अब गोरखपुर एम्स में होगा इंसेफ्लाइटिस व अन्य बीमारियों पर शोध, होगी अलग फेकल्टी
गोरखपुर एम्स में अब इंसेफलाइटिस एवं अन्य क्षेत्रीय बीमारियों पर शोध होगा। इसके लिए अलग फेकल्टी बनने जा रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वाचल के लिए अच्छी खबर है। एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) न सिर्फ लोगों की बेहतर चिकित्सा की व्यवस्था करेगा बल्कि यहां इंसेफ्लाइटिस सहित क्षेत्रीय बीमारियों पर शोध भी किए जाएंगे। खासकर यहां की जानलेवा बीमारी इंसेफ्लाइटिस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, इसकी अलग फेकल्टी होगी और उसमें इस बीमारी के कारणों की तह तक जाकर पड़ताल की जाएगी, ताकि पूर्वाचल को इस जानलेवा बीमारी से मुक्ति दिलाई जा सके। साथ ही अन्य क्षेत्रीय बीमारियों पर भी शोध कर उनके कारणों की तलाश की जाएगी ताकि लोगों को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान किया जा सके।
सितंबर से होगी एमबीबीएस की पढ़ाई
एम्स का एकेडमिक भवन बनकर तैयार हो चुका है। सितंबर से एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी। अभी ओपीडी एक छोटे भवन में चल रही है, जिसमें रेडियोलॉजी व पैथालॉजी को लेकर कुल 12 विभाग कार्य कर रहे हैं। ओपीडी भवन बनकर लगभग तैयार है, आगामी दो माह में ओपीडी नए भवन में संचालित होने लगेगी, जिसमें कुल 41 विभाग संचालित किए जाएंगे। इसी के साथ आयुष भी शुरू कर दिया जाएगा। अमृत फार्मेसी के जरिये मरीजों को दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही एम्स परिसर में तीमारदारों के लिए धर्मशाला बनाने की योजना है। अगले साल से इनडोर (मरीज भर्ती करने की सुविधा) भी शुरू कर दी जाएगी। कुल 183 फेकल्टी के पद स्वीकृत हैं। अभी 124 फेकल्टी के लिए आवेदन भी मांगे गए हैं।
एम्स की प्राथमिकता में अच्छी पढ़ाई, अच्छी दवाई और अच्छा रिसर्च
एम्स के डायरेक्टर डॉ. संजीव मिश्रा का कहना है कि हमारी मुख्य प्राथमिकता अच्छी पढ़ाई, अच्छी दवाई और अच्छा रिसर्च है। इंसेफ्लाइटिस सहित अन्य क्षेत्रीय बीमारियों पर शोध होगा और उसके कारणों की पड़ताल की जाएगी ताकि पूर्वाचल को खतरनाक बीमारियों से मुक्ति दिलाई जा सके।