खान-पान से ही ठीक हो गए। अभी तक केवल एक मरीज को ऑक्सीजन लगाने की जरूरत पड़ी है।
गोरखपुर में दवाओं का कारोबार आधा
लॉकडाउन के दौरान कोरोना से बचने के लिए लोगों ने अतिरिक्त सतर्कता बरती। प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के लिए खानपान सुधारने के साथ ही योग-व्यायाम का सहारा लिया। घरों में रहने के कारण लोग एक तो प्रदूषण से बचे, दूसरे बाजार के खाद्य पदार्थों से दूर रहने के कारण पेट संबंधी, संक्रमण, बुखार आदि बीमारियां भी दूर रहीं। साफ है स्वास्थ्य अच्छा रहने से दवाओं की जरूरत कम पड़ी। डॉक्टरों की क्लीनिक व अस्पताल बंद रहना भी दवाओं की खपत कम होने की एक वजह रही। असर सीधा दवाओं की बिक्री पर पड़ा। पूर्वांचल के थोक बाजार गोरखपुर के भालोटिया मार्केट में जहां रोजाना का कारोबार करीब सात से आठ करोड़ की दवाओं का होता था, वह घटकर साढ़े तीन से चार करोड़ तक आ गया। करीब 16 सौ दुकानों वाली दवा की इस थोक मंडी में गोरखपुर ही नहीं, आसपास के जिलों के साथ नेपाल के सीमाई इलाकों व पश्चिमी बिहार के भी व्यापारी पहुंचते हैं। लेकिन लॉकडाउन ने यहां की पूरी तस्वीर ही बदल दी।