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खेती के लिए लाभप्रद होगी हस्त नक्षत्र की बारिश, धान के पकने तक में खेतों में बनी रहती है नमी

एक अक्‍टूबर को 10 बजे के करीब हल्की तेज पुरवाई से बादलों ने आसमान को आच्छादित कर दिया। हल्की हल्की बूंदों में मौसम खुशगवार हो गया। इस बारिश से रबी के पुसलों में सरसो आलू या मटर के लिए जुताई कर छोड़े गए खेतों को भी लाभ हो गया।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 12:10 AM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 11:02 AM (IST)
खेती के लिए लाभप्रद होगी हस्त नक्षत्र की बारिश, धान के पकने तक में खेतों में बनी रहती है नमी
खेती के लिए लाभप्रद होगी हस्त नक्षत्र की बारिश। प्रतीकात्‍मक फोटो

सिद्धार्थनगर, र‍ितेश बाजपेयी। सिद्धार्थनगर जिले में पिछड़ी प्रजाति के धान की खेती कर रहे किसानों के लिए हस्त नक्षत्र की बारिश बहुत ही लाभकारी होती है। इस बारिश से जहां धान के पकने तक में नमी बनी रहती है वहीं रबी के फसलों को बोने के लिए भी खेतों में पर्याप्त नमी बनी रहती है। कहावत भी है कि धन्यभाग्य जहां बरसो कुवारा।

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जुताई कर छोडे गए खेतों में होगी अच्‍छी पैदावार

कई दिन से हो रही तेज धूप के कारण लोग व्याकुल थे। वहीं एक अक्‍टूबर को 10 बजे के करीब हल्की तेज पुरवाई से बादलों ने आसमान को आच्छादित कर दिया। हल्की हल्की बूंदों में मौसम खुशगवार हो गया। इस बारिश से रबी के पुसलों में सरसो, आलू या मटर के लिए जुताई कर छोड़े गए खेतों को भी लाभ हो गया। हस्त नक्षत्र से ही ठंड की शुरुआत मानी जाती है। कहावत तो यह भी है कि हाथी के पेट से निकलने वाले कीड़े से हाथ पांव ही नहीं शरीर भी कांपने लगता है। पुराने समय में कुछ बुजुर्ग कहते हैं कि झंकरी इन्ही दिनों में पड़ता था। जिसके लिए लोग बाग पहले से तैयारी कर लेते थे।

पिछडी प्रजाति के धान की फसल को होगा लाभ

कृषकों में अधिकतर लोगों ने पिछड़ी प्रजाति का धान लगा रखा है। कुछ काश्तकारों ने जल्दी उपज के धान को लगाया है। जिसे वह घर पर लाकर निकाल रहे हैं। पाली निवासी कृषक राम सुरेश चौरसिया का कहना है हथिया की बारिश बहुत अच्छी मानी जाती है। राजेंद्र चौरसिया ने कहा कि बारिश से कीटो की संख्या में कमी आती है। बनगवा के प्रेम शंकर त्रिपाठी कहते हैं कि रबी के फसलों के लिए हथिया नक्षत्र की बारिश कई माने में उपयोगी व महत्वपूर्ण होती है।

वैज्ञानिक लिहाज से महत्‍वपूर्व है अक्‍टूबर की बारिश

कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के कृषि वैज्ञानिक डा. एसके सिंह का कहना है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अक्‍टूबर की बारिश काफी महत्वपूर्ण होती है। केंचुए मिट्टी के काफी अंदर जाने के लिए प्रस्थान करते हें। धान में फूल लगना शुरु हो जाता है। पानी की स्वच्छता बह जाती है। पहाड़ी हवा से फसल व शरीर दोनों को व्यापक उर्जा मिलती है।


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