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Ayodhya Ram Mandir News: राममंदिर आंदोलन के पोषक थे 'भाई जी, मुसलमानों से की थी जमीन देने की अपील

दिसंबर 1949 में रामलला के ऐतिहासिक प्राकट्य दिवस के गवाह रहे भाई जी कई वर्षों तक रामलला के वस्त्र और प्रसाद की व्यवस्था कराते रहे।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 08:47 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 08:47 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir News: राममंदिर आंदोलन के पोषक थे 'भाई जी, मुसलमानों से की थी जमीन देने की अपील
Ayodhya Ram Mandir News: राममंदिर आंदोलन के पोषक थे 'भाई जी, मुसलमानों से की थी जमीन देने की अपील

गोरखपुर, जेएनएन। गीता प्रेस, गोरखपुर से प्रकाशित कल्याण के संपादक 'भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार अयोध्या में राममंदिर निर्माण के उन आंदोलनकारियों में शामिल थे, जो अपनी भूमिका का निर्वहन पर्दे के पीछे रहकर कर रहे थे। दिसंबर 1949 में रामलला के ऐतिहासिक प्राकट्य दिवस के गवाह रहे भाई जी, कई वर्षों तक रामलला के वस्त्र और प्रसाद की व्यवस्था कराते रहे। राममंदिर निर्माण की कल्पना और संकल्प साकार हो, इसके लिए उन्होंने कल्याण के कई अंक भी राममंदिर आंदोलन को समर्पित कर दिए।

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गोरक्षपीठ के तत्कालीन महंत ब्रह्मलीन दिग्विजय नाथ के करीबी रहे हनुमान प्रसाद पोद्दार ने देवरिया के संत बाबा राघवदास, निर्मोही अखाड़े के बाबा अभिराम दास और दिगंबर अखाड़े के रामचंद्र परमहंस समेत उन तमाम संतों के साथ कदमताल किया था, जिन्होंने राममंदिर आंदोलन की न केवल नींव रखी बल्कि उसकी रीढ़ थे। वृंदावन में अपने प्रवचन में भी भाई जी ने मुसलमानों से हिंदुओं को जमीन देने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि ऐसा करने से आपसी सौहार्द बना रहेगा। राममंदिर आंदोलन पर प्रकाशित चर्चित पुस्तक 'युद्ध में अयोध्या में भाई जी के योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई है।

हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति के संयुक्त सचिव और भाई जी के प्रपौत्र रसेंदु फोगला इस बात की तस्दीक करते हैं कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण भाई जी का सपना था। वह कहते हैैं कि अपने पूर्वजों से यह बातें मैं सुनते आया हूं कि राममंदिर के लिए पूजन सामग्री और भगवान के वस्त्र आदि के साथ पुजारी के वेतन की व्यवस्था भी भाई जी कराते थे। जरूरत पडऩे पर वह आंदोलनकारियों को अयोध्या में ही वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करा देते थे। हालांकि ये सब वह गुप्त रखते थे। अयोध्या ही नहीं काशी और मथुरा में भी भाई जी ने इसी तरह का काम किया था।

गीता प्रेस के उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी बताते हैं कि उस समय प्रकाशित कल्याण के कई अंकों में भाई जी ने राम मंदिर निर्माण के लिए चल रहे आंदोलन और गतिविधियों की चर्चा अपने संपादकीय और आलेख में की थी।

भाई जी का मुरीद हो गया रियाज

हनुमान प्रसाद पोद्दार के करीबी रहे रियाज अहमद अंसारी ने श्रीपोद्दार जी में अपने संस्मरण में भाई जी को आदमी नहीं फरिश्ता बताया है। रियाज ने लिखा है कि इस्लाम का हवाला देते हुए जब उसने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, ङ्क्षहदुओं को वापस करने की बात कही तो नफरत करने के साथ उसे बिरादरी से भी निकाल दिया गया। उस वक्त भाई-जी ही उसका सहारा बने थे। 


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