प्रदेश के पहेल डिजिटल ब्लॉक को दो साल बाद भी नहीं मिली सुविधा
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के उस्का बाजार को भले ही पहला डिजिटल ब्लाक घोषित किया गया लेकिन उसे अभी तक सुविधा नहीं मिली
By Edited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 10:05 AM (IST)
गोरखपुर, (जेएनएन)। केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद सिद्धार्थनगर जिले के उस्का बाजार को प्रदेश का प्रथम डिजिटल ब्लॉक भले ही घोषित कर जो सपना दिखाया गया था वह दो वर्ष बाद भी हकीकत में नहीं बदल सका है। बता दें कि 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद डिजिटलाइजेशन का नारा बुलंद हुआ तो नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाने का कार्य जोर पकड़ने लगा।
14 अगस्त 2016 को केंद्रीय संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने समारोह के दौरान इस ब्लॉक क्षेत्र को प्रदेश का प्रथम डिजिटल ब्लॉक घोषित किया। कार्यक्रम स्थल से ही खंड विकास अधिकारी कार्यालय पर वीडियो कान्फ्रें¨सग भी की। उम्मीद थी कि विकास क्षेत्र के सभी गांव जल्द ही डिजिटल हो जायेंगे। इससे एक तरफ जहां किसानों को कृषि उत्पादन व मृदा संबंधी जानकारी मिलने में आसानी होती वहीं विद्यालयों में ई-क्लास चलाने में सुविधा होगी। इतना ही नहीं सरकार की मंशा के अनुसार गांव के लोग बड़े चिकित्सकों से ऑनलाइन परामर्श भी पाते।
दूरसंचार विभाग ने विकास क्षेत्र में नेशनल ऑप्टिकल फाइबर का जाल बिछाया और सरकारी विद्यालयों में सिस्टम लगाने के साथ गांवों में हॉट स्पॉट पॉइंट भी लगाये, लेकिन अभी तक सिस्टम सक्रिय नहीं हो सका। अब तो विद्यालयों की छतों पर लगे सोलर पैनल चोरी भी होने लगे हैं। लोगों का मानना है कि जब प्रदेश के प्रथम डिजिटल ब्लॉक का य़ह हाल है तो अन्य ब्लॉकों का क्या होगा। इस संबंध में सांसद जगदम्बिका पाल ने बताया कि ब्लॉक को डिजिटल घोषित के बाद भी सिस्टम सक्रिय न होना इसके लिए विभागीय अधिकारियों से पड़ताल करेंगे। लापरवाही मिलने पर संबंधित पर कार्रवाई कराई जाएगी।
14 अगस्त 2016 को केंद्रीय संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने समारोह के दौरान इस ब्लॉक क्षेत्र को प्रदेश का प्रथम डिजिटल ब्लॉक घोषित किया। कार्यक्रम स्थल से ही खंड विकास अधिकारी कार्यालय पर वीडियो कान्फ्रें¨सग भी की। उम्मीद थी कि विकास क्षेत्र के सभी गांव जल्द ही डिजिटल हो जायेंगे। इससे एक तरफ जहां किसानों को कृषि उत्पादन व मृदा संबंधी जानकारी मिलने में आसानी होती वहीं विद्यालयों में ई-क्लास चलाने में सुविधा होगी। इतना ही नहीं सरकार की मंशा के अनुसार गांव के लोग बड़े चिकित्सकों से ऑनलाइन परामर्श भी पाते।
दूरसंचार विभाग ने विकास क्षेत्र में नेशनल ऑप्टिकल फाइबर का जाल बिछाया और सरकारी विद्यालयों में सिस्टम लगाने के साथ गांवों में हॉट स्पॉट पॉइंट भी लगाये, लेकिन अभी तक सिस्टम सक्रिय नहीं हो सका। अब तो विद्यालयों की छतों पर लगे सोलर पैनल चोरी भी होने लगे हैं। लोगों का मानना है कि जब प्रदेश के प्रथम डिजिटल ब्लॉक का य़ह हाल है तो अन्य ब्लॉकों का क्या होगा। इस संबंध में सांसद जगदम्बिका पाल ने बताया कि ब्लॉक को डिजिटल घोषित के बाद भी सिस्टम सक्रिय न होना इसके लिए विभागीय अधिकारियों से पड़ताल करेंगे। लापरवाही मिलने पर संबंधित पर कार्रवाई कराई जाएगी।
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