मच्छर हुए ताकतवर, दवाएं बेअसर, अब हफ्ते भर में पैदा हो रहे लार्वा
मच्छरों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है। इसलिए उन पर किसी छिड़काव का ज्यादा असर नहीं पड़ता है। इससे सावधान रहने की जरूरत है।
गोरखपुर, जेएनएन। समय के साथ मच्छर भी शक्तिशाली होते जा रहे हैं। उन पर रसायनों का छिड़काव, मैट्स, मास्क्यूटो लिक्विडेटर भी बेअसर हो गए हैं। बीते 10 से 15 साल में मच्छरों ने प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा ली है। लिहाजा 12 से 16 दिन में पनपने वाले लार्वा अब हफ्ते भर में पैदा होने लगे हैं। रात की तरह दिन में भी मच्छर डंक चुभा रहे हैं।
मच्छरों का जीवन चक्र
-पानी में मच्छर पनपते हैं और लोगों को अपना शिकार बनाते हैं।
-मच्छरों के जीवन चक्र में चार अवस्थाएं रहती हैं। अंडा, लार्वा, प्यूपा और वयस्क मच्छर शामिल हैं।
-मादा मच्छर मनुष्य व जानवर का खून चूसती है। जबकि नर मच्छर पौधों का रस चूसते हैं।
मलेरिया और उसके लक्षण
मलेरिया परजीवी एक प्राथमिक पोषक मादा एनाफिलीज मच्छर होती है। एनाफिलीज मच्छर मलेरिया संक्रमित व्यक्ति को ही काटती है, उसके शरीर से मलेरिया परजीवी का ग्रहण कर दूसरे के शरीर में पहुंचा देती है। एक दिन छोड़कर तेज बुखार आना, ठंड लगना, कंपकंपी छूटना, दस्त, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
डेंगू और उसके लक्षण
मादा एडीज मच्छर के काटने से डेंगू हो जाता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति को डंक चुभाने से होता है। सबसे पहले वायरस मादा मच्छर के पेट में होता है।
इसके लक्षणों में मांसपेशियों व जोड़ों में तेज दर्द, लाल चकत्ते पड़ना, पेट खराब, भूख न लगना, कमजोरी, चक्कर आना आदि शामिल है।
जापानी बुखार और उसके लक्षण क्यूलेक्स मच्छर जापानी इंसेफ्लाइटिस वायरस से संक्रमित होते हैं। क्यूलेक्स मच्छर से जेई का वायरस संक्रमित सुअर का खून चूसने पर आ जाता है।
लक्षण: सिर दर्द, तेज बुखार, गर्दन में अकड़न, घबराहट, कंपकंपी छूटना, कोमा में चले जाना आदि।
जिला मलेरिया अधिकारी ने कहा
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह का कहना है कि मच्छरों पर दवाओं का असर कम हो रहा है, इसलिए लार्वा स्तर पर भी उन्हें खत्म करने के लिए एंटी लार्वा दवाओं का छिड़काव कराया जा रहा है।