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कोरोना व इंसेफ्लाइटिस प्रभावित गांवों में जांची जा रही पेयजल की शुद्धता Gorakhpur News

शासन की ओर से पेयजल की शुद्धता जांचने के लिए जिले को हाइड्रोजन सल्फाइड (एचटूएस) के दो हजार वायल दिए गए हैं। एक वायल से किसी एक जल स्रोत की जांच की जा सकती है। इसलिए पंचायत राज विभाग ने एक गांव में 10 वायल दिया है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 04:47 PM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 06:47 PM (IST)
कोरोना व इंसेफ्लाइटिस प्रभावित गांवों में जांची जा रही पेयजल की शुद्धता Gorakhpur News
पंयजल जांच के संबंध में फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। जिले के गांवों में पेयजल की शुद्धता की जांच की जाएगी। प्रथम चरण में इंसेफ्लाइटिस एवं कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित रहे 200 गांवों में यह जांच होगी। रविवार को इसकी शुरूआत भी हो गई। विभिन्न ब्लाकों के 50 गांवों में जांच की गई। एक गांव में करीब 10 जल स्रोतों का परीक्षण किया जा रहा है। सभी गांवों में पेयजल की जांच करने के बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी और उसी के आधार पर पेयजल को शुद्ध करने के लिए जरूरी उपाय किए जाएंगे।

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शासन की तरफ से मिले जांच करने वाले वायल

शासन की ओर से पेयजल की शुद्धता जांचने के लिए जिले को हाइड्रोजन सल्फाइड (एचटूएस) के दो हजार वायल दिए गए हैं। एक वायल से किसी एक जल स्रोत की जांच की जा सकती है। इसलिए पंचायत राज विभाग ने एक गांव में 10 वायल दिया है और 10 जल स्रोतों की जांच करने को कहा है। शनिवार को सहायक विकास अधिकारी पंचायत को वायल उपलब्ध करा दिए गए थे। रविवार को इससे जांच भी शुरू हो गई। जल्द ही अन्य गांवों के लिए भी वायल आने की संभावना है। यह जांच सहायक विकास अधिकारी पंचायत की देखरेख में हो रहा है। जांच में पंचायत सचिव, रोजगार सेवक व सफाई कर्मियों को लगाया गया है। जिन ब्लाकों में पानी में आर्सेनिक होने की आशंका है, वहां भी जांच की जाएगी।

इस तरह से होगी जांच

वायल से जांच करते समय पानी लेकर उसमें एचटूएस डाला जाएगा। करीब 24 घंटे तक उसे छोड़ दिया जाएगा। यदि पानी पीला हो जाता है तो माना जाएगा कि उसमें हानिकारक वैक्टीरिया हैं। इस पानी से इंसेफ्लाइटिस, डायरिया, टायफाइड, कालरा, पीलिया आदि जल जनित रोग होने की आशंका है। जल स्रोतों के रूप में इंडिया मार्क टू हैंडपंप एवं साधारण हैंडपंपों की जांच होगी।

ऐसे होगा निदान

जिन गांवों में पेयजल दूषित मिलेगा, वहां शुद्ध पेयजल के लिए उपाय किए जाएंगे। सबसे पहले ब्लीङ्क्षचग पाउडर व लाल दवा डाली जाएगी। यदि लगातार पीला पानी आ रहा होगा तो हैंडपंप का जीआइ पाइप भी बदला जाएगा। कुछ हैंडपंपों को रीबोर भी कराया जाएगा। इसके लिए पंचायती राज के 15वें वित्त से धन खर्च होगी।

पहले भी हो चुकी है जांच

2019 में भी एचटूएस के जरिए गांवों में पेजलय की शुद्धता की जांच हो चुकी है। करीब दो हजार राजस्व गांवों की जांच में 200 में पानी पीने लायक नहीं मिला था। उनमें से कई गांवों में हैंडपंप रीबोर कराए गए थे और ब्लीचिंग पाउडर व लाल दवा डाली गई थी। जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर का कहना है कि गांवों में पेयजल की शुद्धता की जांच की जानी है। प्रथम चरण में 2000 वायल मिले हैं, इससे कोरोना एवं इंसेफ्लाइटिस से प्रभावित 200 गांवों में जांच की जा रही है। हर गांव में 10 वायल दिए गए हैं और वहां 10-10 जल स्रोतों की जांच होगी। 31 मई को रिपोर्ट आ जाने की संभावना है, उसके बाद पेयजल को शुद्ध बनाने के उपाय किए जाएंगे।


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