गोरखपुर में जरूरी दवाओं की किल्लत, जिला अस्पताल में एक माह से नहीं हैं आवश्यक दवाएं
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज जिला अस्पताल व जिला महिला अस्पताल से जरूरी दवाएं गायब हो गई हैं। इससे मरीजों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। खासकर गर्भवती व थैलीसीमिया के मरीजों की दवाएं बहुत महंगी है इन्हें खरीदना आम आदमी के वश की बात नहीं है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। बीआरडी मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल व जिला महिला अस्पताल से कुछ जरूरी और महंगी दवाएं गायब हो गई हैं। इनकी आपूर्ति के लिए मांग भेजी गई है। लेकिन अभी तक अस्पतालों को दवाएं मिल नहीं पाई हैं। मरीजों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। खासकर गर्भवती व थैलीसीमिया के मरीजों की दवाएं बहुत महंगी है, इन्हें खरीदना आम आदमी के वश की बात नहीं है। जीवन सुरक्षित करने के लिए मजबूरी में उन्हें बाजार से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।
थैलीसीमिया, गैस, हड्डी, चर्म रोग व झटके की दवाएं बीआरडी से नदारद
बीआरडी मेडिकल कालेज में ढाई सौ रुपये प्रति टेबलेट मिलने वाली थैलीसीमिया के मरीजों में आयरन के दुष्प्रभाव को कम करने वाली दवा ओलेटिप्स 360 एमजी गायब है। इन मरीजों को बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है, इससे इनके शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से दिल, फेफड़े व हड्डियों के जोड़ खराब हो जाते हैं। इससे बचाव के लिए हर मरीज को प्रतिदिन चार गोली खानी पड़ती है, अर्थात एक दिन में एक हजार रुपये की दवा। इसे बाजार से खरीदकर खाना आम आदमी की सीमा के बाहर है। बावजूद इसके कालेज प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। इसके अलावा एसीडिटी की दवा पैनटाप-40, पैनटाप डीएसआर, एसिलाक, हड्डी मजबूत करने वाली दवा कैल्शियम टेबलेट, कैल्शियम सिरप, मल्टी विटामिन सिरप एवं चर्म रोग की दवा क्लोट्राइमजोल, मैकनाजोल ट्यूब, स्केबियाल, परमेर्थीन लोशन, मानसिक रोग की एलट्रीप 10 व झटके के मरीजों की दवा टेग्रिटाल टेबलेट खत्म हो गया है।
अस्पतालों से जरूरी दवाएं गायब, मरीजों की दिक्कतें बढ़ीं
जिला अस्पताल में ब्लड प्रेशर (बीपी) की दवा टेल्मीसार्टन, धड़कन व बीपी की दवा मेटोप्रोलोल, ईयर ड्राप, चर्म रोग की परमेर्थीन व स्टेरायड क्रीम समाप्त हो गई है। ये दवाएं लगभग एक माह से खत्म हैं। न तो कारपोरेशन से आईं और न ही आर्डर देने के बाद कंपनी ने भेजी है। मुंबई के एक कंपनी को आर्डर एक माह पहले भेजा गया है। महिला अस्पताल से सबसे महत्वपूर्ण व महंगी दवा- एंडी डी गायब हो गई है। यह दवा ऐसी गर्भवती को इंजेक्शन के जरिये दी जाती है, जिनका ब्लड ग्रुप निगेटिव व उनके पति का पाजिटिव होता है। आइसोइम्यूनाइज्ड प्रेग्नेंसी के खतरे से बचाने के लिए इस दवा का प्रयोग किया जाता है। यह दवा छह माह से नहीं है।
शीघ्र आ जाएंगी दवाएं
जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. एसी श्रीवास्तव व बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेश कुमार राय ने कहा कि दवाएं शीघ्र ही उपलब्ध हो जाएंगी। जो दवाएं कारपोरेशन से नहीं आएंगी, उनकी स्थानीय स्तर पर खरीदारी कर मरीजों को उपलब्ध कराई जाएंगी। जिला महिला अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. नीना त्रिपाठी ने बताया कि एंडी डी छह माह से नहीं आ रही है। इसकी मांग कई बार भेजी गई है। मरीजों को बाजार से खरीदनी पड़ रही है।