अब जमीन की रजिस्ट्री में नहीं चलेगा फर्जीवाड़ा, जानें-क्या हुई है नई व्यवस्था Gorakhpur News
जमीन की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए तहसील व निबंधन कार्यालय को आपस में लिंक किया जाएगा। इससे वास्तविक भूस्वामी की तुरंत पहचान हो सकेगी।
गोरखपुर, जेएनएन। अब एक ही जमीन की कई बार रजिस्ट्री कर फर्जीवाड़ा करने वालों के दिन लदने वाले हैं। जमीन की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए तहसील व निबंधन कार्यालय को आपस में लिंक किया जाएगा। निबंधन कार्यालय व राजस्व विभाग के आपस में लिंक हो जाने से फर्जीवाड़े पर पूरी तरह अंकुश लग सकेगा। इस स्थिति में जैसे ही कोई व्यक्ति अपने हिस्से की जमीन की रजिस्ट्री किसी अन्य को करेगा, उसका आनलाइन ब्योरा तहसील कार्यालय में चला जाएगा। तहसील प्रशासन उस बेचे गए हिस्से को राजस्व दस्तावेज यानि खतौनी से हटा देगा। स्थानीय स्तर पर रजिस्ट्री व राजस्व विभाग को आपस में लिंक करने की तैयारी पूरी कर ली गई है।
खतौनी संख्या डालते ही भूस्वामी की हो सकेगी पहचान
दोनों विभागों के आपस में लिंक होने पर वास्तविक भूस्वामी की तुरंत पहचान हो सकेगी। निबंधन कार्यालय के साफ्टवेयर में खतौनी संख्या डालने पर, भूस्वामी की फोटो दिखाई देगी। इससे वास्तविक विक्रेता की पहचान हो सकेगी और लोग धोखाधड़ी से बच सकेंगे। वर्तमान में निबंधन कार्यालय के पर जमीन विक्रेता के सत्यापन कराने की कोई व्यवस्था नहीं है। मंडल में कुल 23 निबंधन कार्यालय है जिसमें आठ गोरखपुर जनपद में हैं। कुशीनगर में छह, देवरिया में पांच व महराजगंज में चार निबंधन कार्यालय हैं।
शीघ्र लागू होगी व्यवस्था
अपर जिलाधिकारी वित्त राजेश सिंह का कहना है कि योजना बहुत अच्छी है। तहसील कार्यालय भी आन लाइन हो गए हैं। निबंधन कार्यालय को बैनामे की आनलाइन फीडिंग तहसील कार्यालय को देनी है। स्थानीय स्तर पर सभी तैयारियां पूरी हैं। शासन की हरी झंडी मिलते ही यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।
तहसील और निबंधन कार्यालय आपस में नहीं थे लिंक
निबंधन के उप महानिरीक्षक रामानंद सिंह का कहना है कि तहसील और निबंधन कार्यालय को आपस में लिंक किए जाने का कार्य तहसील स्तर से ही होना है। सर्वे के लिए तहसीलों को बजट भी आवंटित किया गया था, लेकिन अभी तक दोनों विभाग आपस में लिंक नहीं हो सके हैं। लिंक होने से फर्जीवाड़े पर पूरी तरह से अंकुश लग जाएगा।