Move to Jagran APP

शहरी जंगल का ख्वाब दूर, अभी भूमि ही चयनित नहीं Gorakhpur News

वन विभाग का कहना है कि इसकी घोषणा तो चुकी है पर अभी इससे संबंधित कोई आदेश नहीं आया है। आदेश आने के बाद ही इस दिशा में कदम उठाया जाएगा।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 07:20 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 09:20 AM (IST)
शहरी जंगल का ख्वाब दूर, अभी भूमि ही चयनित नहीं Gorakhpur News
शहरी जंगल का ख्वाब दूर, अभी भूमि ही चयनित नहीं Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। हां नगर निगम क्षेत्र के लिए शहरी जंगल का ख्वाब अभी दूर है। वजह इसके लिए अभी तक शहर में कोई भूमि चिन्हित नहीं है और न ही नगर निगम व वन विभाग अभी इस दिशा में कोई तैयारी कर रहे हैं। वन विभाग का कहना है कि इसकी घोषणा तो चुकी है, पर अभी इससे संबंधित कोई आदेश नहीं आया है। आदेश आने के बाद ही इस दिशा में कदम उठाया जाएगा।

loksabha election banner

केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि नगर निकाय क्षेत्रों में नगर निकाय क्षेत्रों में शहरी जंगल (सिटी फारेस्ट) विकसित किया जाएगा। इसके तहत शहर में एक हेक्टेयर भूमि चिन्हित करके वहां सैकड़ों की संख्या में पेड़ पौधे लगाए जाएंगे। यह शहर के लिए एक आक्सीजन जोन की भांति होगा। इसमें लोगों के टहलने की व्यवस्था होगी और छोटी-छोटी झोपडिय़ों में लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसके लिए प्रमुख सचिव अर्बन डेवलपमेंट दीपक कुमार ने वन व नगर निगम के अधिकारियों संग ऑनलाइन मीटिंग कर चुके हैं। सिटी फारेस्ट में पैदल चलने वालों के लिए पगडंडी, बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था आदि के साथ उसे पर्यटकीय रूप दिया जाएगा। इस स्थल को प्राकृतिक जंगल का रूप दिया जाएगा, लेकिन निकाय क्षेत्र में अभी कोई भूमि इसके लिए चिन्हित नहीं है। यहां मियावाकी फारेस्ट के लिए भूमि की तलाश की जा रही है। ऐसे में सिटी फारेस्ट का ख्वाब कैसे पूरा होगा, आसानी से समझा जा सकता है। नगर निगम सिटी फारेस्ट के बजाय मियावाकी फारेस्ट पर जोर दे रहा है, इसके लिए वह भूमि की तलाश भी कर रहा है।

क्या है मियावाकी तकनीक

सामान्यत: एक हेक्टेयर में 1100 पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन मियावाकी तकनीकि के जरिये इस उपवन में 33 हजार पौधे लगाए जाएंगे। इसमें पौधों की जड़े आपस में जुड़ जाएंगी। उसके बाद पौधों का तेजी से विकास हो सकेगा। डीएफओ अविनाश कुमार का कहना है कि वनस्पति शास्त्री अकीरा मियावाकी ने विकसित किया था। इस तकनीकि की मदद से बहुत कम और बंजर जमीन में भी तीन तरह के पौधे (झाड़ीनुमा, मध्यम आकार के पेड़ व छांव देने वाले बड़े पेड़) लगाकर जंगल उगाया जा सकता है। इस तकनीकि से पौधों का तेजी से विकास होता है। इस संबंध में डीएफओ अविनाश कुमार का कहना है कि सिटी फारेस्ट की घोषणा केंद्र के स्तर से हुई है। यहां अभी तक कोई आदेश आया नहीं है। आदेश आने के बाद यहां भी तैयारी की जाएगी। वहीं नगर आयुक्‍त अंजनी कुमार सिंह का कहना है कि सिटी फारेस्ट के लिए अभी कोई निर्देश नहीं मिला है। नगर में एक हेक्टूयर भूमि भी एक साथ उपलब्ध नहीं है। छोटी-छोटी कई भूमि है। इसमें से फियावाकी फारेस्ट के लिए भूमि देखी जा रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.