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छोटा कारोबार करने वालों को पहले फंसाते थे, बाद में चिटफट कंपनी में जमा कराते थे पैसा Gorakhpur News

कम्पनी के जिम्मेदार छोटा कारोबार करने वालों को फंसा कर अपना शिकार बनाते थे और प्रतिदिन पैसा जमा करने के लिए जारी करते थे।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 08:28 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 08:00 AM (IST)
छोटा कारोबार करने वालों को पहले फंसाते थे, बाद में चिटफट कंपनी में जमा कराते थे पैसा Gorakhpur News
छोटा कारोबार करने वालों को पहले फंसाते थे, बाद में चिटफट कंपनी में जमा कराते थे पैसा Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। चिटफंड कंपनी के तरफ पैसा डेढ़ गुना करने के नाम पर 50 लाख की ठगी करने की शिकायत के बाद पुलिस जांच आगे बढऩे के साथ ही नए खुलासे हो रहे है। कम्पनी के जिम्मेदार छोटा कारोबार करने वालों को फंसा कर अपना शिकार बनाते थे और प्रतिदिन पैसा जमा करने के लिए जारी करते थे। हालांकि भागने की सूचना के बाद दापे दर्जन से अधिक लोगों ने पुलिस को तहरीर दी है मगर मुकदमा नहीं दर्ज हो सका है।

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छह साल पहले खोली थी कंपनी

सहजनवां थाना क्षेत्र के घघसरा में लगभग छह वर्ष पहले एक व्यक्ति ने ओरियंट किसान शक्ति एग्रो एण्ड डेयरी मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के नाम से कंपनी चलाता था। लगभग तीन वर्ष पहले घघसरा से हटाकर कंपनी के कार्यालय को सहजनवां नगर के सहजबाजगंज वार्ड में फोरलेन के किनारे खोल दिया गया है। कंपनी के जुड़े जिम्मेदार गांवों और चौराहों पर छोटा करोबार करके अपना पालन पोषण करने वालों को शिकार बताते थे। इसमें दो दर्जन से अधिक पीडि़तों में कुछ ठेला लगाने वाले, नाई की दुकान चलाने वाले, पंचर बनाने वाली आदि शामिल हैं।

क्‍या कहते हैं पीडि़त

पंचर की दुकान चलाने वाले शेषमणि ने बताया कि दो लोग आए। उन्‍होंने प्रति दिन 50 रुपये जमा करने के कुछ महीने के बाद डेढ़ गुना पैसा देने का वादा किया, जिसके बाद खाता खोल दिया गया।

नाई की दुकान चलाने वाले सुरेश का कहना है कि भविष्य में एक मुश्त पैसा मिलने के बाद कोई कार्य होता, इसको देखकर जमा किया जा रहा था लेकिन कम्पनी के जिम्मेदार जनता के साथ जालसाजी कर रहे है और मुकदमा नहीं लिखा जा रहा है। थानेदार दिनेश मिश्र ने कहा कि जल्द ही मुकदमा लिखा जाएगा।

दूसरे के नाम पर है कंपनी

चिटफंड कंपनी के जिम्मेदारों के तरफ से गरीबों का धन ठगे जाने की शिकायत के बाद नई बातें सामने आ रही हैं। पुलिस से जुड़े सूत्रों की माने तो मुख्य आरोपित कागजों के अभाव में पुलिस की चंगुल में नहीं फंस रहा है। कंपनी का रजिस्टेशन एक व्यक्ति के नाम किया गया, जबकि पैसा जमा करने के बाद रसीद देने की जिम्मेदारी दूसरे व्यक्ति को दी गई थी। रसीद पर उसी व्यक्ति के हस्ताक्षर हैं, जिससे पुलिस के सामने असमंजस की स्थिति बनी है।  


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