विदेशों से आते हैं पर्यटक, फिर भी उपेक्षित है नौवें तीर्थकर भगवान पुष्प दंत जैन की तपोस्थली Gorakhpur News
देवरिया जिले में भगवान पुष्प दंत नाथ की तपोस्थली कुकुभ (वर्तमान में कहांव) की उपेक्षा जैन धर्मावलंबियों को आहत कर रही है। वहां पहुंचने का रास्ता भी जर्जर है।
गोरखपुर,जेएनएन। देवरिया जिले में भगवान पुष्प दंत नाथ की तपोस्थली कुकुभ (वर्तमान में कहांव) की उपेक्षा जैन धर्मावलंबियों को आहत कर रही है। झाड़ियों से घिर चुके सदियों पुराने मान स्तंभ का रास्ता भी जर्जर हो चुका है।
इन देशों से आते हैं पर्यटक
प्रकाश का इंतजाम न होना इसकी उपेक्षा की गवाही है। यह हालत तब है इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और बैंकाक आदि देशों से जैन धर्म के अनुयायी नौवें तीर्थकर की तपोस्थली का दर्शन करने यहां आते हैं। मुसैला-भागलपुर मार्ग पर स्थित कहांव गांव का मान स्तंभ जैन धर्मावलंबियों के लिए आस्था का केंद्र है। 1800 वर्ष पूर्व यहां मंदिर व स्तूप के अलावा 31 फीट ऊंचे मान स्तंभ का निर्माण कराया गया था। यहां स्थापित भगवान दिगंबर जैन की काले व भूरे रंग की प्रतिमाएं पर्यटकों के लिए पूजनीय हैं। देश-विदेश के सैलानी इसका दर्शन करने आते हैं, लेकिन यहां की अव्यवस्था उन्हें निराश कर देती है। इस ऐतिहासिक धरोहर के प्रति न तो पुरातत्व विभाग संवेदनशील है और न ही शासन-प्रशासन।
एक दशक पहले चारो तरफ हुुुई थी बाउंड्री
एक दशक पहले मान स्तंभ के चारो तरफ बाउंड्री कराई गई तो इसके जीर्णोद्धार की उम्मीद जगी थी, लेकिन पुरातत्व विभाग ने इसके बाद यहां कोई काम नहीं कराया। पुष्पक वन में ली थी दीक्षा भगवान पुष्प दंत का जन्म खुखुंदू के निकट काकंदी में जबकि दीक्षा कहांव स्थित पुष्पक वन में हुई थी। जैन धर्म के ग्रंथों के अनुसार यहां नाग वृक्ष के नीचे कार्तिक शुल्क की तृतीया तिथि को उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
भगवान पुष्प दंत की तपोस्थली की उपेक्षा तभी दूर होगी जब पुरातत्व विभाग इसकी खोदाई कराए। इससे भगवान से जुड़ी कई और अहम जानकारियां मिलेंगी। इसे पर्यटक स्थल घोषित करके इसका जीर्णोद्धार कराया जाना चाहिए। पीडी जैन, अध्यक्ष पारस नाथ दिगंबर जैन सोसायटी